एक समय था जब भारत सभी क्षेत्रों में आगे      Publish Date : 01/01/2025

                    एक समय था जब भारत सभी क्षेत्रों में आगे

                                                                                                                                                           प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

भारत यात्रा पर आने वाले कुछ विदेशी यात्रियों ने हमारे देश के बारे में अपनी धारणाएँ बहुत ही स्पष्ट रूप से लिखी हैं। उनके यह सभी लेख आज भी उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा हैः ‘‘इस देश के लोग सुखी और संतुष्ट हैं। देश में कोई भी गरीब नहीं है और कोई भी भिखारी नहीं है। लोग अपने घरों को बंद किए बिना सालों तक तीर्थ यात्रा पर निकल जाते हैं। उन्हें कभी भी चोरी होने की कोई चिंता नहीं होती। इस समाज में बुरे चरित्र वाले लोग भी बहुत कम देखने को मिलते हैं। अपने सभी लेन-देन में लोग ईश्वर से डरने वाले, उदार और भरोसेमंद होते हैं।

                                                                  

ये लोग बहादुर, मजबूत, धनी और बुद्धिमान होते हैं।’’ ऐसा नहीं लगता कि इन विदेशी यात्रियों ने यह सब लिखने का कोई गुप्त उद्देश्य रखा हो। वे इस देश में एक छोर से दूसरे छोर तक स्वतंत्र रूप से घूमते हुए इसके सम्बन्ध में जानकिरयां प्राप्त करते थे।

इसलिए उनके द्वारा दिए गए इस विवरण को पूरी तरह से सत्यता और विश्वसनीयता के साथ ही सत्य माना जाना चाहिए।

लोगों की यह यह धारणा भी पूरी तरह से गलत है कि हमारे लोगों ने केवल अध्यात्म के क्षेत्र में ही उत्कृष्टता प्राप्त की है, उन्होंने जीवन के अन्य सभी पहलुओं की अनदेखी की है। लेकिन विदेशी यात्रियों के द्वारा दिए गए तथ्य उनकी इस धारणा का पुरजोर खंडन करते हैं। विश्वसनीय प्रमाणों ने निर्णायक रूप से दिखाया है कि विज्ञान और कला के भी प्रत्येक क्षेत्र में भी हम बाकी दुनिया से सैकड़ों साल आगे थे। लौह स्तंभ, यद्यपि दो हजार साल पुराना है, फिर भी चमकता है; उस पर जंग का एक छोटा सा निशान भी नहीं दिखाई पड़ता है। यह अभी भी दुनिया भर के धातु विज्ञानियों के लिए एक चुनौती के रूप में खड़ा है।

हमारे कुछ पुराने ग्रंथों में एक किंवदंती संरक्षित है और विदेशियों द्वारा भी यह दर्ज की गई है। किवदंती यह है कि रोम के सम्राट को एक अजीब बीमारी थी। उनके राज्य में कोई भी चिकित्सक उसका इलाज नहीं कर सका। चूंकि उस समय हमारा देश अपने चिकित्सा विज्ञान के लिए संसार भर में प्रसिद्ध था, इसलिए उस सम्राट ने भारत से मदद मांगी। उनके निमंत्रण पर एक शाही चिकित्सक वहां गया; उसने सम्राट की खोपड़ी खोली और उस पर सफलतापूर्वक शल्य चिकित्सा की। वह चिकित्सक उसके बाद तीन साल तक उस देश में रहा और वहां के लोगों को अपना कौशल सिखाया, और उच्च सम्मान प्राप्त करके अपने घर लौट आया।

                                                                     

वर्तमान में भी, जब शल्य चिकित्सा में बहुत प्रगति हुई है, इसके बावजूद भी मस्तिष्क की सर्जरी को एक चुनौतीपूर्ण कार्य माना जाता है। हमें इस कथा पर इसी पृष्ठभूमि पर गम्भीरता पूर्वक विचार करना होगा।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।