विद्यालय एक उपवन Publish Date : 14/12/2024
विद्यालय एक उपवन
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
विद्यालय भी एक उपवन हैं जहां बच्चे उसके फूल हैं। उन फूलों को हम कैसी शिक्षा से पोषण करते हैं यही उन्हें जिम्मेदार नागरिक बनाने के लिए प्रेरित करते हैं। जब हम बच्चे का सर्वांगीण विकास की बात करते हैं तो वह केवल किताबी ज्ञान में ही बौद्धिक रूप से सफल नहीं बना रहे हैं बल्कि व्यक्तित्व और विचारों से भी उन्हें जिम्मेदार नागरिक बनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
शिक्षकों को बच्चों के समक्ष उदाहरण बनना होगा। बच्चे माता पिता और साथियों की अपेक्षा शिक्षकों के विचार और व्यवहार को जल्दी अनुसरण करते हैं। जब जब अभिभावक यह कहता रहेगा कि बच्चों के लिए उनके पास समय नहीं है तब तब बच्चों के प्रति हम अपनी जिम्मेदारी से दूर भाग रहे हैं।
ऐसे में बच्चों को उनके दायित्व के प्रति केवल पढ़ाने मात्र से काम नहीं चलेगा। ऐसे बच्चे किशोर अवस्था तथा युवा अवस्था तक पहुंचते पहुंचते वे अपने जीवन का उद्देश्य निर्धारण नहीं कर पाते जिस कारण उन्हें अपना जीवन नीरस लगने लगता है।
ऐसे में हमें बच्चों में पहले मेरा जीवन का अहसास कराना होगा इसके बाद ही वे अपना दायित्व समझ सकेंगे।
साधुवाद --- [गुरू जी]
विद्यालयः अपि एकं उद्यानं यत्र बालकाः तस्य पुष्पाणि सन्ति। वयं तानि पुष्पाणि यथा शिक्षां पोषयामः, सा तान् उत्तरदायी नागरिकाः भवितुम् प्रेरयति। यदा वयं बालस्य सर्वतोमुखविकासस्य विषये वदामः तदा वयं न केवलं तं पुस्तकज्ञाने बौद्धिकरूपेण सफलं कुर्मः अपितु तस्य व्यक्तित्वेन विचारेण च उत्तरदायी नागरिकः भवितुम् अपि प्रेरयामः। बालकानां पूर्वं शिक्षकाः उदाहरणं भवितुमर्हन्ति।
बालकाः स्वमातापितृणां सहपाठिनां च अपेक्षया शीघ्रतरं शिक्षकानां विचारान् व्यवहारान् च अनुसरन्ति । यदा कदापि मातापितरः वदन्ति एव यत् तेषां बालकानां कृते समयः नास्ति तदा वयं बालकानां प्रति स्वदायित्वात् पलायिताः स्मः।
एतादृशे सति केवलं बालकानां दायित्वस्य विषये शिक्षणं न पर्याप्तं भविष्यति। यावत् एतादृशाः बालकाः किशोरावस्थां, युवावस्थां च प्राप्नुवन्ति तावत् ते स्वजीवनस्य उद्देश्यं निर्धारयितुं असमर्थाः भवन्ति, अतः ते स्वजीवनं नीरसं अनुभवितुं आरभन्ते एतादृशे परिस्थितौ प्रथमं बालकान् मम जीवनस्य साक्षात्कारं कर्तव्यं, तदा एव ते स्वदायित्वं अवगन्तुं शक्नुवन्ति। साधुवाद: --- [गुरु जी]
School is also a garden where children are its flowers. The type of education we provide to those flowers inspires them to become responsible citizens.
When we talk about the all-round development of a child, we are not only making them intellectually successful in bookish knowledge but also inspiring them to become responsible citizens through their personality and thoughts. Teachers have to become an example for children.
Children follow the thoughts and behavior of teachers more quickly than their parents and peers. Whenever parents keep saying that they do not have time for children, then we are running away from our responsibility towards children. In such a situation, just teaching children about their responsibilities will not work.
By the time such children reach adolescence and youth, they are not able to determine the purpose of their life, due to which their life starts feeling dull. In such a situation, we have to first make children realize my life, only then they will be able to understand their responsibility. Thanks --- [Guru Ji]
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।