अगले 25 वर्ष में हो सकता है 90 प्रतिशत मिट्टी का क्षरण Publish Date : 10/12/2024
अगले 25 वर्ष में हो सकता है 90 प्रतिशत मिट्टी का क्षरण
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
जलवायु परिवर्तन एवं मानवीय गतिविधियों के कारण अब बढ़ रही है चिंता-
मात्र 2 से 3 सेमी. मिट्टी को तैयार करने में हजारों वर्ष का समय भी लग सकता है। जलवायु परिवर्तन, वनों का कटान, खनन और आधुनिक कृषि कार्यों के चलते पृथ्वी की 33 प्रतिशत मिट्टी क्षरण पहले ही हो चुका है। ऐसे में यदि मिट्टी के टिकाऊ प्रबन्धन की ओर ध्यान नही दिया गया तो अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2050 तक 90 प्रतिशत तक मिट्टी का क्षरण हो सकता है।
उपरोक्त जानकारी खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएफओ) द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट में सामने आई है। एफएफओ के अनुसार हमारे भोजन का 95 प्रतिशत भाग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मिट्टी से ही आता है। इसके अतिरिक्त पौधों के लिए आवश्यक प्राकृतिक रूप में पाए जाने वाले 18 रासायनिक तत्वों में से 15 की आपूर्ति मिट्टी ही करती है। मिट्टी पौधों की वृद्वि और उनके पोषण के लिए आवश्यक पोषक तत्व, जल, ऑक्सीजन और पौधों की जड़ों को स्थायित्व भी प्रदान करती हैं।
जलवायु परिवर्तन एवं मानवीय गतिविधियों के चलते मिट्टी का क्षरण लगातार हो रहा है। वर्तमान समय की बात की जाए तो आज प्रति 5 सेकेंड में एक फुटबॉल के मैदान के बराबर मिट्टी का क्षरण हो रहा है। मिट्टी में जारी इस क्षरण के कारण फसलों की उपज में 50 प्रतिशत तक की हानि भी हो सकती है। मिट्टी का यह क्षरण और कटाव प्राकृतिक संतुलन को बिगाड़ देता है और इसके कारण जीवन की सबसे बड़ी आवष्यकता यानी कि जल की उपलब्धता कम हो जाती है। इसके कम होने से भोजन में विटामिंस, एवं अन्य पोषक तत्वों का स्तर भी कम हो जाता है।
भविष्य में सेहतमंद रहने का अधिकार स्वस्थ मिट्टी
एफएफओ के द्वारा जारी की गई इस रिपोर्ट के अनुसार, मिट्टी मानव जाति के अस्तित्व के लिए बहुत ही आवश्यक तत्व है। पृथ्वी पर जीवन के इस मूलभूत संसाधन का निर्माण विभिन्न परतों से होता है, जिसके अन्तर्गत ऊपरी परत, कार्बग्निक परत, उप-मिट्टी तथा आधारशिला आदि शामिल होती हैं।
मिट्टी विभिन्न अलग-अलग रंगों की होती है जिसमें लाल, भूरी, पीली, काली और धूसर आदि रंगों की मिट्टी पाई जाती है। इस प्रकार इन समस्त रंगों वाली मिट्टियों की अलग-अलग विशेषताएं भी होती हैं। जब हमारी मिट्टी स्वस्थ होती है तो यह मानव जाति को रोगों से लड़ने वाले एंटीबायोटिक्स प्रदान करती है, पोषक तत्वों को प्रदान करती है, जो हमारी फसलों को विभिन्न पोषक तत्वों को प्रदान करती है और मिट्टी के इस चक्र को पुनर्जीवित होने में दशकों का समय भी लग सकता है।
स्वस्थ मिट्टी एक कार्बन सिंक के रूप में कार्य कर जलवायु परिवर्तन की घटना को कम करने में सहायता प्रदान करती है। इसका अर्थ यह हुआ कि मिट्टी कार्बन डाई-ऑक्साइड सहित अन्य ग्रीन हाउस गैसों (जीएचजी) की बड़ी मात्रा को संग्रहीत करने का भी काम करती है, अन्यथा यह सभी वातावरण में मिश्रित होकर हमारे वायुमंडल को विषाक्त भी कर सकती हैं। यदि सही अर्थों में देखा जाए तो मिट्टी, महासागरों के बाद सबसे बड़ा कार्बन सिंक होता है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।