आलू में पाले की समस्या      Publish Date : 08/12/2024

                            आलू में पाले की समस्या

                                                                                                                                    प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी

तापमान के गिरने से आलू को मारता है पाला, किसान समय रहते जान लें इससे बचाव के उपाय, सुरक्षित रहेगी आलू की फसल-

आलू की खेती करना काफी फायदेमंद होता है, लेकिन ठंड के मौसम में तापमान के गिरते ही आलू की फसल को पाले का खतरा सताने लगता है। ऐसे में हमारी टीम ने सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आर. एस. सेंगर से खास बातचीत की जिसमें प्रोफेसर सेंगर ने आलू की फसल को सुरक्षित रखने के कुछ उपाय सुझाए, जिनका विवरण कुछ इस प्रकार हैं-

                                                                 

आलू को सब्जियों का राजा कहा जाता है, और आलू की मांग भी पूरे सालभर बनी ही रहती है। भारत में वृहद पैमाने पर आलू की खेती की जाती है और इससे किसानों को अच्छा मुनाफा भी प्राप्त होता है। लेकिन तापमान में हो रही गिरावट के कारण आलू की फसल में पाला मारने का खतरा भी सबसे अधिक होता है। ऐसे में किसानों को नुकसान का सामना करना पड़ता है। वहीं, नुकसान के इस खतरे को कृषि वैज्ञानिक की सलाह से किसी हद तक बचाया भी जा सकता है।

फसल पर पाले के लक्षण

                                                                   

इस संबंध में प्रोफेसर आर. एस. सेंगर ने बताया कि आलू की फसल किसानों के लिए एक कैश क्रॉप होती है। किसान इसकी खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। लेकिन ठंड़ के मौसम में आलू के पौधों को पाला लगने का खतरा बना रहता है। पाला लगने से आलू के पौधे के पत्ते मुरझाने लगते हैं और कुछ समय बाद पौधे मर जाते हैं।

खेतों के पास करें धुआं

                                                               

डॉ आर. एस. सेंगर ने बताया कि ठंड के दौरान फसल में पाला मारने का सबसे अधिक खतरा उस समय होता है जब तापमान 5 डिग्री तक पहुंच जाता है। पाले से सबसे अधिक खतरा सब्जियों की फसल को ही होता है। ऐसे में आलू की फसल की पाले से रक्षा करने के लिए किसान कुछ घरेलू उपाय अपनाने से लेकर दवाओं आदि से अपनी फसल का बचाव कर सकते हैं। किसान अपनी फसल को पाला से प्रभावित होने से बचाने के लिए सर्वप्रथम अपने खेतों का टेंपरेचर मेंटेन करने की आवश्यकता होती है। इसके लिए किसान यदि शाम ढलने के बाद खेतों के समीप धुआं कर दें, तो आलू की फसल को पाला से बचाया जा सकता है।

दवाई का भी कर सकते उपयोग

कृषि वैज्ञानिक डॉ0 सेंगर ने बताया कि, ऐसा करने से आलू के पौधे के ऊपर धुएं की एक परत सी बन जाती है, जो फसल को पाले से होने वाली गंभीर क्षति से बचाती है। किसान भाई यह प्रयोग कड़ाके की ठंड दौरान भी कर सकते हैं। इसके अलावा किसान अपने खेतों में राख का छिड़काव भी कर सकते हैं। वहीं, खट्टी छाछ का छिड़काव करना भी फसल को पाले से सुरक्षित रखता है। इसके साथ ही किसान डाईथेन-15 दवाई का छिड़काव करके भी अपनी आलू की फसल को पाले से बचा सकते हैं।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।