World Soil Day 2024 Publish Date : 05/12/2024
World Soil Day 2024
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
मृदा दिवस, खेती-किसानी के लिए क्या हैं इस दिन के मायने?
हर साल 5 दिसंबर को दुनियाभर में विश्व मृदा दिवस (World Soil Day) के रूप में मनाया जाता है। विश्व मृदा दिवस मनाने की शुरुआत 5 दिसंबर 2014 को हुई थी। इस दिवस का उद्देश्य स्वस्थ मिट्टी के महत्व पर ध्यान केंद्रित करने के साथ मिट्टी के टिकाऊ प्रबंधन को लेकर जागरूकता का प्रसार करना है।
हर साल 5 दिसंबर को दुनियाभर में विश्व मृदा दिवस (World Soil Day) मनाया जाता है। इस दिवस की शुरुआत 5 दिसंबर 2014 को हुई थी। इस दिवस का उद्देश्य स्वस्थ मिट्टी के महत्व पर ध्यान केंद्रित करने के साथ मिट्टी के टिकाऊ प्रबंधन करना है। मिट्टी खेती के लिए पानी, ऑक्सीजन और विभिन्न तरीके के पोषक तत्वों का स्रोत है। दुनियाभर में उत्पादित करीब 95 फीसदी खाद्य पदार्थ मिट्टी की मदद से उत्पादित किये जाते हैं। मिट्टी के बिना पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं है।
दुनियाभर में मृदा का कटाव, रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल और औद्योगिकीकरण कृषि उत्पादकता के साथ खाद्य सुरक्षा और जलवायु को भी नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है।
दुनियाभर में मिट्टी की गुणवत्ता में तेजी से गिरावट हो रही है। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, दुनिया की 33 फीसदी मिट्टी अब तक प्रभावित हो चुकी है। वहीं, साल 2050 तक यह आंकड़ा बढ़कर 90 फीसदी तक पहुंच सकता है। भारत में भी कम होती मिट्टी की उपजाऊ क्षमता किसानों के लिए आजीविका के मोर्चे पर चुनौती लेकर आई है। इससे भारत की खाद्य सुरक्षा पर भी खतरा मंडरा रहा है।
विश्व मृदा दिवस 2024 का थीम
विश्व मृदा दिवस 2024 की थीम मृदाओं की देखभाल: मापें, निगरानी करें, प्रबंधित करें रखी गई है।
किसान कैसे अपनी मिट्टी को स्वस्थ रख सकते हैं
दुनियाभर में मिट्टी के संरक्षण के लिए कई तरह की स्थायी कृषि विधियों को अपनाया जा रहा है। इनमें क्रॉप रोटेशन, कवर क्रॉपिंग, रासायनिक उर्वरक के बजाए जैविक उर्वरकों का उपयोग जैसी विधियों का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। ये खेती की तकनीकें और विधियां मिट्टी की जैव विविधता को बढ़ाने के साथ उपजाऊ क्षमता को बेहतर और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में मदद करती है।
मिट्टी और खाद्य सुरक्षा
विश्व की बढ़ती जनसंख्या, जो 2050 तक 9 अरब तक पहुंचने का अनुमान है, खाद्य सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती पैदा करती है। मृदा की खराब गुणवत्ता से कृषि उत्पादकता में गिरावट आ सकती है, जिससे खाद्य संकट और अधिक गंभीर हो सकता है। यदि मृदा का संरक्षण सही ढंग से नहीं किया गया, तो यह खाद्य उत्पादन में 20-30% तक की गिरावट ला सकता है।
सरकार की पहल
भारत सरकार ने देश की मिट्टी के संरक्षण के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। इनमें मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना और सतत कृषि मिशन की शुरुआत की है। वहीं, कई राज्य सरकार प्रदेश लेवल पर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही हैं।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।