NIRF एवं NAAC रैंकिंग किस आधार पर जारी की जाती है? इसमें देश के कितने संस्थान भाग लेते हैं?      Publish Date : 29/11/2024

NIRF एवं NAAC रैंकिंग किस आधार पर जारी की जाती है? इसमें देश के कितने संस्थान भाग लेते हैं?

                                                                                                                                                    प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

प्रत्येक वर्ष केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के द्वारा NIRF (नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क) की रैंकिंग सूची जारी की जाती है, जिसके अंतर्गत देश के शीर्ष विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों को शामिल किया जाता है।

                                                                

यह सूची अलग-अलग श्रेणियों एवं विषयों पर आधारित होती है, जैसे- इंजीनियरिंग, मेडिकल, फार्मेसी, लॉ और मैनेजमेंट इत्यादि। NIRF की पहली रैंकिंग वर्ष 2016 में जारी की गई थी, जिसमें 3,565 शिक्षण संस्थानों को शामिल किया गया था। वहीं इस वर्ष की रैंकिंग के लिए देश के 8,686 उच्च शिक्षण संस्थानों ने भाग लिया था, जिनमें 5,543 संस्थानों ने पहली बार हिस्सा लिया था।

NIRF रैंकिंग में IIT मद्रास, एजुकेशनल इंस्टीट्यूशनल और इंजीनियरिंग कैटेगरी के अंतर्गत साल 2022 में पहले स्थान पर रहा था। इस साल भी HT, मद्रास ने 86.69 स्कोर के साथ प्रथम स्थान हासिल किया है। वहीं इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस (IISC) ने 83.09 स्कोर के साथ दूसरा और IIT, दिल्ली ने 82.16 स्कोर के साथ तीसरा स्थान प्राप्त किया।

NIRF एक मान्यता प्राप्त प्रणाली है, जो कि डिग्री कार्यक्रमों और पाठ्यक्रमों की विश्वसनीयता तय करती है। यह छात्रों को सर्वोत्तम विश्वविद्यालय तलाशने में मदद करती है तथा कॉलेजों को अपनी सेवाएं बढ़ाने तथा कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरणादायी भी है। केंद्र सरकार द्वारा शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता को परखने के लिए NIRF के साथ ही NAAC यानी राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद की व्यवस्था की गई है।

NAAC का पर्यवेक्षण भी केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय करता है। यूजीसी ने देश के सभी विश्वविद्यालयों के लिए NAAC प्रणाली का अनुसरण करना अनिवार्य कर दिया गया है। इसमें फंडिंग और अन्य सुविधाओं को भी जोड़ा गया है। NAAC यूजीसी का एक अनिवार्य हिस्सा है, जिसका मुख्य कार्य देश के विभिन्न कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, उच्च शिक्षण संस्थानों एवं निजी संस्थानों को उनकी गुणवत्ता के आधार पर रैंकिंग प्रदान करना है।

यूजीसी की नई गाइडलाइंस के अनुसार, देश के सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को NAAC से मान्यता प्राप्त करना अनिवार्य कर दिया गया है।

  • ग्रेड चार साल के लिए मान्य।
  • NAAC के तहत कॉलेजों की चार साल के लिए ग्रेड प्रदान की जाती है। NAAC ने अस्थाई ग्रेड देने की भी व्यवस्था की है। इसके तहत दो साल के लिए ग्रेड दी जाएगी।
  • क्यूम्युलेटिव ग्रेड पॉइंट एवरेज (CGPPA) के आधार पर तय होती कॉलेज की रीडिंग।
  • अगर किसी कॉलेज यूनिवर्सिटी का CGPPA 3.51 से 4 प्रतिशत के बीच है. तो उसे । ग्रेड दिया जाता है। वहीं 3.26 से 3.5 प्रतिशत के बीच है तो उसे A- ग्रेड दिया जाता है, 3.01 से 3.25. प्रतिशत हो तो ग्रेड A, 2.76 से 3 प्रतिशत हो तो B, 2.51 से 2.75 प्रतिशत हो तो B-, 2.01 से 2.50 प्रतिशत हो तो ग्रेड B दिया जाता है। किसी कॉलेज अथवा यूनिवर्सिटी का CGPA 1.51 से 2 प्रतिशत ही तो ग्रेडा दिया जाता है।
  • NAAC मूल्यांकन का आधार यह सर्वप्रथम पाठ्यक्रम की जांच करता है कि पाठ्यक्रम वर्तमान समय में निर्धारित किए गए मानक के अनुरूप है या नहीं। यदि संस्थानं में अनुसंधान करने की अच्छी सुविधा हो, तो उसे बेहतर माना जाता है। NAAC मूल्यांकन में छात्राओं से संस्थान द्वारा प्रदान की जाने वाली सुविधाओं के बारे में पूछा जाता है। यदि छात्र संस्थानों की सुविधाओं से संतुष्ट होते हैं, तो उन्हें उच्च श्रेणी में रखा जाता है। मूल्यांकन में इंस्टीट्यूशन के इंफ्रास्ट्रक्चर पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इसमें शिक्षा प्रदान करने के समय जरूरी उपकरणों की उपलब्धता की जांच की जाती है। इन सभी मानकों के आधार पर- NAAC- द्वारा संस्थान की ग्रेड का निर्धारण किया जाता है।

NIRF और NAAC रैंकिंग, शिक्षण संस्थानों के लिए क्यों जरूरी है?

NIRF द्वारा रैंकिंग निर्धारित करते समय शिक्षा की गुणवत्ता, फैकल्टी, इंफ्रास्ट्रक्चर, ग्लेसमेंट आदि को महत्ता दी जाती है। कई अलग-अलग मापदंडों के आधार पर, शिक्षा मंत्रालय द्वारा NIRF यूनिवर्सिटी रैंकिंग की सूची तैयार की जाती है। यह सूची उन छात्रों के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण होती है, जो भारत की टॉप यूनिवर्सिटीज में एडमिशन लेना चाहते हैं।

शिक्षा की गुणवत्ता एवं संस्थानों की सार्वजनिक जवाबदेही में सुधार लाने के लिए एनआईआरएफ एक ऐसी प्रणालो है, जो डिग्री कार्यक्रमों और पाठ्यक्रमों में विश्वसनीयता को जोड़ती है। यह छात्रों की सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय के चयन में मदद करती है तथा सुनिश्चित करती है कि सभी उच्च शिक्षण संस्थान अपनी रैंकिंग में सुधार हेतु कड़ी मेहनत करें। वहीं NAAC रेटिंग से छात्रों को शिक्षण संस्थानों के विषय में सही जानकारी प्राप्त होती है। साथ ही शिक्षा की गुणवता, अनुसंधान, बुनियादी ढांचा आदि कीजानकारी हासिल करने में आसानी होती है।

उच्च शिक्षण संस्थानों की रैंकिंग में NIRF के क्या मापदंड हैं? NIRF द्वारा कितनी श्रेणियों में रैंकिंग जारी की जाती है?

रैंकिंग के लिए केंद्र सरकार ने पांच मानक तय किए हैं। इनमें टीचिंग, लर्निंग एंड रिसोर्सेज, रिसर्च एंड प्रोफेशनल प्रैक्टिस, ग्रेजुएशन आउटकम, आउटरीच एंड इनक्लुसिविटी और परसेप्शन आदि को शामिल किया गया है। टीचिंग, लर्निंग और रिसोर्सेज (TLR) के अंतर्गत 5 सब पैरामीटर आते हैं।

पहला- छात्रों की संख्या, जिसमें पीएचडी पाठ्यक्रम के छात्र शामिल होते हैं।

दूसरा- फैकल्टी और स्टूडेंट्स की संख्या का अनुपात, जिसमें परमानेंट फैकल्टी पर जोर दिया जाता है।

तीसरा- पीएचडी और अनुभव वाले शिक्षक।

चौथा- आर्थिक रिसोर्स क्या, कितनी है और इसका उपयोग किस प्रकार किया जा रहा है।

पांचवां मानदंड है- ऑनलाइन एजुकेशन।

रिसर्च एंड प्रोफेशनल प्रैक्टिस (RP) में चार सब- पैरामीटर्स आते हैं। पहला-जनरल या शोध का प्रकाशन, दूसरा-साइटेशन, तीसरा- कितने ॥ गर और पेटेंट हुए और चौथा- रिसर्च प्रोजेक्ट्स।

ग्रेजुएशन आउटकम (GO)- इसके तहत चार सब-पैरामीटर्स पर मूल्यांकन तय होता है। पहला-प्लेसमेंट और उच्च शिक्षा। दूसरा-यूनिवर्सिटी एग्जाम्स, तीसरा-औसत वेतन और चौथा संस्थान से उत्तीर्ण होने वाले पीएचडी छात्रों की संख्या। आउटरीच एंड इनक्लूसिविटी (OI)- इसके अंतर्गत 4 सब-पैरामीटर रखे गए हैं। पहला-दूसरे राज्यों और देशों से आने वाले छात्रों की संख्या/प्रतिशत। दूसरा- संस्थान में महिलाओं/छात्राओं की संख्या। तीसरा-आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े विद्यार्थियों की संख्या और चौथा दिव्यांग छात्रों के लिए संस्थान में उपलब्ध सुविधाएं।

परसेप्शन- इसमें सिर्फ शैक्षणिक सहयोगियों और नियोक्ताओं के बीच संस्थान को लेकर विचार या अवधारणा की जांच होती है।

रैंकिंग की बात करें, तो NIRF द्वारा इसे 13 श्रेणियों में बांटा गया है। ये श्रेणियां हैं-

1. ओवरऑल 2. यूनिवर्सिटीज 3. कॉलेज, 4. रिसर्च इंस्टीटयूशंस 5. इंजीनियरिंग 6. मैनेजमेंट, 7. फार्मेसी 8. मेडिकल 9. डेंटल 10. लॉ, 11. आर्किटेक्चर एंड प्लानिंग 12. एग्रीकल्चर एंड एलाइड सेक्टर्स 13. इनोवेशन

कुछ यूं आगे बढ़ी NIRF रैंकिंग

                                                 

वर्ष 2016: बार कैटेगरीज यूनिवर्सिटीज मैनेजमेंट, इंजीनियरिंग और फार्मेसी।

वर्ष-2017: छह कैटेगरीज-ओवरऑल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट, इंजीनियरिंग और फार्मसी।

वर्ष 2018: नो कैटेगरीज इसमें लॉ मेडिकल और आर्किटेक्चर को जोड़ा गया।

वर्ष 2019: कोई बदलाव नहीं किया गया। कुल नौ कैटेनीज में परिणाम जारी किए गए।

वर्ष 2020: इसमें डेंटल कैटेगरी की जोड़ा गया। कुल 10 श्रेणियों में बैंकिंग जारी हुई।

वर्ष 2021: 11 कैटेगरीज बनीं। इसमें रिसर्च संस्थान की पहली बार शामिल किया गया।

वर्ष 2022: कोई बदलाव नहीं हुआ। कुल 11 कैटेगरीज में ही रैंकिंग जारी की गई।

वर्ष 2023: इस साल एग्रीकलचर एंड फलाइड सेक्टर और इनोवेशन को जोड़ा गया। कुल 13 कैटेगरीज में एनआईआरएफ बैंकिग जारी हुई।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।