प्रेम ही हमारा धर्म है      Publish Date : 21/11/2024

                               प्रेम ही हमारा धर्म है

                                                                                                                                                            प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

भौतिकी विज्ञान में वैज्ञानिकों के द्वारा कई खोजें की गई हैं और उन्होंने पाया है कि एक छोटे से परमाणु में असीमित ऊर्जा उपलब्ध होती है। वैज्ञानिक अब यह जानने के लिए उत्सुक हैं कि इस परमाणु के निर्माता के पास कितनी ऊर्जा हो सकती है? भौतिक विज्ञान के अध्ययन से मनुष्य सर्वशक्तिमान की ऊर्जा के विशाल पैमाने की कल्पना कर सकता है। यह विचार भी अपने आप में प्रासंगिक है कि विज्ञान की सुविधाएं मानव समाज को किस दिशा में ले जा रही हैं?

इसलिए जिज्ञासा यह है कि मनुष्य सर्व साधन युक्त होते हुए भी परस्पर प्रेम से क्यों नहीं रह पाते हैं? किसी के दबाव या प्रलोभन में आकर वे स्वयं की जीवन-पद्धति जो प्रेम करना सीखती है, को छोड़ कर अन्यान्य पद्धतियों की ओर क्यों जाते हैं?

मनुष्य प्रकृति के साथ संबंध को समझे, अपने चरित्र को बनाए रखे और पारस्परिक संबंधों में एकात्मता का अनुभव करे। अपने परिवार के लोगों के बीच प्रेम के अभाव के कारण ही तो विभिन्न प्रकार के मानसिक तनाव उत्पन्न होते हैं और न्यायालयों में मुकदमों की संख्या बढ़ती जा रही है। इसी प्रकार प्रकृति के साथ प्रेम का अभाव होने से आज ग्लोबल वार्मिग का संकट हमारे सिर पर आन खड़ा हुआ है। हमे यह विचार करना होगा कि जो कार्य आपसी प्रेम से हो सकता है क्या वह कभी राज्य,नियम और दंड से संभव हो सकेगा?

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।