बच्चों को सड़क पार कराने वाला रोबोट      Publish Date : 07/11/2024

                   बच्चों को सड़क पार कराने वाला रोबोट

                                                                                                                                 प्रोफेसर आार. एस. सेंगर एवं मुकेश शर्मा

‘‘इस रोबोट का निर्माण व्यस्त चौराहों पर मार्गदर्शन करने और सुरक्षा हेतु डिजाइन किया गया है। यह रोबोट अपने सेंसर का उपयोग कर आने वाले वाहनों का पता लगाकर बच्चों को अवगत कराता है कि उनके लिए सड़क को पार करना किस समय सुरक्षित रहेगा।’’

शहर की व्यस्त सड़कों को पार करना भी किसी चुनौति से कम नही होता है। जबकि बच्चों के लिए तो और भी अधिक कठिनाईयों से भरा होता है। सड़क पार करते हुए बच्चे कई बार हादसों का शिकार भी हो जाते हैं। अमेरिका की कैलीफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी ने थकैया ट्रांसपोटैेशन इंस्टीट्यूट के हस्तक्षेप से एक ऐसा रोबोट तैयार किया है, जो छोटे बच्चों को सुरक्षित ढंग से सड़क को पार करने में सहायता कर सकता है। देखने में यह रोबोट बागीचे की घास काटने वाली मशीन ‘‘लॉन बुवर’’ के जैसा दिखाई देता है।

                                                                 

इस रोबोट पर काले रंग का एक पोल लगा होता है, इस पोल पर एक टैबलेट के आकार की छोटी स्क्रीन लगी हुई है। हालांकि यह रोबाोट देखने में आकर्षक नही है परन्तु यह अपने अंदर अपार सम्भानाओं को समेटे हुए है।

360 डिग्री पर देख सकता है

ूनिवर्सिटी के ऐसोसिएट प्रोफेसर डॉ0 कुल्हंडजियन के अनुसार, इस रोबोट की स्क्रीन पर इसके आसपास की जगह का 360 डिग्री का पूरा व्यू दिखाई देता है। यह रोबोट उच्च तकनीक युक्त सेंसर और अन्य उपकरणों से लैस है, जिनमें लिडार, रेडार, माइक्रोफोन, वीडियो कैमरा आदि लगे है और यह ट्रैफिक के खुलने का इंजार धैर्य पूर्वक करता है।

जैसे ही ट्रैफिक खुलता है, यह रोबोट लाल रंग की स्क्रीन के साथ क्रॉसवॉक पर चलता है। इसके बाद जब वाहन रूक जाते हैं तो इसकी स्क्रीन हरी हो जाती है, जिससे इंतजार कर रहे बच्चों को संकेत मिलता है कि अब उनके लिए सड़क पार करना सुरक्षित है। इसके साथ ही यह रोबोट नेत्रहीन बच्चों एवं बड़ों को बोलकर संकेत देता है।

90 प्रतिशत है सफलता की दर

प्रोफेसर कुल्हंडजियन को ऐसा रोबोट बनाने की प्रेरणा उस समय मिली, जब उन्होंने अपनी बेटियों को स्कूल के शिक्षकों का कक्षाओं को छोड़कर एक क्रॉसिंग गार्ड के रूप में कार्य करते हुए देखा। कुल्हंडजियन को विश्वास है कि उक्त रोबोट समस्त बच्चों के सड़क पार करने के दौरान सहायता करेगा। इसका परीक्षण अमेरिका की सड़कों पर किया जा चुका है और इसकी सटीकता की दर 90 प्रतिशत तक आंकी गई है।

हालांकि अभी भी कुछ अभिभावक इस रोबोट में आने वाली सम्भावित खराबी अथवा हैकिंग आदि को लेकर चिंता भी जता रहे हैं। ऐसे में क्रॉसिंग गार्ड पर व्यय होने वाले धन को देखते हुए वह इस रोबोटिक समाधान में एक सम्भावाना को भी देख रहे हैं।

अलग-अलग सड़कों पर किया गया परीक्षण

                                                                

प्रोफेसर कुल्हंडजियन और उनकी टीम वर्तमान में स्थानीय स्कूलों और सुरक्षा विशेषज्ञों के साथ मिलकर एक शक्तिशाली परीक्षण का ढांचा कर रहे हैं। इस चरण में दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में वहां की सड़कों की स्थिति के अनुसार रोबोट की प्रतिक्रियाओं का आंकलन किया जाएगा, जिससे कठिन हालातों में इसकी विश्वसनीयता के बारे में जानकारी मिल सकेगी।

इस परीक्षण के पूर्ण होने और इससे प्राप्त डेटा का सत्यापन हो जाने के बाद इसे स्कूलों के द्वारा अपनाया जाएगा, जिससे कि शिक्षकों, अभिभावकों और छात्रों से इसका सही फीडबैक प्राप्त किया जा सके। भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) को भी इसमें शामिल किया जा सकता है। ऐसा करने से सड़क परा करते समय होने वाले हादसों की संख्या को कम करने में सहायता प्राप्त हो सकती है।

विपत्ति में भी होगा साथी

                                                              

वर्तमान समय में रोबोट तेजी से हमारे जीवन के विभिन्न पक्षों से जुड़ रहे हैं और परिवहन, उत्पादन और सुरक्षा के जैसे अन्य सभी क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभा रहे हैं। रोबोट की उपयोगिता एवं िवश्वसनीयता के चलते ही वर्ष 2029 तक रोबोटिक्स के वैश्विक बाजार का मूल्य लगभग 95.93 बिलियन डॉलर तक के होने के अनुमान लगाए जा रहे हैं। हालांकि इस रोबोट मिशन का उद्देश्य इंसान की जगह लेने का नही है बल्कि इंसान के कामों को आसान बनाना है।

इस रोबोट को तैयार करने वाले प्रोफेसर कुल्हंडजियन ने बताया कि कई क्षेत्रों में पर्याप्त संख्या में क्रॉसिंग गार्ड उपलब्ध नही हो सकते हैं, विशेषरूप से उन स्थानों पर जहां ट्रफिक लाइट्स की कमी है अथवा ऐसे समय में रूटाफ सीमित है। ऐसे में रोबोट इन कमियों को पूरा कर अतिरिक्त सुरक्षा का प्रभावी उपाय प्रदान कर सकते हैं।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।