अथ श्री गेहूँ कथा Publish Date : 28/10/2024
अथ श्री गेहूँ कथा
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं हिबिस्का दत्त
भारत में धान के बाद सर्वाधिक उगाया जाने वाला अनाज गेहूँ है। उत्तर भारत में तो गेहूँ के रस्क/समोसा/परांठा आदि से दिन की शुरुआत होकर रात को रोटियों पर जाकर खत्म होती है। निश्चित रूप से पिछले 30-40 साल में दूसरे अनाजों के स्थान पर गेहूँ ने अपनी काफी बढ़त बना ली है।
वर्तमान में बहुत से प्रकार का गेहूँ उपलब्ध है। गेहूँ की गुणों का तो ज्यादा पता नही है परंतु अब गेहूँ के अवगुण जरूर सामने आने लगे है, ग्लूटेन एलर्जी इनमे सबसे अधिक मुख्य है।
ग्लूटेन के कारण ही गेहूँ के आटे में लोचपन आता है, जिसके कारण इसकी रोटी बिना फटे अच्छे से बेली जा सकती है और इसकी रोटियां पतली भी बनती है।
अब बाजार में अनेकों प्रकार के भ्रम भी प्रचारित हो रहे है। यथा-
1. फलाना गेहूँ ग्लूटेन से मुक्त है।
2. फलाना गेहूँ शुगर फ्री है, आदि।
गेहूँ की 4 प्रमुख प्रजातियां अभी भारत में उगाई जा रही है।
ट्रिटिकम एस्टीवम: सामान्य चपाती वाला गेहूँ। जिसमे आपकी ज्यादातर किस्म सम्मिलित है। मुख्य रूप से यही गेहूँ भारत में प्रमुखता से उगाया जाता है।
ट्रिटिकम ड्यूरम: कठिया गेहूँ, जिसमें सूजी एवं दलिया के लिए अच्छा प्रोटीन सामान्य गेहूँ की तुलना में अधिक मात्रा में होता है। इसका उत्पादन भी अच्छा है, लेकिन इसकी रोटियां अच्छी नहीं बनती है। इसलिए यह अच्छा होते हुए भी रोटी में इस्तेमाल बहुत कम होता है। लेकिन दलिया, बाटी, बाफले, सूजी आदि के लिए यह बहुत अच्छा होता है।
ट्रिटिकम : खप्ली गेहूँ ग्लूटेन कम और फाइबर अधिक होने के चलते इसकी रोटी बहुत अच्छी नहीं होती है। लेकिन यह स्वास्थ्य के लिए बेहतरीन माना जाने के कारण आजकल इसकी काफी खपत बढ़ रही है। हालांकि, उत्पादन कम होने के कारण बहुत कम लोग इसे उगाते है, परंतु इसकी मांग अधिक होने के चलते किसान को इसका भाव काफी अच्छा मिल जाता है।
ट्रिटिकम स्फेरोकोकमः यह भी भारतीय गेहूँ की एक खास प्रजाति है। खाने में इसका स्वाद काफी अच्छा होता है। हालांकि इसका उत्पादन भी कम होता है इसलिए कुछ चुनिंदा किसान ही इसे उगाते है परंतु मांग अधिक और आपूर्ति कम होने के कारण किसान को इसके अच्छे भाव मिल जाते है अगर वह इसे सीधे उपभोक्ता तक पहुंचा सके।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।