समय के अनुसार आवश्यक परिवर्तन करें      Publish Date : 20/10/2024

                         समय के अनुसार करें आवश्यक परिवर्तन

                                                                                                                                                            प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

हमारा देश मजबूत, समृद्ध और संपन्न हो तथा इसे सर्वाेच्च सम्मान प्राप्त हो।  ऐसे सम्मान के लिए आवश्यक योग्यता हमे प्राप्त करनी होगी।हमारे पास ऐसी सामाजिक संरचना हो जिसमें प्रत्येक व्यक्ति अपने आप को सर्वाेच्च स्तर तक विकसित कर सके। यह तभी होगा जब हमारा व्यवहार अंतर्ज्ञान, परस्पर प्रेम और अभिन्न भावनाओं के साथ सहयोग से उत्पन्न होगा।

आर्थिक और अन्य सभी प्रकार की समस्याओं को हल करने में सक्षम व्यवस्था का निर्माण करना होगा। सांस्कृतिक दृष्टिकोण के माध्यम से राष्ट्रीय समस्याओं को हल करने का यही तरीका है, यह विचार समझना उतना कठिन नहीं है जितना लगता है। एक बार जब यह विचार हमारे दिलों में बोया जाता है, तो विचार को साकार करने के लिए प्रासंगिक परिवर्तन करने की इच्छा होती है।

यह आवश्यक है कि प्रत्येक व्यक्ति में हमारे राष्ट्र को मजबूत, समृद्ध, उज्ज्वल और खुशहाल बनाने की क्षमता हो। अपना व्यवहार अपनी स्वाभाविक प्रवृत्ति का परिणाम होना चाहिए, किसी के आग्रह और दबाव के कारण नहीं। बेहतर होगा कि हम अपने मन से पूछें कि हमने इस दिशा में कितनी प्रगति की है और कितनी सफलता मिली है? आप भी निश्चित रूप से सहमत होंगे कि आपके आदर्शों के अनुरूप वांछित परिवर्तन अभी भी बहुत दूर है।

हम सफल कैसे हो सकते हैं? तभी सफल होंगे जब हम निःस्वार्थता के मार्ग पर चलेंगे। समाज के हित के लिए निःस्वार्थ भाव से काम करने की मानसिकता से व्यक्तित्व विकसित होगा और इससे कुछ भी कम काम नहीं चलेगा, स्वयं को समाज की सेवा का अनुभव मिलेगा, जहाँ स्वार्थ के लिए कोई जगह नहीं है।

मन में तरह-तरह के विचार आते हैं, वे कुछ संघर्ष भी पैदा करते हैं। फिर भी स्नेहपूर्ण काम करने की शिक्षा और प्रेरणा प्राप्त करते रहना होगा। इस काम में कोई सत्कार नहीं है, कोई शेखी नहीं है, कोई खुशी व्यक्त करने वाला नहीं है,अगर कुछ है तो सिर्फ़ दुख, त्याग और मेहनत। 

यह काम अपने पारिवारिक दायित्वों को पूरा करते हुए करना है, लेकिन  इस तरह के काम से जो प्रसन्नता मिलती है वह किसी और काम से नहीं मिल सकती। यह हमारे कर्तव्य की रूपरेखा है, जहाँ हम संयमित विचार रखते हैं तथा वाणी और व्यवहार से ईमानदारी का परिचय देते हैं। यह व्यवस्था व्यक्ति में दुर्गुणों को समाप्त करती है तथा सामाजिक गुणों का विकास करती है।

आज यह अत्यंत आवश्यक है कि सभी लोग विश्वास और ईमानदारी से भरे मन से कुछ हद तक सफलता प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयास करें। ऐसी व्यवस्था हमें सही रास्ते पर ले जाएगी, जहाँ स्नेहपूर्ण सामाजिक जीवन प्राप्त किया जा सकेगा तथा सभी विविधताओं में एकता की अभिव्यक्ति होगी।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।