किसानों की समृद्वि एवं आय वृद्वि के लिए रसभरी की खेती      Publish Date : 19/10/2024

        किसानों की समृद्वि एवं आय वृद्वि के लिए रसभरी की खेती

                                                                                                                                 प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 अरविन्द राणा

राजस्थान के कुछ किसानों लगभग 8 साल पहले साझेदारी में रसभरी के फल की खेती करके अपने जीवन में मिठास भर रहे है। इस खास फल की खेती से आज यह किसान सालाना लाखों रूपये का मुनाफा कमा रहे हैं।

                                                                

खेती में समय के साथ अपनाए गए नए-नए तरीकों के माध्यम से न केवल किसानों की आमदनी बढ़ रही है, बल्कि उन्हें अन्य किसानों के बीच प्रगतिशील किसान की पहचान भी मिल रही है।ऐसे ही करौली जिले के सलेमपुर गांव के एक किसान हैं, जिन्होंने 8 साल पहले उत्तर प्रदेश के एक किसान के साथ मिलकर अमेरिका में बहुतायत में उगाई जाने वाली रसभरी की खेती शुरू की। इससे उन्होंने न सिर्फ अपनी खेती में बदलाव लाया बल्कि अपने जीवन में भी मिठास भर ली है।

अब यह दोनों किसान साझेदारी में रसभरी की खेती करने के बावजूद भी सालाना लाखों रुपए का मुनाफा कमा रहे हैं। पहले गेहूं - सरसों की फसलों की खेती करने वाले किसान फूल सिंह मीणा का कहना है कि उन्होंने रसभरी की खेती को 8 साल पहले उत्तर प्रदेश के किसान लोकश कुमार के साथ मिलकर अपनी 2 बीघा जमीन में शुरू की थी, जिसके बाद आज उनकी लाखों में आमदनी हो रही है।

किसान फूल सिंह मीणा ने बताया कि पहले वह भी परंपरागत खेती पर ही निर्भर थे, जिससे उन्हे अपने बच्चों को भी पालना मुश्किल था, लेकिन रसभरी की यह खेती उनके जीवन में खुशियों की सौगात लेकर आई है, जिसके बाद आज वह 5 बीघा जमीन में रसभरी की खेती कर सालाना लाखों रुपए कमा रहे हैं।

                                                            

इन दोनों किसानों का कहना है कि रसभरी की खेती के माध्यम से एक बीघा जमीन में ही दो लाख से ज्यादा रुपए की आमदनी हो जाती है और अब तो हम रसभरी की खेती को 10 बीघा जमीन में करने जा रहे हैं जिससे ज्यादा नहीं तो करीब 20 से 25 लाख की इनकम तो खर्चा पानी काटपीट कर हो ही जाया करेगी।

रसभरी की खेती करने में मेहनत तो परंपरागत खेती से भी ज्यादा करनी पड़ती है, लेकिन परंपरागत खेती के बजाय रसभरी की खेती में मेहनत का फल भी 4 गुना से अधिक मिलता है। राजस्थान के किसान फूल सिंह मीणा ने बताया कि वी हर साल रसभरी की खेती को जुलाई माह में लगाते हैं, जिसके बाद जनवरी माह में फल आना शुरू हो जाता है और फिर 3 महीने लगातार यह फल आता रहता है।

इन दोनों किसानों ने बताया कि हमारे खेत में उगने वाली यह पीली रसभरी दिल्ली, मुंबई, ग्वालियर सहित राजस्थान में केवल अजमेर में ही जाती है और हमारे इस फल की मंडियों में भी अन्य रसभरी के बजाय अच्छी डिमांड भी रहती है।

रसभरी की खेती के लिए यह दोनों किसान अच्छी क्वालिटी का बीज भी दिल्ली और मुंबई से लेकर आाते हैं। रसभरी की खेती के लिए 3 बार पानी तो लगता ही है परन्तु वहीं खरपतवार के चलते इसके पौधों की तीन से चार बार निदाई व गुड़ाई जरूर करनी पड़ती है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।