अपने व्यक्तिगत गुणों का विकास करें Publish Date : 12/10/2024
अपने व्यक्तिगत गुणों का विकास करें
प्रोफेसर आर एस सेंगर
जब हम इस संसार में आते हैं, तो अनेक बाधाएँ हमारी परीक्षा लेती हैं और इस प्रकार के अनेक उदाहरण हमारे सामने हैं। हमारे देश और समाज में उच्च आदर्शों की परिकल्पना की गई, इसके लिए सभी प्रकार की उपलब्ध सुविधाओं का भरपूर उपयोग किया गया और विकास के नाम पर दिखावा किया गया, लेकिन सह सभी कुछ आम आदमी की दुर्दशा की कीमत पर ही किया गया।
आज स्थिति यह है कि प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी भ्रष्टाचार, प्रलोभन या स्वार्थ के कारण अपनी सही दिशा खो बैठा है। राष्ट्र के प्रति सच्ची भक्ति के निस्वार्थ मार्ग पर अब कम लोग ही बचे हैं, लेकिन उनके पास सत्य में इतनी शक्ति है कि हमे बहुत कुछ अच्छा होता दिखाई देता है।
साधारण समाज अपने स्वार्थों में इतना व्यस्त होता है कि उसे राष्ट्र की चिंता करने का समय ही नहीं मिल पाता है। इससे पता चलता है कि यदि राष्ट्र निर्माण के साथ ही चरित्र निर्माण पर उचित ध्यान नहीं दिया जाता, तो वह व्यर्थ है। यदि हम अपनी कार्यप्रणाली का विश्लेषण करें, तो हमें सभी कठिनाइयों को नजरअंदाज करते हुए चरित्र निर्माण कर किसी व्यक्ति की पूरी क्षमता का पता लगाने की एक अनूठी प्रणाली मिलेगी।
हमारी विचारधारा आध्यात्मिक और लौकिक दोनो ही प्रकार के विकास की वकालत करती है और प्राचीन समय में हमने देखा भी है कि सोने चांदी के पात्र में भोजन करते हुए जीवन जीने वाला व्यक्ति अपना सर्वस्व दान कर संन्यास के लिए स्वयं को प्रस्तुत कर देता रहा है और भारत का इतिहास यही रहा है।
अतः ऐसी व्यवस्था अपनायी जाए जो चरित्र निर्माण पर ध्यान केंद्रित न करे और जो देशप्रेम के विपरीत सभी बुराइयों जैसे घमंड, स्वार्थ, अहंकार, सत्ता के लालच के लिए उपजाऊ जमीन बनाये; और हम राष्ट्र और समाज के निर्माण के लिए एक आदर्श स्थिति की कल्पना करें।
क्या यह धारणा शानदार नहीं है? यह धारणा बहुत ही आकर्षक है, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह संभव है? हम राष्ट्र और समाज की सेवा करके अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में विश्वास करते हैं। हम स्नेह और सहानुभूति से सबके साथ चलते हुए आगे बढ़ें इसके लिए जिस प्रकार के चरित्र की आवश्यकता है हम उस चरित्र का ही विकास करें।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।