श्री अन्न के माध्यम से अन्नदाता को धनश्री बनाने का प्रयास      Publish Date : 07/10/2024

      श्री अन्न के माध्यम से अन्नदाता को धनश्री बनाने का प्रयास

                                                                                                                                                                 प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

कृषि उत्पादन तथा किसान की आय को बढ़ाने के लिए भारत सरकार के द्वारा विभिन्न घोषणाएं की गई थी। ग्रीन ग्रोथ को सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल बताया गया है। इस क्षेत्र में स्टार्टअप को बढ़ावा देने और मोटा अनाज, जिसको श्री अन्न का नाम दिया गया था और इनका उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया गया था। सरकार की ओर से कृषि और किसानों को डिजिटल और हाईटेक बनाने पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। कृषि फंड की स्थापना की भी घोषणा की गई थी, जिसका एक अहम हिस्सा किसानों के विकास के लिए कहा जा सकता है।

                                                       

वर्तमान में कृषि वैज्ञानिकों तथा सरकार का प्रयास है कि कृषि उत्पादन को अधिक से अधिक बढ़ाया जाए, इसके लिए निजी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए भी कई अहम घोषणाएं सरकार द्वारा अभी की जानी बाकी है। कृषि क्षेत्र और किसान का भला किसी क्षेत्र में अधिक मात्रा में निजी निवेश से ही हो सकेगा।

खेती में जरूरी वृद्धिकारण भी निजी निवेश के माध्यम से ही संभव है। विकसित भारत के सपने को हकीकत में बदलने के लिए खेती किसानी में आमूल चूल परिवर्तन करने की आवश्यकता सिदत से महसूस की जा रही है चाहे वह फोरीतौर पर यह बदलाव कृषि ऋण की व्यवस्था करने से संभव नहीं हो पाएगा। हमें अपने किसानों को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाना ही होगा।

                                                             

किसान और कृषि तभी सशक्त हों सकेंगे, जब इसमें आधुनिकता और विविधता का समागम होगा। आज भारत के सामने मोटा अनाज उत्पादन में दुनिया की मदद करने का बहुत बड़ा और स्वर्णिम अवसर मौजूद है। आम बजट में भी सरकार ने इस पर काफी जोर दिया था। अतः उम्मीद की जानी चाहिए कि इसके भविष्य में इसके बेहतर नतीजे हमारे कृषक समाज के सामने आ सकेंगे।

बेहतर स्वास्थ्य के लिए हमारे देश में मोटे अनाज की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। सरकार ने मोटे अनाज का उत्पादन बढ़ाने पर फोकस किया था। सरकार का इरादा मोटे अनाज मामले में भारत को वैश्विक हब बनाने का है। भारत के लिए यह संभव है और भविष्य में मोटे अनाज की मांग में तेजी से वृद्धि होने की संभावना भी व्यक्त की जा रही है। बेहतर स्वास्थ्य के लिए दुनिया में मोटे अनाज की मांग बढ़ी है।

                                                                   

मोटे अनाज के उत्पादन में लागत बेहद कम आने के कारण भी लोग इस और आकर्षित हो रहे हैं, क्योंकि इनके उत्पादन के लिए दूसरी फसलों की तुलना में पानी और रासायनिक खाद की बहुत कम जरूरत पड़ती है। ऐसे में किसान कम लागत पर इनके माध्यम से अधिक मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन उसी तरीके से इस बात का ध्यान रखना होगा कि इसके विपणन की व्यवस्था अधिक से अधिक की जाए, जिससे किसान अपने उत्पाद को आसानी से बाजार में उचित कीमत पर बेच सकें।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।