सेहत के लिए जौ है लाभकारी      Publish Date : 27/09/2024

                         सेहत के लिए जौ है लाभकारी 
                    

                                                                                                                                                    प्रोफसर आर.एस. सेंगर
जौ , विष्व में हजारों वषों से उगाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण अनाज है । वैष्विक परिवेष में जौ की फसल उत्पादन एवं क्षेत्रफल की दृष्टि से धान गेहूं एवं मक्का के बाद चैथे स्थान पर है। संस्कृत में इस ‘यव‘ के अतिरिक्त अन्य भाषाओं में जव, वियाम, आरिसि, तोसा एवं चीनी आदि नाम से जानते हैं। आधुनिक विज्ञान द्वारा इसमें पाए जाने वाले अनेक गुणों के कारण जौ को ‘ अनाज का राजा‘ भी कहा जाता है। पिछले कुछ दषकों से मानव स्वास्थ्य के लिए जौ के लाभकारी गुणों का पता चला है। विकासषील देषों के बदलते परिवेष में ष्षकाहारी भोजन की तरफ बढ़ाता लोगो का रूझान तथा खानपान की आदतों में बड़े पैमाने पर बदलाव, एवं प्रसंस्करित खाद्य के रूप् में उपलब्धता आदि के कारणों से वैष्विक स्तर पर खाद्य जौ की खपत में तेजी से वृ़िद्ध हो रही है।  

                                                                
भारत मेें जौ की खेती उत्तरी पर्वतीय क्षेत्र, उत्तर - पूर्वी मैदानी क्षेत्र एवं मध्य, लवणतायुक्त क्षारीय भूमि, सिचाई जल की कम उपलब्धता एवं बारानी क्षेत्रों में भी जौ की अच्छी पैदावार ली जा सकती है। वर्ष 20220 - 21 के दौरान भारत में  जौ का उत्पादन लगभग 1ण्82 मिलियन टन रहा। देष में छिलका सहित एवं छिलकारहित दो तरह की जौ का उत्पादन किया जाता है। दोनांे ही प्रकार के पौ िटकता से भरपूर होते है। प्रौद्योगिकी के इस दौर में वैष्विक बाजारों में 6 प्रकार के प्रसंस्करित जौ की उपलब्धता है।


जौ के मूल्य सवंर्द्धित उत्पाद

                                                                 
जौ से निर्मित खाद्य एवं पेय उत्पाद भारत के ग्रामीण ष्षहरी परिवेष मंे सामाजिक, आर्थिक व सांस्कृतिक जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग रहे हैं। देष में पांरपरिक रूप  से जौ का उपयोग मनुष्य  के लिए खाद्य पदार्थ ( आटा, दलिया, ब्रेड, सूजी, सत्तू, फलेक्स, बिस्कुट, ष्षीतल पेय पदार्थ व अन्य स्वादश्टि  व्यंजन) पषु  आहार एवं इसके अर्क व सीरप का प्रयोग व्यावसायिक रूप से तैयार किए गए खाद्य एवं मादक पेय पदार्थों में स्वाद, रंग या मिठास मिलाने के लिए किया जाता रहा है। जौ को विभिन्न औष्धियों के निर्माण में भी काफी उपयोगी माना गया है । खासकर मूत्र विकार से संबंधित डायूरेटिक सीरप बनाने में इसका प्रयोग बहुत पहले से किया जा रहा है। जौ का उपयोग षिषु आहार बनाने में बड़े पैमाने पर किया जाता है। अतरू बच्चों के ष्षारीरिक विकास के प्राम्भिक दौर में जौ आधारित पेय जैसे - माल्टोवा, बूस्ट बोर्नवीटा, हांर्लिक्स, अमूल (प्रो) आदि का सेवन लगातार बढ़ रहा है। इसके औद्योगिक महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि देष में उत्पादित जौ का लगभग 25 - 30 प्रतिषत उपयोग माल्ट बनाने में होता है। इस माल्ट बनाने में होता है। इस माल्ट का उपयोग बीयर (60 प्रतिषत) ,षक्तिवर्धक पेय (25 प्रतिषत ), दवा (7 प्रतिषत ) और माल्ट व्हिस्की (8 - 7 प्रतिषत )  बनाने में किया जाता है। इन सबके अतिरिक्त जौ का उपयोग कैंडी, चाॅकलेट एवं ऊर्जावर्धक पेय बनाने में भी किया जा रहा है। अन्य खाद्य फसलों की तुलना में उच्च आहार रेषा और कम वसा होने के कारण इसके स्वास्थ्य संबंधी लाभ, जौ के उपयोग के महत्व को और भी अधिक प्रबल बनाते है। 


जौ में पोषक  तत्वों की उपलब्धता 


कार्बोहाइड्रेट, प्रोटिन, वसा, जस्ता, लोहा, कैल्षियम, मैग्नीषियम, सेलेनियम, विटामिन बी - काॅम्प्लेक्स एवं कई तरह के एंटीआॅक्सीडेन्ट का भरपूर स्रोत होने के कारण इसे एक लाभदायक अनाज के रूप में जाना जाता है। उपरोक्त संदर्भ में यह कहा जाता सकता है कि आप यदि जौ उत्पादांे को अपने दैनिक आहार में ष्षामिल कर सकते है। अथवा जौ आधारित उत्पादों को औश्धि के रूप् में सेवन कर सकते हैं तो आपको भरपूर स्वास्थ लाभ मिलेगा। जौ में उपलब्ध पो क तत्वों की मात्रा का विस्तृत विवरण सारणी में दिया गया है। 
जौ आधारित उत्पादों में पोषक तत्वांे का विश्लेषण 
 जौ आधारित उत्पाद पोषण संबंधी विकारों को पूरा करके मानव कोशिका, रक्त, ऊतकांे एवं अगों को क्षति पंहुचाने वाले अवशेषों को हटाकर अधिक ऊर्जा प्रदान करते हैं।  

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।