किचन गार्डन में टमाटर से लेकर पालक तक, उगाएं स्वादिष्ट और सेहतमंद जैविक सब्जियां      Publish Date : 22/09/2024

किचन गार्डन में टमाटर से लेकर पालक तक, उगाएं स्वादिष्ट और सेहतमंद जैविक सब्जियां

                                                                                                                                प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी

आप बागवानी के शौकीन हैं और किचन गार्डनिंग करते हैं तो घर पर सब्जियां उगाने का यह एक बेहतरीन अवसर है। घर के बागीचे यानी कि किचन गार्डन में उगाई गई सब्जियां न केवल ताजगी और स्वाद में बेहतर होती हैं, बल्कि इनमें किसी भी प्रकार के कीटनाशक का प्रयोग भी नहीं किया जाता, जिसके चलते यह सब्जियां आपकी सेहत के लिए भी बेहतर साबित होती है।

                                                                

किचन गार्डन के अन्तर्गत टमाटर, विशेषकर चेरी और सन गोल्ड टमाटर, गमलों में आसानी से उगाए जा सकते हैं। टमाटर के पौधों को दिन में 6 से 8 घंटे की धूप की आवश्यकता होती है, अतः टमाटर को छायादार स्थान पर नहीं लगाना चाहिए। टमाटर के पौधों पर फल लगने में 60-70 दिन लगते हैं और इस दौरान बांस की डंडियों का सहारा देकर पौधों को मजबूती से बांधना बहुत जरूरी होता है, ताकि फलों का वजन पौधों को गिरा न सके।

कुछ गार्डनर (माली) बताते हैं कि, गमलों में छोटे हरे बैंगन, इंडियन बैंगन और गुलाबी गोल बैंगन उगाना भी संभव है। बैंगन के पौधों को पर्याप्त प्रकाश और धूप की जरूरत होती है, इसलिए इन्हें धूप में ही रखना चाहिए। मिट्टी में नमी बनाए रखना भी महत्वपूर्ण होता है, जिससे पौधे पूरी तरह से स्वस्थ रह सकें और अच्छी पैदावार दे सकें।

                                                                

लेट्यूस, जिसे सलाद पत्ता के नाम से भी जाना जाता है। इसे गमलों में लगाने के लिए लोलो और रेड रोज जैसे विभिन्न प्रजातियां उपलब्ध हैं। लेट्यूस को छाया में रखना आवश्यक होता है और इसे अपनी अच्छी बढ़वार करने के लिए अधिक मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है। अतः नियमित रूप से पानी देने से इसके पौधे काफी तेजी के साथ बढ़त हासिल कर पाते   हैं।

स्वीट पेपर और चिली हॉट पेपर जैसी मिर्चों को भी गमले में लगाना अत्यंत लाभकारी सिद्व होता है। जैविक खाद के कारण किचन गार्डन की मिर्च बाजार की मिर्चों की तुलना में अधिक तीखी और स्वादिष्ट होती हैं। पौधों को अच्छी धूप मिलनी चाहिए, ताकि उनका विकास सही तरीके से हो सके।

धनिया उगाने के लिए खड़े सूखे बीजों को गमले की नम मिट्टी में डाल देना चाहिए। पौधों के लिए गोबर की खाद, केंचुआ खाद और नीम की खली का मिश्रण तैयार कर प्रत्येक 15 दिन के अन्तराल पर मिट्टी में मिलाना आवश्यक होता है।

                                                     

इसके अलावा, चिन गार्डन में नियमित निराई-गुड़ाई भी करते रहना चाहिए, जिससे पौधों के आस-पास खरपतवार न उग सकें। कीटों और रोगों से बचाव के लिए जैविक कीटनाशक जैसे नीम का तेल और गोमूत्र आदि का उपयोग समय-समय पर करते रहना भी जरूरी होता है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।