गन्ने की फसल का प्रमुख विनाशक टिड्ढ़ा Publish Date : 17/09/2024
गन्ने की फसल का प्रमुख विनाशक टिड्ढ़ा
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
टिड्डे गन्ने की फसल के लिए एक गंभीर समस्या हैं, टिड्डी का वजन महज 2 ग्राम होता है। जगकि एक टिड्डी खाती भी इतना ही है। लेकिन, जब यही टिड्डी लाखों-करोड़ों की तादाद में झुंड बनाकर फसल पर हमला कर दे, तो चंद मिनटों में ही पूरी की पूरी फसल बर्बाद कर सकते है। यह बड़ी संख्या में एक साथ हमला करते हैं और फसल को चंद मिनटों में नष्ट कर देते हैं। जानकारों के अनुसार, एक टिड्डी दिनभर में 100 से 150 किमी तक उड़ सकती और 20 से 25 मिनट में ही पूरी फसल बर्बाद कर सकती है।
टिड्डे गन्ने की पत्तियों को खाकर उन्हें नष्ट कर देते हैं। इससे पौधे की प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया प्रभावित होती है। कई बार टिड्डे गन्ने के तने को भी काट देते हैं, जिससे पौधा सूख जाता है। टिड्डों के हमले से गन्ने की उपज में काफी कमी आ जाती है. ऐसे में जरूरी है कि किसान सितंबर के महीने में गन्ने में टिड्डे देखने पर तुरंत नियंत्रित करें। किसान रासायनिक तरीके से भी टिड्डो का खात्मा कर सकते हैं।
पत्तियां पड़ जाती हैं पीली
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रोद्योगिक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आर. एस. सेंगर ने बताया कि मानसून के दिनों में गन्ने की फसल पर टिड्डे हमला कर देते हैं। इनकी संख्या काफी ज्यादा होती है, तो यह ऊपर की 4 से 5 पत्तियों में छेद कर देते है जिसकी वजह से पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं। प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया प्रभावित होती है। गन्ने के पौधे की बढ़ावार रुक जाती है। इससे चीनी के परता में भी गिरावट आती है और गन्ने की गुणवत्ता भी खराब हो जाती है। इसलिए यह आवश्यक है कि समय पर टिड्डों का नियंत्रण किया जाए।.
कैसे करें टिड्डों का नियंत्रण?
डॉ सेंगर ने बताया कि गन्ने की फसल में टिड्डे देखे जानें पर किसान 450 एमएल प्रोफ़ेनोफ़ॉस 40% ईसी + सायपरमैथ्रीन 4% ईसी (Profenofos 40% + Cypermethrin 4%) दवा लेकर उसे 1000 लीटर पानी में घोल लें। यह घोल एक हेक्टयर फसल में छिड़काव करने से गन्ने में कीटों का नियंत्रण हो जाता है। अगर दोबारा से टिड्डों का प्रकोप दिखे तो किसान इतनी ही मात्रा में दवा का घोल बनाकर फिर से छिड़काव कर सकते हैं। इससे किसानों की गन्ने की फसल पूरी तरह से सुरक्षित हो जाती है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।