अब हमारे देश में आ रहा है भड़ास और रेंज रूम का कॉन्सेप्ट

         अब हमारे देश में आ रहा है भड़ास और रेंज रूम का कॉन्सेप्ट

                                                                                                                                                             प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

आखिर क्या है रेंज रूम या भड़ास रूम

                                                                    

लगभग 100 से 1000 वर्ग फीट वाले कमरे में बनाया जाता है भड़ास या रेंज रूम। इस रूम में पुराने कीबोर्ड वाले टीवी, कांच के गिलास, कुछ फर्नीचर्स, ऐसे पुराने टीवी जो खराब हो चुके हैं, उनको लटका दिया जाता है। इसके साथ ही कुछ विशेष चित्रों से सजे पंचिंग बैग भी लगाए जाते हैं। यहां हथौड़े और डंडे के साथ आत्मरक्षा के लिए पहचाने जाने वाले उपकरण जैसे सेफ्टी सूट से भूत चेहरा बनाने के लिए शील्ड, चश्मा आदि भी रखे जाते हैं। इन सुरक्षा उपकरणों से लैस होने के बाद लोग हथियार की मदद से पुरानी चीजों को तोड़ते हैं और उन टूटने की आवाजों में कुंठा दबाये हुए गुस्से से मुक्ति की राह खोजते हैं और अपनी दबी हुई भड़ास निकालने की कोशिश करते हैं।

क्या लाभ है इस भड़ास और रेंज रूम का

भारत के विभिन्न शहरों में रेंज रूम चैन बनाने के लिए लोग लगातार आगे आ रहे हैं। रेंज रूम में कोई आपको जज नहीं करता, गुस्सा पीने या सहमत होने की सलाह नहीं दी जाती, बस आपके भीतर छुपे हुए दर्द से मुक्त होने का साधन दिया जाता है। यह इसकी लोकप्रियता का एक बड़ा कारण बनता जा रहा है, क्योंकि कुछ लोग गुस्से के कारण अपने घरों में रखी हुई चीजों को नुकसान पहुंचाते हैं और तोड़फोड़ करते हैं और कभी-कभी तो अपने परिवार के लोगों पर भी हमला कर देते हैं। यदि आपको अपनी दबी हुई भड़ास को निकालना है और अपने गुस्से को ठंडा करना है तो आप रेंज रूम या भड़ास रूम में जाकर अपने गुस्से को शांत कर सकते हैं।

                                                                        

 आप इसे इस तरह समझें कि अपने भीतर छुए हुए दर्द से मुक्त होने का रेंज रूम और भड़ास रूम एक बड़ा साधन बन चुका है और यही इसकी लोकप्रियता का एक बहुत बड़ा कारण है। इंदौर स्थित कैसे भड़ास नमक रेंज रूम के संस्थापक अतुल मालिकराम कहते हैं कि गुस्सा, कुंठा और तनाव भीतर किसी कोने में दबाने से कहीं अच्छा है कि उसे तुरंत बाहर निकाल देना चाहिए अन्यथा जीवन में बड़ी स्वास्थ्य चुनौतियों के लिए तैयार रहना पड़ता है।

रेंज रूम में होने वाली प्रमुख गतिविधियां

  • ब्रेकअप के बाद, उभरने वाली भावनाओं से राहत पाने के लिए ‘‘ब्रेकअप थेरेपी’’।
  • कार्यस्थल से उपजे तनाव से निपटने के लिए थेरेपी।

कितनी फीस है रेंज रूम या भड़ास रूम की

रेंज रूम या भड़ास रूम की फीस 500 से 2500 रुपए तक प्रति व्यक्ति हो सकती है और यह 15 से 30 मिनट तक का सत्र हो सकता है। यहां प्रवेश की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष रखी गई है। रेंज रूम या भड़ास रूम में बोतल, कप, टीवी, कांच का गिलास और कटोरी आदि आपके द्वारा तोड़ने के लिए ही रखे जाते हैं।

इसी प्रकार से प्लास्टिक के कुछ सामान तथा पुराने टायर आदि को भी रख लेते हैं, जिससे आपके भड़ास निकालने के दौरान उन पर कोई विपरीत प्रभाव न पड़े।

आपको अपनी भड़ास निकालने के लिए मिल जाता है एक स्थान

रेंज रूम या भड़ास रूम का चलन अब मुंबई, बेंगलुरु, सूरत, कोच्चि, हैदराबाद, इंदौर और चेन्नई जैसे शहरों में अधिक लोकप्रिय हो रहा है। रेंज रूम मनोवैज्ञानिक कैथार्सिस थ्योरी यानी रीजन सिद्धांत पर आधारित होते है। इंडियन साइट्रिक समिति के अध्यक्ष डॉक्टर विनय कुमार रीजन का अर्थ बताते हुए कहते हैं कि राशन यानी भीतर जो कुछ जमा हुआ है वह बाहर निकले चाहे वह दुख है भड़ास है तो उसे बाहर निकाल दें। परन्तु यदि आप बार-बार रेंज रूम आते हैं और समस्या आपके गुस्से में नहीं, बल्कि यह आपके भीतर ही कहीं मौजूद है तो ऐसे लोगों पर नजर रखी जाती है और रेंज रूम के बाहर उनकी काउंसलिंग भी कराई जाती है। बता दें कि तोड़फोड़ करना अपने गुस्से को निकलना रेंज रूम का एक हिस्सा होता ही है लेकिन वहां फंड रूम, म्यूजिक रूम, फूड कॉर्नर, कैफे एवं काउंसलर का भी प्रबंध किया जाता है।

हर वर्ग के लोगों के बीच रेंज रूम अथवा भड़ास रूम हो रहा है लोकप्रिय

रेंज रूम यानी स्मैश रूम या क्रोध कक्ष या भड़ास रूम, अपनी दबी हुई कुंठा, गुस्से या गुब्बार को तत्काल बाहर निकलने के लिए एक उपयुक्त साधन उपलब्ध करा रहा है। रेंज रूम की अवधारणा युवाओं को भी खासी पसंद आ रही है और इसका मुख्य कारण है सुविधा संपन्न युवाओं में बढ़ती अधीरता है। रेंज रूम में जो लड़के या लड़कियां परेशान होकर आते हैं उन्हें रूम में उसको अंदर भेज दिया जाता है। काउंसलर द्वारा निगरानी रखी जाती है, कमरा जो चारों तरफ से बंद होता है उसने अपने आपको उस कमरे को अंदर से बंद कर लिया और उसे किसी तरह से बाहर निकला जाता है। इसके बाद बात करने पर पता चलता कि ब्रेकअप से परेशान वह लड़की आत्महत्या करने वाली थी।

                                                              

रेंज रूम पसंद करने वाले लोगों में महिलाओं की संख्या काफी अधिक है। महिलाओं को भावनात्मक रूप से समझदार बनने की सलाह दी जाती है। अधिक गुस्सा ठीक नहीं आक्रोश व्यक्त करना सही नहीं। इससे वे दबाव में रहती है और अचानक उनके भीतर भरा हुआ गुस्सा फूट पड़ता है। रेंज रूम या भड़ास रूम में उन्हें राहत देने का काम किया जाता है। रेंज रूम की जरूरत ऐसे लोगों को अधिक पड़ सकती है जो किसी पर गुस्सा निकालने की आदी हो चुके होते हैं। एक स्तर के बाद यह स्वास्थ्य तरीका नहीं कहा जा सकता। आपको अपने गुस्से का प्रबंधन करना ही होगा। गुस्सा आने के मूल कारण पर विचार करें और यदि यह समझ ना आए तो अपने मित्रों से परामर्श लें या काउंसलर से मिले।

गुस्सा आपके मस्तिष्क या मन पर दस्तक दें, इससे पूर्व ही इसे संभालने का प्रयास करना चाहिए। इसके लिए आप बाहर दौड़ने निकल जाएं, घर की छत पर टहलने चले जाएं, आउटडोर खेल खेलना शुरू कर दें, हारमोनियम या गिटार घर में हो तो उसको बजा ले। यदि इसके बाद भी गुस्सा आए तो उस समय उसको भूलकर अपने आसपास के कार्यों में व्यस्त हो जाएं।

                                                              

प्रायः देखा गया है कि जिन लोगों को घर, दफ्तर, ट्रैफिक हो या जीवन की जिम्मेदारी होती है इस प्रकार की आपदाएं भी उन्हीं के ऊपर ही आती है और एक छोटा सा पल जब भावनात्मक उबाल व गुस्से पर आपका नियंत्रण नहीं हो पता है तो आप घर में रखी हुई चीजों को फेंकने तोड़ने और मारपीट करने के लिए उतारू हो जाते है। ऐसी जब घटना आपके साथ हो रही होती है तो उसके समाधान के लिए आपको रेंज रूम या भड़ास रूम की जरूरत पड़ती है। वहां पर जाकर आप अपने गुस्से को ठंडा कर सकते हैं, तब आपको समझ में आता है कि इस भड़ास से आपको कुछ नहीं मिलने वाला है केवल नुकसान के अलावा।

जब आपको अपने मस्तिष्क से भड़ास को निकालने के बाद शांत होते हैं तो आपको पता चलता है कि तोड़फोड़ जो आपने इस रेंज रूम में की है उससे आपका नुकसान तो हुआ है परन्तु मिला कुछ भी नहीं है। इस प्रकार यह रेंज रूम और भड़ास रूम आपको एक नया रास्ता दिखाते हैं कि आप गुस्से को शांत कर कर ही कुछ पा सकते हैं। क्योंकि यदि गुस्से में कोई कदम उठाते हैं तो वह आपके लिए ही नहीं आपके परिवार के लिए भी घातक और नुकसानदेह हो सकता है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।