ढैंचा से बिना यूरिया खाद होगी, खेती और खरपतवार भी नहीं होगी      Publish Date : 05/09/2024

ढैंचा से बिना यूरिया खाद होगी, खेती और खरपतवार भी नहीं होगी

                                                                                                                                                    प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

ढाँचे के बीज को खेत में डालने फसल का उत्पादन होगा बम्पर और मिट्टी भी होगी अधिक उपजाऊ। अब बिना यूरिया खाद के होगी खेती, खरपतवार भी नहीं होगी, फसल का उत्पादन होगा बम्पर, इसके बीज खेत में डालें तो मिट्टी भी होगी अधिक उपजाऊ।

यूरिया खाद का खर्चा कैसे बचाएं

                                                      

किसी भी फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए किसान यूरिया खाद (नाइट्रोजन) का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन यूरिया जैव उर्वरक नहीं माना जाता है अतः इसके अपने कुछ हानिकारक प्रभाव होते हैं और साथ यह सेहत के लिए भी लाभदायक नहीं माना जाता है। परन्तु यूरिया के स्थान पर किसान ढैंचा की बुवाई हरी खाद के रूप में कर सकते हैं। ढैंचा के बीज 50-60 रुपए प्रति किलोग्राम मिल जाते हैं। इसकी खेत में बुवाई करके किसान खेतों में नाइट्रोजन की कमी पूरी कर सकते हैं।

जिससे उन्हें यूरिया खाद की जरूरत नहीं पड़ेगी और यूरिया का पैसा भी बच जाएगा। आपको बताते हैं ढैंचा की खेती करने पर कैसे मिलता है किसानों को फायदा।

उत्पादन होगा बम्पर

ढैंचा, जिसे हरी खाद भी कहा जाता है, अगर किसान अपने खेतों में इसकी बुवाई करते हैं तो मिट्टी में नाइट्रोजन की कमी पूरी हो जाती है। ढैंचा की जड़ की गाँठ में नाइट्रोजन का भंडार होता है। ढैंचा के इस्तेमाल से किसानों को खरपतवार की समस्या से भी राहत मिलेगी। अतः इसका प्रयोग करने से खेतों में खरपतवार भी नहीं आएंगे। इसके लिए आपको खेतों में ढैंचा बोना है और इस फसल को जमीन में ही दबा देना है। ढैंचा की खेती करने के तरीके और इसके लाभ जानने के लिए आप हमारे इंस्टाग्राम चैनल पर इसका वीडियो भी देख सकते हैं।

ढैंचा के बीज कब बोयें

                                                         

अगर आप ढैंचा की खेती करके मिट्टी को उपजाऊ बनाना चाहते हैं तो बता दे कि इसकी खेती करने के लिए पहले खेत की अच्छे से जुताई कर लेनी चाहिए। उसके बाद जैसे आप सरसों के बीज बोते हैं इस तरह इसके बीच भी लाइन में या फिर छिड़ककर बो सकते हैं। एक से डेढ़ महीने के भीतर पौधे 3 फीट तक लंबे हो जाते हैं। इस तरह हरी खाद ढैंचा की खेत में बुवाई करके किसान यूरिया के इस्तेमाल करने से बच सकते हैं।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।