एआई माध्यम से कम में ज्यादा के सिद्धांत पर कार्यं करें      Publish Date : 26/08/2024

            एआई माध्यम से कम में ज्यादा के सिद्धांत पर कार्यं करें

                                                                                                                                                  प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

ङू मोर लेस टाइम एआई

पिछले एक दशक से भी ज्यादा समय से लोग एआई पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। मैंने पिछले कुछ दशकों में ऐसा देखा जो आसमान था, मैंने इतने वर्षों से पढ़ा और देखा लेकिन पिछले दो दशकों से छात्रों को इस तरह की प्रगति करते हुए नहीं देखा, जैसी उन्होंने एक वर्ष में कर ली है। इसकी वजह क्या है जब उसको जानना चाहा तो पता चला कि उन्होंने पहली बार अपने शिष्यों को प्रोत्साहित किया कि वह एआई का अधिक से अधिक उपयोग करें। छात्रों ने चैटबॉट, कॉपर लाइट और फ्लो विस ए जैसे जेनरेटिव एआई उपकरणों का उपयोग मार्केटिंग, कोडिंग, प्रोडक्ट डेवलपमेंट और शुरुआती ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए किया गया और कक्षाओं के खत्म होने तक तो कई छात्रों का बिजनेस काफी अच्छा चल चुका था।

                                                               

मुझे ऐसा महसूस हो रहा है जैसे कि मैं वर्ष 2000 के मध्य में हूं, जब क्लाउड और मोबाइल क्रांति एक साथ हो रही थी। उनका मानना है कि जेनरेटिव ऐप वैसा ही व्यापक बदलाव ला सकता है। जेनरेटिव आई के चैटबॉट जैसे तो समय के संभावित प्रभाव को लेकर सभी उत्साहित हैं, लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि यह तकनीक आर्थिक गतिविधियों को कब और कैसे प्रभावित करना शुरू करेगी। छोटे व्यवसाय भी यह पता लगाने की कोशिश में है कि इसका प्रभावी उपयोग कैसे किया जाए, लेकिन कुछ लोगों के लिए जेनरेटिव आई पहले ही क्रांतिकारी साबित हो चुका है। यह उन्हें जटिल कोड लिखने और पेचीदा कानूनी दस्तावेजों को समझना सोशल मीडिया पर पोस्ट करने कॉपी संपादित करने और जटिल सवालों के जवाब देने में मदद कर रहा है।

एआईं की मदद से विचारों को जमीन पर उतारने में समय कम लग रहा है। रोजगार परिदृश्य में सुधार और आर्थिक लचीलापन का एक महत्वपूर्ण स्रोत होता है। स्टार्टअप है जो नव प्रबंधन और उत्पादन तक उत्पादकता बढ़ाने में भी योगदान देते हैं जो की जेनरेटिव आई का प्रमुख वादा भी है। जब भी कोई नया काम शुरू किया जाता है तो उसे बढ़ाया भी किफायती हैं, लेकिन एआईं के सहारे बाधाओ से निपटने की आपकी गति बढ़ जाती है। कंपनी अब तक मुनाफा की स्थिति में नहीं पहुंची है लेकिन चैटबजीपीटी ने उन्हें वह आत्मविश्वास दिया, जिसकी बदौलत वह वकीलों और दूसरे विशेषज्ञों को भुगतान किए बगैर अपना काम कर सके। आज आप इंटरनेट की पूरी ताकत का इस्तेमाल कर पा रहे हैं और यह अहसास ही ताकत देता है।

                                                              

आज अगर ज्यादा छोटे स्टार्टअप एआई की ओर उन्मुख हो रहे हैं तो यह कारण नहीं है कि दूर बैठकर आप एआईं के बारे में बेशक कोई भी राय बनाएं, लेकिन जब आप किसी जरूरत में हो तब आप सोच भी नहीं सकते कि एआई आपके लिए किस कदर मददगार साबित हो सकता है। बड़े निवेशक अगर एआईं आधारित स्टार्टअप में अर्बन का निवेश कर रहे हैं तो इसकी वजह है। तमाम शोध बताते हैं कि एआई आधारित उद्योगों में रोजगार सृजन और मुनाफा पैदा करने की ज्यादा संभावनाएं विद्यमान होती हैं।

कहीं एआई का उपयोग अपने विचारों को जमीन पर लाने के लिए किया जा रहा हैं तो कई लोग एआईं स्टार्टअप के संस्थापकों की बुद्धि का विस्तार कर रही है। वह भी बेहद सस्ते में अर्थात एआईं के तहत कम समय के साथ ज्यादा करो यानी ‘डू मोर विद लेस टाइम’ एआईं ही मददगार साबित हो रही है।

जेनरेटिव एआई क्या है

                                                      

जेनरेटिव कृत्रिम बुद्धिमत्ता अर्थात एआई एक एंग्लो रीडिंग है, जिसका उपयोग ऑडियो, कोड, चित्र, टेक्स्ट सिमुलेशनल और वीडियो सहित कई सामग्री बनाने के लिए किया जा सकता है। नवंबर 2022 में चैट जीपीटी के सामने आने के बाद जेनरेटिव एआई ने एक लंबा सफर तय किया है। जेनरेटिव एआई के उपकरण जैसे चैट जीपीटी का मतलब जेनरेटिव पीरियड्स ट्रांसफार्मर है और इमेज जेनरेटिव डीएएलएलएबी में यह क्षमता है कि कैसे विभिन्न कार्य निष्पादन के तरीके बदले जा सकते हैं। लर्निंग आईआईएम और फाउंडेशन मॉडल की अवधारणाएं सामूहिक रूप से जेनरेटिव एआई का आधार बनती है। अब एआई एप्लीकेशन वैश्विक अर्थव्यवस्था में सालाना 44 खराब डॉलर जोड़ सकता है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।