औषधीय गुणों की खान है यह छोटा सा पौधा

                  औषधीय गुणों की खान है यह छोटा सा पौधा

                                                                                                                                                                डॉ0 सुशील शर्मां एवं मुकेश शर्मां

आयुर्वेद में कई पेड़-पौधों और उनसे मिलने वाले पत्ते, फूल, टहनी और छाल आदि का इस्तेमाल कई दवाओं और उपचार में किया जाता है। ऐसा ही एक नाजुक पौधा है छुई-मुई का जो ग्रामीण इलाकों में आपको कहीं भी आसानी से मिल सकता है. इसे लाजवंती के नाम से भी जाना जाता है. छोटा सा दिखने वाला छुई-मुई का पौधा सेहत के लिए वरदान है. इसकी जड़, तना और पत्तियां सब औषधि है।

                                                                              

आयुर्वेद में इस पौधे से कई तरह के इलाज किए जाते हैं। छुई-मुई में एंटी-बैक्टीरियल गुण होता हैं, जिसकी वजह से पेट में हानिकारक कीड़ों और बैक्टीरिया को नष्ट करने में सहायक होता है। डॉ0 शर्मा ने बताया कि कि आम भाषा में छुई-मुई, को लाजवंती भी कहा जाता है।

इसका स्वाद कसैला होता है और यह पौधा कई रोगों से भी हमें बचाता है। आयुर्वेद में लाजवंती के पौधे का इस्तेमाल कई रोगों के उपचार में किया जाता है। यह बवासीर/पाइल्स जैसी बिमारियों को ठीक करने में भी बेहद कारगर साबित होता है।

इसके साथ ही छुईमुई के पत्तों में एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण भी होते हैं जो शरीर के सूजन और दर्द को कम करने में प्रभावी होते हैं। छुईमुई यानी लाजवंती के पौधे में एंटीवायरल गुण होते है, जो पेट के इंफेक्शन को कम करने के साथ ही पेट की कई बीमारियों से राहत देते है।.लाजवंती का पौधा डायरिया की समस्या में भी राहत पहुंचा सकता है।

                                                                                 

डॉ. शर्मा ने बताया कि पाइल्स में छुईमुई काफी फायदेमंद होती है। यह फाइबर से भरपूर होता है जो कि मल त्याग करने की क्रिया को आसान बनाता है और पाइल्स की दिक्कत में कारगर तरीके से काम करता है। पाइल्स की समस्या में इसे पीस कर और इसमें मिश्री मिला कर सुबह खाली पेट सेवन करें। पाइल्स में यह पहले तो बॉवेल मूवमेंट को तेज करेगा और फिर मल त्याग में मदद करेगा।

डॉ. शर्मा ने बताया कि लाजवंती से पेट संबंधी समस्याओं का समाधान भी किया जा सकता है। इसमें एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जिससे पेट में हानिकारक कीड़ों और बैक्टीरिया को खत्म कार देता है। गांवों में लोग लाजवंती की पत्तियों को पीसकर, इसे शहद के साथ खाते हैं जिससे पेट संबंधी कई तरह की समस्याओं का इलाज हो जाता है।

                                                                            

डॉ. शर्मा ने बताया कि छुईमुई के पत्तों में एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं जो सूजन और दर्द को कम करने में प्रभावी होते हैं. इससे चोट, मोच, और गठिया में लगाने से राहत प्राप्त होती है। इसके लिए छुईमुई के पत्तों को अच्छे से धोकर साफ कर लें और पेस्ट बनाकर प्रभावित जगह पर लगाना चाहिए।

लेखक: डॉ0 सुशील शर्मां, पिछले 25 वर्षों से कंकर खेड़ा मेरठ में बतौर आयुर्वेंदिक चिकित्सक के रूप में प्रैक्टिस कर रहे हैं।