टिकाऊ खेती को प्रोत्साहन देगी सरकार

                               टिकाऊ खेती को प्रोत्साहन देगी सरकार

                                                                                                                                                                       प्रोफेसर आर. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी

  • 1.52 लाख करोड़ रुपए कृषि क्षेत्र के लिए घोषित

                                                                              

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को वित्त वर्ष 2024-25 में कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपए के आवंटन की घोषणा की। लोकसभा में 2024-25 का बजट पेश करते हुए सीतारमण ने कहा कि अनुसंधान, टिकाऊ खेती को बढ़ावा देने, तिलहन और दलहन उत्पादन को बढ़ाने और कृषि परिदृश्य में प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने के लिए व्यापक योजना की रूपारेखा तैयार की गई है।

अपने बजट भाषण में, सीतारमण ने उत्पादकता बढ़ाने और जलवायु-सहिष्णु फसल किस्मों को विकसित करने के लिए कृषि अनुसंधान ढांचे की गहन समीक्षा की आवश्यकता पर बल दिया।

वित्त मंत्री ने कहा, हमारी सरकार उत्पादकता बढ़ाने और जलवायु-सहिष्णु किस्मों को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कृषि अनुसंधान श्सेटअपश् की व्यापक समीक्षा करेगी। शोध निधि चुनौती आधारित होगी और निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए खुली होगी, जिसमें किसी विशेष क्षेत्र के विशेषज्ञ शोध के संचालन की देखरेख करेंगे।

                                                                       

किसानों की जल्द ही 32 खेती और बागवानी फसलों में 109 नई उच्च उपज वाली, जलवायु सहिष्णु किस्मों तक पहुंच होगी। मंत्री ने महत्वपूर्ण फसलों में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए दलहन और तिलहन पर केंद्रित योजनाओं का खुलासा किया, जिसका उद्देश्य उत्पादन, भंडारण और विपणन बुनियादी ढांचे को मजबूत करना है। सीतारमण ने कहा, अंतरिम बजट में घोषित की गई रणनीति के अनुसार, सरसों, मूंगफली, तिल, सोयाबीन और सूरजमुखी जैसे तिलहनों के लिए ‘आत्मनिर्भरता’ हासिल करने के लिए एक रणनीति बनाई जा रही है।

अनुसंधान और फसल विविधीकरण पर सरकार का जोर टिकाऊ खेती के तरीकों को बढ़ावा देने के साथ-साथ आता है। मंत्री ने अगले दो वर्षों में एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती के तहत लाने की पहल की घोषणा की, जिसे प्रमाणन और ब्रांडिंग प्रयासों द्वारा समर्थित किया जाएगा।

इस क्षेत्र को आधुनिक बनाने के लिए तीन वर्षों में किसानों और उनकी भूमि को कवर करते हुए कृषि में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) को लागू करने की योजनाओं की रूपपरेखा तैयार की है। इस पहल में डिजिटल फसल सर्वेक्षण और किसान और भूमि रजिस्ट्री का निर्माण सब्जी उत्पादन क्लस्टर का विकास, आपूर्ति श्रृंखला में किसान-उत्पादक संगठनों और स्टार्टअप को बढ़ावा देना है।

                                                                             

मछली उत्पादन के लिए नाबार्ड के माध्यम से न्यूक्लियस प्रजनन केंद्रों का नेटवर्क बनाने के लिए वित्तीय सहायता।

सीतारमण ने कहा, चालू वित्त वर्ष में सरकार 400 जिलों में डीपीआई का उपयोग करके खरीफ मौसम के लिए डिजिटल फसल सर्वेक्षण करेगी। छह करोड़ किसानों और उनकी भूमि का विवरण किसान और भूमि रजिस्ट्री में लाया जाएगा। बजट में प्रमुख उपभोग केंद्रों के पास बड़े पैमाने पर सब्जी उत्पादन क्लस्टर विकसित करने, आपूर्ति श्रृंखला में किसान- उत्पादक संगठनों और स्टार्टअप को बढ़ावा देने के प्रावधान भी शामिल हैं। मत्स्य पालन क्षेत्र को बढावा देने के लिए सीतारमण ने झींगा मछली उत्पादन और निर्यात के लिए नाबार्ड के माध्यम से न्यूक्लियस प्रजनन केंद्रों का एक नेटवर्क स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता की घोषणा की।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।