एक ज्वलन्त समस्या: नीलगाय से अपनी फसलों को कैसे बचाएं      Publish Date : 11/08/2024

           एक ज्वलन्त समस्या: नीलगाय से अपनी फसलों को कैसे बचाएं

                                                                                                                                                                   प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 वर्षां रानी

किसानों का सबसे ज्यादा नुकसान नीलगाय के कारण होता है। नीलगाय झुंड में रहती हैं, इनकी तादाद कभी-कभी 25 से 30 तक भी देखी गई है। ऐसे में जब यह किसी खेत में घुसती हैं तो उसका एक बार में ही पूरा का पूरा सफाया कर देती है। नीलगाय से फसलों को बचाने के लिए कई तरीके प्रचलन में हैं लेकिन इनमें से ज्यादातर उपाय अत्यन्त खर्चीले होते हैं और गरीब किसानों के पास इतना पैसा नहीं होता है कि वह खेतों की तारबंदी आदि करवा सकें।

                                                                                  

कृषि वैज्ञानिकों ने विभिन्न रिसर्च के माध्यम से इस बात को साबित कर दिया है कि नीलगाय को गोबर की गंध खेतों में घुसने से रोकती है।

नीलगाय फसलों को तो खाती ही है लेकिन साथ ही उनके पैरों से भी खेत में काफी नुकसान होता है। सरसों और आलू के जैसी फसलो के पौधे यदि एक बार टूट जाए तो दोबारा जोड पाना या उन्हें उपजाना मुश्किल हो जाता है। इसलिए किसानो को नीलगाय से अपनी फसलों की सुरक्षा के लिए कुछ उपाय नीचे बताए जा रहे हैं, जिनको अपना कर कुछ हद तक नीलगाय से अपनी फसलों को बचाया जा सकता है।

नीलगाय को खेतों की ओर आने से रोकने के लिए चार लीटर पानी में आधा किलो मैथा में लहसुन पीसकर इसमें मिला दे और इसमें 500 ग्राम बालू डालें। इस घोल का छिड़काव 5-5 दिन के अतराल से करते रहें। इसकी गंध से लगभग 20 दिन तक नीलगाय खेतों में नहीं आएगी। इस घोल को 15 लीटर पानी के साथ भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

20 लीटर गोमूत्र, 5 किलोग्राम नीम की पत्तियां, 2 किलोग्राम धतूरा 2, किलोग्राम मदार की जड़ फल-फूल, 500 ग्राम तंबाकू की पत्तियां, 2 से 50 ग्राम लहसुन और 150 ग्राम लाल मिर्च का पाउडर को डब्बे में भरकर धूप में 40 दिन तक के लिए रख दें।

                                                                              

इस बात का ध्यान रखें कि इसमें हवा नहीं जानी चाहिए। इसके बाद 1 लीटर इस दवा को 80 लीटर पानी के घोल कर फसल पर छिड़काव करने से महीने भर तक नीलगाय फसलों को नुकसान नहीं पहुंचती हैं। इससे नीलगाय से बचाव के साथ ही आपकी फसलों की कीट पतंगों से भी सुरक्षा हो सकती है।

किसान अपने खेतों के चारों तरफ कटीली तार के साथ ही बांस की पत्तियां भी लगा सकते हैं। आजकल बाजार में जानवरों से बचाव के लिए चमकीली बैंड की पत्तियां भी मिल रही हैं, इनसे भी खोत की घेराबंदी की जा सकती है।

कुछ किसान अपने खेत मैं आदमी के आकार का पुतला बनाकर खड़ा कर देते हैं, इससे भी जानवरों को यह डर रहता है कि कोई आदमी खेत में खड़ा हुआ है और इससे भी नीलगाय खेतों में नहीं आती है।

नीलगाय के गोबर का घोल बनाकर मेड से एक मीटर अंदर फसलों पर छिड़कने से कुछ समय के लिए फसलों की हिफाजत की जा सकती है।

खेत की मेडों को ऊंचा बनना चाहिए और इन मेडों के किनारे करौंदा, जेट्रोफा, तुलसी, खस, यूरेनियम मेंथा, लेमनग्रास, सिट्रिनोला और अमरूजा आदि के पौधे लगाए जा सकते हैं। इन पौधों की खासियत यह होती है कि यह काफी घने होते हैं और कुछ पौधे तो कटीले भी होते हैं, यह तरीका भी आपकी फसल को काफी हद तक बचा सकता है क्योंकि इन औषधीय पौधों और सुगंध एवं पौधों की खुशबू के कारण नीलगाय दूर भागती हैं।

                                                                       

किसानों को चाहिए कि वह फसलों पर 1 लीटर पानी में एक ढक्कन फिनायल के घोल का छिड़काव करें। इससे नीलगाय फिनाइल की बदबू से खेतों के आसपास आने की हिम्मत नहीं करेगी।

  • गधे की लीद, पोल्ट्री का कचरा, गोमूत्र, सब्जियों की पत्ती आदिं का घोल बनाकर फसलों पर छिड़कने से नील का खेतों के पास नहीं आती हैं।
  • कुछ किसान अपने खेतों में रात के वक्त मिट्टी के तेल की डिब्बी जला देते हैं, जिससे नीलगाय खेतों में आने से डरती हैं।
  • यह कुछ ऐसे उपाय हैं जिन्हें आजमाकर आप अपनी फसलों का नीलगाय एवं अन्य जंगली जानवरों से बचाव कर सकते हैं।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।