कैंथा का पौधा लगाए और औषधीय गुणो से भरपूर फल पाए Publish Date : 07/08/2024
कैंथा का पौधा लगाए और औषधीय गुणो से भरपूर फल पाए
डॉ0 आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 कृषाणु
विकास की इस अंधी दौड़ में अति लाभकारी कैंथा का पौधा विलुप्त होता जा रहा है। दो दशक पहले तक क्या था कि इसके पेड़ हमें जगह-जगह देखने को मिल जाते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा है। हमने एक औषधि महत्व वाले पेड़ की अनदेखी की है, जिसके चलते आजकल यह अब शहरों से फल वालों की दुकान से भी गायब होता जा रहा है। जबकि कैंथा का पेड़ सामान्यतः सभी स्थानों और सभी प्रकार की मिट्टी में लगाया जा सकता है।
अन्य वृक्षों के स्थान पर इस पेड़ का विकास जल्दी होता है। उत्तर भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में यह पेड़ भारी मात्रा में पाए जाते हैं। इस पेड़ की लकड़ी हल्की भूरी, कठोर और टिकाऊ होती है, इसलिए इसका इस्तेमाल इमारती लकड़ी के तौर पर भी किया जाता है। कैंथा के पेड़ को लगाने का एक लाभ यह भी है कि इसके पौधों के विकास के दौर में इसकी देखभाल की जरूरत कम होती है। इस पेड़ पर फूल आने के 10 से 12 महीने के बाद ही फल भी आने लगते हैं। इस पेड़ का फल पौष्टिकता के साथ ही साथ औषधि की दृष्टि से भी बहुत फायदेमंद होता है।
कैंथा का कच्चा और पका दोनों ही प्रकार के फल खाने के लिए बहुत उपयोगी होते हैं। वर्तमान विकास और आधुनिकता के दौर में कैंथा की खेती लुप्त होने के कगार पर है, अतः हमें इसे संरक्षित करने के ज्यादा से ज्यादा प्रयास करने चाहिए और आमजन को इससे प्राप्त होने वाले लाभों से परिचित करवाना चाहिए और परंपरागत भोजन को बढ़ावा देना चाहिए। ताकि आने वाले समय में हम पोषक तत्वों की जरूरत को पूरा करने के लिए केवल दवाइयां पर निर्भर ना रहे। कैंथा औषधीय गुणो का एक अदभुत भंडार है, जिसकी पुष्टि विभिन्न समय में किए गए कई अध्ययनों के माध्यम से की जा चुकी है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।