मृदा की उत्पादकता को बनाएं रखना बहुत आवश्यक Publish Date : 05/08/2024
मृदा की उत्पादकता को बनाएं रखना बहुत आवश्यक
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 कृषाणु
सरदार वल्लभभाईं पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, मोदीपुरम मेरठ, के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक प्रोफेसर आर. एस. सेंगर छात्रों और किसानों को सम्बोधित करते हए कहा कि अब वह समय आ चुका है कि जब हमें आपनी मृदा को विभिन्न प्रकार के रासायनिक खादों और कीटनाशकों के प्रयोग से मुक्ति प्रदान करने के लिए अतिरिक्त प्रयास कर उस इनसे मुक्ति प्रदान करने की दिशा में सार्थंक कदम उठानें ही होंगे।
डॉ0 सेंगर ने बताया कि पिछले कईं दशकों से रासायनिक खादों और कीटनाशकों का लगातार एवं अवविवेकपूर्णं तरीके से उपयोग किए जाने के फलस्वरूप हमारी मृदा की उपजाऊ शक्ति निरंतर कम होती जा रही है औश्र यह हमारी खाद्य-सृरक्षा, पैड़-पौधों के विकास, कीटों और जीवों के साथ ही मानव जाति के लिए भी एक बड़ा खतरा बनता जा रहा है तथा उन्होंनें आवह्मन किया कि समस्त कृषक बन्धु अपनी मृदा का हर सम्भव तरीके से संरक्षण करें।
इस दौरान उन्होंनें आगे कहा कि किसान अपने खेतों की मिट्टी की जाँच करवाकर सस्तुति के आधार पर ही उर्वंरकों का प्रयोग करें। इस अवसर पर प्रोफेसर गोपाल सिंह ने कहा कि छात्रों मे ज्ञान एवं कौशल उनके करियर में एक अहम भूमिका निभाता है। प्रोफेसर सेंगर ने बताया कि मृदा के अंदर असंख्य सूक्ष्म जीवाणु हेाते हैं, जो मृदा की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाने का काय करते हैं।
अतः वर्तंमान समय के परिप्रेक्ष्य में हम सभी की यह नैतिक जिम्मेदारी होनी चाहिए कि हम सभी मिलकर अपनी मृदा की उर्वंरा शक्ति को बढ़ानें के लिए यथा सम्भव प्रयास करें।
डॉ0 सेंगर ने बताया कि जैविक खेती करना मृदा को पुनः जीवन प्रदान करने का एक सर्वोंत्तम एवं प्रभावी उपाय है।
डॉ0 सेंगर ने किसानों को परम्पारिक रूप से खेती करने की सलाह देते हए खेती करने की पुरातन तकनीकें अपनाने की सलाह भी दी। उन्होंनें कहा कि इस प्रकार हम पुरानी पद्वितियों से खेती कर मृदा के स्वास्थ्य की रक्षा करते हुए अपनी मृदा की उर्वंराशक्ति को बढ़ाकर अपनी विशाल आबादी की खाद्य-सुरक्षा और पोषण-सुरक्षा के लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।