सच्ची समृद्धि बुद्धिमत्ता से ही होगी      Publish Date : 03/08/2024

                               सच्ची समृद्धि बुद्धिमत्ता से ही होगी

                                                                                                                                                                                   प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

मानव जीवन को सार्थक बनाने में बुद्धिमता की बड़ी उपयोगिता है वैसे तो बुद्धिमत्ता को किसी पारिभाषिक दायरे में समेटना पूर्णता संभव नहीं किंतु समान रूप से व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता ही बुद्धिमता कहलाती है। बुद्धिमत्ता से ही विवेक की क्षमता प्राप्त होती है जो व्यक्ति अपनी परिस्थितियों के माध्यम से सीखने समझने में लगातार वृद्वि करने और उसे अपने व्यवहारिक जीवन में उपयोग करने की क्षमता रखता है, उसे बुद्धिमान की श्रेणी में रखा जाता है। बहुत से लोग समृद्धि को केवल धन से जोड़कर देखते हैं और भूल जाते हैं की सच्ची समृद्धि बुद्धि से ही होती है।

                                                                

बुद्धिमता हासिल करने के लिए हम सिर्फ किताबों पर आश्रित नहीं रह सकते। बुद्धिमता का विकास हमारे अध्ययन के साथ ही अर्जित एवं व्यावहारिक अनुभवों के मिश्रण से होता है। अनुभव एवं कौशल दो ऐसी सिद्धि है जिसके सहारे हम अपने व्यक्तित्व में बुद्धिमत्ता को बढ़कर और निखार ला सकते हैं। यही अनुभव और ज्ञान हमें अपने जीवन की विपरीत परिस्थितियों में चुनौतियों से पार पाने में सहायक बनता है। बुद्धि जीवन के अनुभव का मिश्रण है जिसमें विनम्रता एवं महत्वपूर्ण अवयव है। बुद्धिमान व्यक्ति में संवेदनशीलता का भी समावेश होता है और वह केवल यह ध्यान में नहीं रखता कि उसके लिए क्या उपयुक्त क्या होगा बल्कि वह उसका भी उतना ही ध्यान रखना है कि उन लोगों के लिए क्या हितकारी है।

                                                                         

आज के इस युग में संप्रति वैज्ञानिक युग में जीवन को सफल और सरल बनाने के लिए किसी भी प्रकार के उपाय का सहारा लेने से भी कोई संकोच नहीं किया जा रहा है। ऐसे उपायों से तात्कालिक सफलता मिल सकती है, किंतु बुद्धिमत्ता से उपजा विवेक सदैव ऐसी सफलता को कचोटता रहेगा। बुद्धिमत्ता ही अंतरात्मा से संवाद में सेतु की भूमिका निभाती है क्योंकि ज्ञान, बुद्धि, कौशल, तर्क और अनुभव से ही हमारी बुद्धिमता  बढ़ती है तो हमें सदैव ही इन तत्वो को प्रखर करते रहना चाहिए ।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।