अपने मन की शक्ति को पहचाने और लक्ष्य को प्राप्त करें

                अपने मन की शक्ति को पहचाने और लक्ष्य को प्राप्त करें

                                                                                                                                                                                 प्रोफेसर आर. एस. सेंगर

संपूर्ण संसार में यदि सर्वाधिक शक्तिशाली कोई है तो वह आपका मन। मन को किसी ने देखा नहीं है, किंतु मन के अंदर शक्तियों का अपार भंडार विद्यमान है। एक सूक्ति है, “मन के हारे हार है, मन के जीते जीत।“ मन के अंदर असीम संभावनाएं विद्यमान है। जिस प्रकार हम पदार्थ के सूक्ष्मतम कण अर्थात परमाणु को नहीं देख पाते, किंतु उसमें अपार ऊर्जा सन्निहित होती है, ठीक उसी प्रकार मन भी कोई भौतिक वस्तु नहीं है, जिसके दर्शन कर पाना संभव हो।

                                                                   

मन हमारे भौतिक शरीर से सम्बद्व एक ऐसा भाग है, जिसे केवल अनुभव किया जा सकता है। मन के अस्तित्व के बिना शरीर का अस्तित्व भी पूर्णतः अर्थहीन होता है।

शरीर का सारथी होता है मन

शास्त्रों में मन को शरीर का सारथी कहा गया है, क्योंकि शरीर पूर्णत: मन के अधीन रहता है। यह मन की शक्तियों का ही परिणाम है कि शरीर बड़े-बड़े लक्ष्यों को भी सिद्ध कर लेता है। अनेक ऐसे कारक हमारे चारों ओर विद्यमान रहते हैं, जो मन को सदैव पतन की ओर अग्रसर करने के लिए प्रवृत्त होते हैं।

बाह्य संसार, विभिन्न प्रकार के अनुभव, विषम परिस्थितियों, विभिन्न प्रकार के आवेग एवं भाव इत्यादि कुछ ऐसे ही कारक हैं, किंतु इन सभी कारकों के प्रभाव को आत्म बल की सहायता से निष्क्रिय किया जा सकता है। जिन लोगों का अपने मन पर कंट्रोल होता है वह निश्चित रूप से सफल हो जाते हैं।

शक्ति का स्रोत मन

                                                                    

आत्म बल से युक्त मन संसार का सर्वोत्तम एवं सर्वशक्तिमान अस्त्र है। आत्म बल को अपने भीतर जगाने के लिए हमें कहीं ना कहीं अनावश्यक बाह्य तत्वों के फंदे से स्वयं को बाहर निकालना होगा। इसके लिए यह नितांत आवश्यक है कि हम अपना पूर्ण ध्यान स्वयं पर ही केंद्रित करें। ऐसा होने से बाह्य कारक, जो निरंतर हमें विचलित करने का प्रयास करते रहते हैं, हमारे ऊपर लेशमात्र प्रभाव भी नहीं डाल पाएंगे।

हमें मन की शक्ति को पहचानते एवं स्वीकारते हुए अपने प्रत्येक लक्ष्य को मन की हवाले करके अपने आत्म बल का स्तर निरंतर ऊपर उठाने का प्रयास करते रहना चाहिए। ऐसा होते ही हम अपने जीवन में एक अभूतपूर्व परिवर्तन देखेंगे। अपने मन को शांत रखते हुए और उसकी शक्ति को पहचानते हुए आप निरंतर अपने लक्ष्य की ओर यदि बढ़ाते हैं तो वह दिन दूर नहीं जब आप अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।