पानी रे पानी हर गांव हर खेत हर घर तक पहुंचाने की हो कोशिश

          पानी रे पानी हर गांव हर खेत हर घर तक पहुंचाने की हो कोशिश

                                                                                                                                                                    डॉ0 आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 कृषाणु

आजकल सम्पूर्ण देश के विभिन्न क्षेत्रों में जल संकट बड़ी चुनौती का रूप लेता जा रहा है, पानी के बंटवारे को लेकर कई राज्यों के बीच घमासान मचा हुआ है। वर्ष 2003 की बात करें तब आंध्र प्रदेश के किसानों में पानी के लिए मुठभेड़ होने से 50 किसान घायल हो गए थे। इसकी विपरीत मानसून के सक्रिय होने से देश के कई राज्यों में तबाही के दृश्य भी दिखाई देने लगे थे। जिसके बरसात के बढ़ने के साथ और भयानक होने की पूरी संभावना बनी रही इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि एक और पानी के लिए लोग मरने मारने पर उतारू है तो वहीं कुछ क्षेत्रों में पानी की अधिकता जीवन के लिए संकट बनकर खड़ी हो जाती है।

                                                            

प्रकृति के इस खेल पर मानव का कोई बस नहीं चलता है, यही सच है पर विज्ञान व तकनीक के जिस युग में आज हम रह रहे हैं वही प्रकृति की मार को कम करने प्रकृति प्रदत्त जल को बहुत उपयोगी बनाए जाने के पर्याप्त अवसर हैं। बस जरूर कुछ करने की इच्छा सख्त की है इसके लिए एक सामाजिक क्रांति की आवश्यकता है यदि समाज जाग जाएगा तो निश्चित रूप से हम पानी का संरक्षण कर सकेंगे।

बात वर्ष 2003 की करें तब तब आंध्र प्रदेश की किसानों की मारपीट की घटना को ही लिया जाए तो इस मारपीट को राजनीतिक दलों की खुलकर सहायता मिल रही थी। किसानों की समस्या को राजनीतिक रंग देकर उन्हें आसपास के क्षेत्र में आपस में ही संघर्ष के लिए प्रेरित करने में राजनीतिक पार्टियों पीछे नहीं रहना चाहती थी, लेकिन समस्या के निदान पानी के बढ़ते संकट के परिपेक्ष में विकल्पों की खोज की बात कोई दल नहीं छेड़ना चाहता है। इसलिए कहा जा सकता है कि निश्चय ही उन्हें समस्या से नहीं समस्या के राजनीतिक लाभ से सरोकार है।

आज जब देश के विभिन्न क्षेत्रों में जल स्रोतों के सूखने नदियों, तालाबों व कुएं के जल स्तर में कमी आने से पेयजल तक का संकट बढ़ने लगा है। इस समस्या का गंभीरता से अध्ययन किया जाना आवश्यक हो गया है। जल के स्तर में आ रही कमी के कारण का पता लगाकर कुछ उपाय करने होंगे। यह सुखद है कि देशभर में वर्षा जल की पर्याप्त है, पर वर्षा जल का अधिक भाग हर वर्ष एक बड़ी तबाही का कारण बनता है और व्यर्थ ही बर्बाद हो जाता है। इस जल को सुरक्षित करने तथा कम पानी वाले क्षेत्रों तक पहुंचाने के बारे में योजनाएं बनाने में अब और देर नहीं होनी चाहिए।

                                                                   

इससे कुछ क्षेत्रों को बाढ़ की विवशता से बचाने में सफलता मिलेगी तो इसके साथ ही पानी के लिए होने वाले झगड़ों पर विराम लग सकेगा। कृषि एवं किसानों को इसका प्रत्यक्ष लाभ होगा। उद्योगों व अन्य परियोजनाओं के विकास के अवसर पानी की कमी वाले क्षेत्रों में बढ़ सकेंगे। सरकारों व राजनीतिक दलों को जीवन रक्षक पानी को राजनीति का मुद्दा बनाने की राह छोड़नी होगी। हर गांव हर खेत हर घर तक पानी पहुंचे अब इस दिशा में पहल करनी होगी। यह पूरे देश व आमजन की समस्या है। समस्या का निदान होना ही चाहिए और समय पर इसके कदम उठाए जाने चाहिए क्योंकि जुलाई में मानसून दस्तक दे देगा उससे पहले ही कोशिश होनी चाहिए कि जल संरक्षण के लिए प्रयास किए जाएं और आने वाली बाढ़ों के खतरों से बचा जाए।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।