रक्तदान का महत्व

                                        रक्तदान का महत्व

                                                                                                                                                                                        डॉ0 आर. एस. सेंगर

रक्त देकर दे लोगों को जीवनदान प्रोफेसर सेंगर

                                                                           

सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के निदेशक ट्रेंनिंग आफ प्लेसमेंट प्रोफेसर आर एस सेंगर ने बताया कि 24 जून को विश्व रक्तदाता दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन अमर उजाला फाऊंडेशन के द्वारा विशेष स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन किया जा रहा है और इस शिविर में पहुंचकर लोग रक्तदान करके किसी जरूरतमंद व्यक्ति की जान बचा सकते हैं जो मानवता की सबसे बड़ी सेवा और संतुष्टि होती है।

प्रोफेसर सेंगर ने बताया मानव रक्त को लेकर अभी तक जितने भी शोध हुए हैं उनमें रक्त का कोई विकल्प नहीं खोजा जा सका है। आवश्यकता होने पर हमेशा इंसान को इंसान से ही रक्त की जरूरत होती ही है। कोई ट्रॉमा मरीज हो, सर्जिकल हो या फिर कोई अन्य गंभीर बीमारी से पीड़ित एनीमिया से ग्रस्त व्यक्ति हो उसे रक्त चढ़ाने की जरूरत पड़ती ही है।

कई तरह से प्रयोग मैं आता है रक्त लोगों के

                                                       

मानवीय रक्त से रेड ब्लड सेल या पीआरबीसी प्लेटलेट संद्रन और प्लाज्मा आदि को निकाला जा सकता हैं। ऐसे में रक्त के जिस घटक की आवश्यकता है उसको देखते हुए ही तैयार किया जाता है या फिर पूरा रक्त मरीज को चढ़ाया जाता है। दुर्लभ रक्त समूह होने पर उसी ग्रुप के रक्तदाता की व्यवस्था करनी होती है। हालांकि ब्लड बैंक के पास लगभग सभी ब्लड ग्रुप का रक्त उपलब्ध होता है जिसे दूसरे रक्तदाता से प्रतिस्थापित कर रक्त उपलब्ध करा दिया जाता है। इसी तरह प्लेटलेट संद्रन बनाने के लिए कई बार ओ पॉजिटिव यूनिवर्सल डोनर की जरूरत पड़ती है तो ऐसे में इसका प्रयोग किया जाता है।

रक्तदान से पहले इन बातों को रखें ख्याल

                                                              

  • रक्तदाता का शरीर पूरी तरह से हाइड्रेट होना चाहिए।
  • खाली पेट रक्तदान कभी भी नहीं करना चाहिए।
  • कमजोरी महसूस हो रही हो तो आधे घंटे तक आराम करें।
  • रक्तदान के बाद पर्याप्त द्रव हुआ क्षतिपूर्ति वाला आहार लेना चाहिए।
  • सामान्य तौर पर गंभीर लक्षण या खतरा नहीं होता है।

रक्तदान से पहले हेपेटाइटिस एचआईवी और मलेरिया जैसी जांचे कराना जरूरी होता हैं। रक्त नमूने में कोई बीमारी पॉजिटिव आती है तो गोपनीयता रखते हुए ब्लड बैंक जानकारी देता है और साथ ही जांच और उपचार में सहायता भी उपलब्ध कराई जाती है।

रक्तदान आखिर कौन कर सकता है

रक्तदान के लिए कोई किसी भी प्रकार की सीमा तय नहीं होती है और जो लोग स्वस्थ हैं, उन्हें कोई गंभीर समस्या नहीं है और उम्र 50 वर्ष से कम है तो वह रक्तदान कर सकते हैं। केवल यह ध्यान रखना होता है कि ब्लड थिनर लेने वाले पीलिया खासकर हेपेटाइटिस बी या सी या फिर एनीमिया से ग्रस्त रह चुके लोगों को रक्तदान से बचाना होता है।

इन मिथक से बचे रहे आप

1 यूनिट तक का रक्तदान करने से कोई विशेष प्रभाव शरीर पर नहीं होता है और ना ही किसी प्रकार की कोई कमजोरी आती है। एक यूनिट लगभग 300 से 350 मिली रक्त दिया जा सकता है। मानव शरीर में इतनी क्षमता होती है कि अगले दो-तीन दिनों में बोन मैरो इसकी पूर्ति करना शुरू कर देता है। रक्तदान में प्रयुक्त किया जाने वाला सामान डिस्पोजेबल होता है इसलिए रक्तदान के समय संक्रमण होने की गुंजाइश नहीं होती है। इसलिए निडर होकर दूसरों की जान की रक्षा करने के लिए रक्तदान करने और मानवता की सबसे बड़ी सेवा में आप भी अपनी भागीदारी को सुनिश्चित कर सकते हैं।

रक्तदान शिविर में अधिक से अधिक राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के छात्र-छात्राओं को तथा एनसीसी के छात्रों को भाग लेना चाहिए तथा लोगों को जीवनदान देने में अपना सहयोग करना चाहिए।

लेखक: लेखक: डॉ0 आर. एस. सेगर, निदेशक ट्रेंनिंग आफ प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।