कृषि भूमि सदैव एक लाभदायक निवेश      Publish Date : 02/06/2024

कृषि भूमि सदैव एक लाभदायक निवेश

डॉ0 आर. एस. सेंगर

रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश हमेशा से ही लाभकारी रहा है। निवेश चाहे आवासीय संपत्ति में हो अथवा व्यावसायिक संपत्ति में, समय के साथ संपत्ति की कीमत बढ़ने का लाभ तो मिलता ही है। ऐसे में वर्तमान में कृषि क्षेत्र की संपत्ति अथवा कृषि भूमि में निवेश करना भी काफी लाभकारी सौदा बन चुका है। रियल एस्टेट को लेकर अक्सर अंग्रेजी की एक कहावत ‘डोन्ट पुट ऑल योर एग्स इन वन बास्केट’ का उपयोग किया जाता है। जहाँ तक मैं समझता हूं कि आपने भी इस कहावत या मुहावरे को कहीं न कहीं जरूर सुना होगा या फिर किसी को इसका आशय समझाया होगा।

सामान्य तौर पर इस कहावत का इस्तेमाल निवेश के लिए नही बल्कि स्टॉक मार्केट में निवेश के लिए किया जाता है, जिसे हम रियल्टी सेक्टर में किये जाने वाले निवेश से भी जोड़कर देख सकते है। जहां तक रियल्टी सेक्टर में किये जाने वाले निवेश का प्रश्न है तो इस लिहाज से हमें मुख्य रूप से आवासीय या फिर व्यावसायिक दो प्रकार की संपत्तियों के विकल्प मिलते है।

आवासीय संपत्तियों में जहाँ फ्लैट, कॉन्डोमीनियम, प्लॉट, अपार्टमेंट या फ्लोर जैसे विकल्प मिलते है तो वहीं व्यावसायिक संपत्तियों के लिहाज से ऑफिस या रिटेल अर्थात खुदरा व्यापार संबंधी संपत्तियां तलाशी जा सकती है।

बजट के अनुरूप संपत्ति में करेंः निवेश बहरहाल यदि आपके पास अपना घर है और निवेश के लिहाज से आप रियल्टी सेक्टर में कोई विकल्प तलाश रहे है और आपका बजट भी ठीक ठाक है तो ऐसी स्थिति में आप कॉमर्शियल यानी व्यावसायिक इस्तेमाल की संपत्ति में रुचि ले सकते है इसके अलावा बीते कुछ वर्षों से लोगों में कृषि योग्य भूमि खरीदने का चलन भी जोर पकड़ता दिख रहा है।

इसलिये आपके पास जितना बजट हो उसी आधार पर संपत्ति में निवेश का चयन करें। कृषि भूमि आवासीय अथवा व्यावसायिक भूमि से सस्ती भी मिल सकती है। इसमें कोई दो राय नहीं कि जमीन के दामों में निरंतर तेजी से वृद्धि हो रही है। बड़े शहरों में कृषि योग्य भूमि और उसी भूमि पर बने आवास को हम फार्म हाउस के तौर पर देख ही रहे है।

ऐसे में आप चाहें तो निवेश के लिहाज से दूसरी और तीसरी श्रेणी के शहरों में उपलब्ध कृषि योग्य भूमि को निवेश के विकल्प के तौर पर देख सकते है। आइए समझते हैं कि ऐसे निवेश के क्या लाभ है और क्या सावधानियां बरतनी चाहिये जानते हैं। विवाद में न हो प्रापर्टी रियल्टी सेक्टर में निवेश की पहली शर्त यही है कि आप जो भी सौदा करें उसके स्वामित्व को लेकर कोई विवाद न हो। यह संभव है कि जो कृषि भूमि आपने पंसद की हो वह पुश्तैनी तौर पर उसके विक्रेता को विरासत में मिली हो।

आम तौर पर ग्रामीण इलाकों में वसीयत भी नहीं की जाती है और पुश्त दर पुश्त एक से दूसरे को संपत्ति स्वतः हस्तांतरित होती चली जाती है। ऐसे में संपत्ति के मालिक के वास्तविक स्वामी की सूचना तहसील कार्यालय से हासिल की जा सकती है। आप इस काम में किसी स्थानीय वकील की मदद भी ले सकते है। इसके अलावा भविष्य में कोई उस संपत्ति पर दावा नहीं करे इसलिए आप वहां के समाचार पत्रों में विज्ञापन भी प्रकाशित करवा सकते है कि आप उस संपत्ति को खरीदने जा रहे है और यदि किसी को उस सौदे पर आपत्ति हो तो नियत समय तक आपसे वह संपर्क कर ले। एक बार बयाना देने के बाद संपत्ति को अपने नाम कराने में ज्यादा समय न लें और संपत्ति को अपने नाम पर रजिस्टर कराने के साथ ही फौरन कब्जा भी ले लें।

अगर बनाना हो फार्म हाउसः यदि आप कोई कृषि भूमि लेकर वहीं छोटा सा घर बनवाने की इच्छा करते हैं तो ऐसी स्थिति में तहसील व प्लानिंग कार्यालय से यह जानकारी जमीन के सौदे से पहले ही प्राप्त कर लें कि वहां किसी तरह का निर्माण करवाया भी जा सकता है अथवा नहीं। कई जगहों पर कुछ ऐसी प्लानिंग की गई होती है कि उस जमीन पर केवल कच्चा निर्माण ही करवाया जा सकता है।

ऐसे में आपकी योजनाओं पर पानी फिर सकता है। वैसे आपको कोई ऐसी कृषि योग्य जमीन मिल जाए जिसपर निर्माण करवाने की अनुमति हो तो भविष्य में चलकर आप उसे मोटल या फिर बैक्वेट हॉल के रूप में भी तब्दील कर सकते है। इससे जहां जमीन की कैपिटल वैल्यू समय के साथ बढ़ेगी वहीं कॉमर्शियल इस्तेमाल से आप उससे हर महीने जबरदस्त लाभ अर्जित कर सकेंगे। पर्यटन के रूप में इस्तेमाल भागदौड़ भरे शहरी जीवन से दूर होकर कुछ समय ग्रामीण परिवेश में बिताने वालों की संख्या भी तेजी से बढ़ती जा रही है।

ऐसे में यदि आप चाहें तो अपनी कृषि योग्य भूमि को ग्रामीण पर्यटन, जिसमें खेती पर्यटन और गृहस्थी खेती शामिल है उस रूप से भी विकसित कर सकते है। इसके अलावा एनसीआर के शहरों पर नजर डालें तो ग्रेटर नोएडा, सोनीपत और गुड़गांव जैसे शहरों में कृषि योग्य भूमि पर वीकेंड डेस्टिनेशन निर्मित कर दिये गए है, जहां पहुंचकर शहरी वाशिंदे न सिर्फ मौसमी फसलों और फूल फलों को देखकर मन का तसल्ली देते है साथ ही उसी जगह पर उन्हें कई तरह के मनोरंजन के विकल्प जैसे तीरंदाजी शूटिंग, घुड़सवारी वगैरह के विकल्प भी मिल जाते है। यह भी है विकल्प कृषि योग्य भूमि में किये गए निवेश पर जरूरी नहीं कि आप खेती ही करें या करवायें। ऐसी जमीन पर आप फूलों और फलों की खेती भी करवा सकते है।

गेंदे और गुलाब की मांग बारह महीने बनी रहती है साथ ही त्यौहारी मौसम में तो फूलों की मांग और अधिक बढ़ जाती है। इसके अलावा तुलसी और ऐलोवेरा जैसे औषधीय गुणों के पौधों के जरिये आप अच्छी आय अर्जित कर सकते है। केला, पपीता जैसे फलों के पोधों को लगवाना आसान है जिससे कमाई भी अच्छी होती है। कर में भी लाभ दिलचस्प बात यह है कि खेती की भूमि में निवेशक कई तरह के कर लाभ भी प्राप्त करते हैं। कृषि गतिविधियों से कमाई और खेती की जमीन की बिक्री से प्राप्त लाभ को आमतौर पर कर मुक्त ही रखा जाता है।

ऐसे में आपका वित्तीय लाभ अधिक आकर्षक बन जाता है। इसमें कोई दो राय नहीं कि पारंपरिक रूप से, उच्च मध्य या मध्यम वर्ग निवेश के लिए सोना, स्टॉक मार्केट या रियल्टी सेक्टर में फ्लैट वगैरह तक ही सीमित रह जाता है। लेकिन दीर्घकालिक निवेश के लिए कृषि भूमि लाजवाब विकल्प बन सकती है।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।