जलवायु परिवर्तन से निपटने की बड़ी तैयारी, राज्यों में बनाई गई टास्क फोर्स

जलवायु परिवर्तन से निपटने की बड़ी तैयारी, राज्यों में बनाई गई टास्क फोर्स

                                                                                                                                                                               डॉ0 आर. एस. सेंगर

देश में जलवायु परिवर्तन के कुप्रभावों से निपटने के लिए राज्य सरकारों ने अपनी कवायद तेज कर दी है। 27 राज्य और 7 केंद्रशासित प्रदेशों ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ अपना मास्टर प्लान साझा किया है। इसके तहत, जहां राज्यों में टास्क फोर्स बनाई गई है, वहीं प्रत्येक राज्य में पर्यावरण स्वास्थ्य प्रकोष्ठ भी बनाया जाना है।

                                                                           

राज्यों ने जलवायु परिवर्तन के कुप्रभावों का सबसे अधिक सामना करने वाले संवेदनशील अपने जिलों की सूची भी साझा की है। यह योजना साल 2020 से अब तक चार बार केंद्र के साथ हुई बैठकों के बाद आई है। राज्यों से मसौदा एकत्रित करने के बाद नई दिल्ली में राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) ने इसे स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ साझा किया है।

हालांकि, लोकसभा चुनाव के चलते इस पर चर्चा आगे नहीं बढ़ पाई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि नई सरकार के गठन के बाद ही यह प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। बहरहाल राज्यों ने अपने मसौदे में कहा कि भूगोल, जलवायु परिस्थितियों, संसाधनों और स्वास्थ्य देखभाल के मामले में भारत एक विविधतापूर्ण देश है। इस विविधता के कारण प्रत्येक राज्य में जलवायु परिवर्तन का प्रभाव, बीमारी और मृत्यु दर अलग हो सकती है। इसलिए राज्य और क्षेत्र विशिष्ट कार्य योजना को तैयार किया है।

इनके मसौदे में जलवायु के प्रति संवेदनशील बीमारियों को भी शामिल किया है। वायु प्रदूषण, मच्छर जनित रोग, जल जनित बीमारियों के अलावा अत्यधिक गर्मी से लेकर ठंड और बाढ़ जैसी आपदा पर भी जोर दिया गया है। इसमें पर्यावरण स्वास्थ्य कक्ष स्थापित करने की पहल एक जैसी है।

राज्यों ने नोडल अधिकारी भी नियुक्त किए

जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाव और नई रणनीति को जमीनी स्तर पर ले जाने के लिए राज्य स्तरीय नोडल अधिकारी की नियुक्ति की गई है। यह राज्य के सभी जिला प्रशासन के साथ संपर्क में रहते हुए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर जिला अस्पताल और क्षेत्र के निजी अस्पतालों को एक नेटवर्क से जोड़ेंगे।

डब्ल्यूएचओ का भी मिला साथ प्रशिक्षण दे रहा केंद्र

नई इिल्ली स्थित राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केन्द्र (एनसीडीसी) के अधिीन जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य पर आधारित राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपीसीसीएचएच) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जलावायु परिवर्तन से उत्पन्न प्रभावों को बेहतर ढंग से समझने के लिए विश्व स्वास्थ्स संगठन अर्थाथ डब्ल्यूएचओ भी सहयोग कर रहा है, ताकि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर की जा रही गतिविधियों के साथ भारत अपने स्वास्थ्य कर्मचारियों को परिक्षण प्रदान कर सकें।

गणना कर रहा एआईः- जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली भीषण गर्मी का सामना करने वाले राज्यों की निगरानी इंटरनेट तथा एआई आदि मंच के स्तरों पर भी की जा रही है।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।