मधुमक्खी पालन व्यवसाय      Publish Date : 12/05/2024

                                  मधुमक्खी पालन व्यवसाय

Beekeeping: मधुमक्खियों के मधुबक्सों को गर्मी और लू से बचाना भी अति आवश्यक होता हैी, और मधुमक्खी पालक इन उपायों को अपनाकर से अधिक शहद प्राप्त कर सकते हैं-

                                                               

चिलचिलाती गर्मी और तेज धूप से मधुमक्खियों और मधु बक्सों को बचाने के लिए कुछ जरूरी कदम उठाने होते हैं, नहीं तो इसमें आपको हानि भी उठानी पड़ सकती है। तो वहीं, मधुमक्खीपालन में अगर उचित फ़सल चक्र के अनुसार मधु बक्सों को रखा जाए, तो उत्पादन स्वतः ही बढ़ जाता है।

चिलचिलाती गर्मी और तेज धूप के कारण न सिर्फ इंसान बल्कि पशु-पक्षी भी पूरी तरह से पस्त ही रहते हैं और सभी किसी ठंडे ठिकाने की तलाश में रहते हैं, ताकि चिलचिलाती गर्मी से राहत मिल सके। इस भीषण गर्मी से किसानों का सबसे पुराना व्यवसाय मधुमक्खी पालन भी बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। मधुमक्खियों के छत्तों से शहद निकाल कर किसान और अनेक बेरोजगार सदियों से इससे लाभ कमाते आ रहे हैं। हालांकि, आज इस व्यवसाय का दायरा काफी विस्तृत रूप ग्रहण कर चुका है। हालांकि, गर्मी के मौसम में मधुमक्खी पालन करने वाले किसानों को मधु बक्सों की देखभाल ज्यादा बेहतरी से करनी होती है. क्योंकि ऐसे क्षेत्र जहां तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच जाता है वहां मधुमक्खियां मरने लगती या फिर यह इन मधु बक्सों को ही छोड़कर चली जाती हैं और इससे मधुमक्खी पालक को काफी हानि उठानी पड़ती है।

हमारे विशेषज्ञ डॉ0 आर. एस. सेंगर मधुमक्खी पालकों को इस भीषण गर्मी में मधु बक्सों और मधुमक्खियों की कैसे देखभाल करनी चाहिए इसके बारे में महत्वपूण जानकारी प्रदान कर रहे है और इसके बारे में मधुपालकों को कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं, जो कि निम्नवत हैं-

गर्मी और लू से मधुमक्खियों को कैसे बचाएं?

                                                                   

सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक डॉ0 सेंगर ने बताया कि जब गर्मी में तापमान 40 सेंटीग्रेड से उपर चला जाता है तो मधु बक्सों को किसी छायादार स्थान पर रखना चाहिए, लेकिन इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि मौन बक्सों पर सुबह के समय सूर्य की रोशनी अवश्य ही पड़नी चाहिए। इससे मधुमक्खियां सुबह के समय सक्रिय होकर वह अपना काम शुरू कर देती हैं। उन्होंने बताया कि इस समय मधुमक्खियों को साफ और बहता हुआ पानी की जरूरत होती है, इसके लिए यदि संभव हो सके तो मधु बक्सों को ऐसे ही स्थान पर रखें। अगर छायादार स्थान उपलब्ध नहीं है तो मधुबक्सों को प्रातः काल और सायंकाल के समय जूट की पुरानी बोरी को पानी में भिगोकर उनके ऊपर से रखना चाहिए। डॉ0 सेंगर ने कहा कि मधुमक्खियों को लू से बचाने के लिए छप्पर का प्रयोग करना चाहिए, जिससे गर्म हवा सीधे मौन गृहों के अंदर न पहुँच पाए। बक्से जो अधिक फ्रेम किए गए हो उसको निकाल कर उन्हें उचित स्थान पर रखा जाना चाहिए। मौन बक्स में अगर छायादार स्थान हो, तो बक्से के ऊपर छप्पर या पुआल डालकर उसे सुबह-शाम भिगोते रहना चाहिए, जिससे मौनगृह का तापमान कम बना रहे।

गर्मी में मधुमक्खियों की देखभाल कैसे करें ?

                                                                

डॉ0 सेंगर ने बताया कि गर्मी में मधुमक्खी बक्सों से बाहर बहुत कम ही निकल पाती है, जिससे उसे पराग कण नहीं मिल पाते हैं। ऐसे में मधुमक्खियों को जिंदा रखने के लिए कृत्रिम आहार यानि आर्टिफिशल तरीके से तैयार भोजन की व्यवस्था करनी पड़ती है। कृत्रिम आहार बनाने के लिए एक भाग चीनी को दो भाग पानी में घोला जाता है। मतलब अगर आप 200 ग्राम चीनी का घोल तैयार करना चाहते हैं तो आपको 400 मिलीलीटर पानी की ज़रूरत पड़ेगी। इस घोल को मधुबाक्स के अंदर एक किनारे पर ही रखें, जिससे मधुमक्खियों को कहीं भटकने की ज़रूरत ही न पड़े। वैसे सफल मधुमक्खी पालन के लिए मौन वंशों को साल भर फूल वाले पौधों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए फूल पौधों वाले क्षेत्रों की पहचान और उन स्थानों पर मौन वंशों की शिफ्टिंग करना भी जरूरी होता है।

शहद उत्पादन के लिए ये कार्य भी हैं जरूरी

                                                             

मधुमक्खी पालक पहले शहद का उत्पादन सीजनल ही कर पाते थे, लेकिन इसमें आपके लिए यह जानना ज़रूरी है कि आप पूरे वर्ष भर शहद का उत्पादन ले सकते हैं। कुछ रिसर्च और अनुभवों के बाद यह पाया गया है कि मधुमक्खी पालन में यदि उचित फ़सल चक्र के अनुसार मधु बक्सों के स्थानों में फेरबदल किया जाए, तो इससे शहद का उत्पादन अधिक प्राप्त होता है। साल भर ऐसी फूल वाली फ़सलों का चुनाव करें जिससे मधुमक्खियों को उनका भोजन परागकण लगातार मिलता रहे। जैसे अगर आप अपने इन बक्सों को तोरिया या सरसों आदि के खेतों के बाद लीची और लीची के बाद यूकेलिप्टस या करंज जैसे सीजनल फूल वाले पौधों के बीच रखते हैं, तो इससे आपको ज्यादा लाभ होगा। डॉ0 सेंगर ने कहा जब आप इसकी बारीकियों को जानेंगे तो गर्मी के मौसम में भी उचित तरीके से देखभाल करके मधुमक्खी पालन व्यवसाय में सफल होकर बेहतर लाभ कमा सकते हैं।

खेती-बाड़ी एवं नई तकनीकी से खेती करने हेतु समस्त जानकारी के लिए हमारी वेबसाईट किसान जागरण डॉट कॉम को देखें। कृषि संबंधी समस्याओं के समाधान एवं हेल्थ से संबंधित जानकारी हासिल करने के लिए अपने सवाल भी उपरोक्त वेबसाइट पर अपलोड कर सकते हैं। विषय विशेषज्ञों द्वारा आपकी कृषि संबंधी जानकारी दी जाएगी और साथ ही हेल्थ से संबंधित सभी समस्याओं को आप लिखकर भेज सकते हैं, जिनका जवाब हमारे डॉक्टरों के द्वारा दिया जाएगा।