दुनिया का सबसे गहरा ब्लू होल मिला मेक्सिको में Publish Date : 04/05/2024
दुनिया का सबसे गहरा ब्लू होल मिला मेक्सिको में
डॉ0 आर. एस. सेंगर
समुद्र के नीचे 1380 फीट की गहराई पर स्थित है ‘‘ताम जा ब्लू होल’’
वैज्ञानिकों को मेक्सिको में दुनिया सबसे गहरा ब्लू होल मिला है। यह मेक्सिको के युकाटन प्रायद्वीप के चेतुमल खाड़ी में स्थित है और इसका नाम ‘‘ताम जा ब्लू होल’’ है। हालांकि अभी तक वैज्ञानिक इसकी गहराई को नाप नहीं पाए हैं लेकिन शुरुआती गणना के अनुसार यह करीब 1,380 फीट गहरा है और समुद्र के नीचे की सतह में है।
इससे पहले सबसे अधिक गहरे गड्ढे का रिकॉर्ड दक्षिणी चीन सागर में मौजूद ड्रैगन होल के नाम है जो कि 990 फीट गहरा होल है। पिछले वर्ष होल के नाम था। जबकि, ताम जा ब्लू होल चीन के गड्ढे से 390 फीट अधिक गहरा है। जबकि, ताम जा ब्लू होल चीन के गड्ढे से 390 फीट अधिक गहरा है और यह समुद्र की निचली सतह में मौजूद है। गत वर्ष छह दिसंबर को गोताखोरों ने इस गड्ढे को ढूंढ निकाला था। इस संबंध में बीते 29 अप्रैल को फ्रंटियर्स इन मरीन साइंस जर्नल में एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी।
वैज्ञानिकों ने इसकी गहराई नापने के लिए कंडक्टिविटी, टेंपरेचर एंड डेप्थ प्रोफाइलर (सीटीडी) तकनीक का उपयोग किया। इससे समंदर के नीचे की सतह का रियल टाइम डेटा प्राप्त होता है। जिससे पता चलता है कि यह दुनिया का सबसे गहरा ब्लू होल है और इसकी तलहटी तक अभी कोई गोताखोर या सबमरीन जा नहीं पाई है।
गड्ढे से कई गुफाएं और सुरंगें भी निकलती हैं
सीटीडी प्रोफाइलर से यह भी पता चला है कि 1,312 फीट की गहराई में स्थित इस गड्ढे से कई गुफाएं और सुरंगें भी निकलती हैं, जो कि आपस में जुड़ी हुई हैं। यहां पर तापमान और सैलिनिटी यानी नमक की मात्रा कैरिबियन सागर की तरह है। यह जमीन के अंदर स्थित गड्ढे होते हैं, जो बाद में नीचे की सुरंगों के जाल से जुड़े होते हैं या फिर कभी-कभी नहीं भी जुड़े होते हैं ।
अभी समय लग सकता है इसकी असली गहराई तक जाने में
इन गड्ढ़ों की तलहटी में मार्बल और जिप्सम पाया जाता है। ऐसा ही एक बहामास स्थित डीन्स. ब्लू होल भी है। वैज्ञानिकों के अनुसार गड्ढे की असली गहराई पता करने में थोड़ा समय और लग सकता है, क्योंकि उनके यंत्र उतनी गहराई तक नहीं जा सकते। सीटीडी प्रोफाइलर 1,640 फीट तक ही जा सकता है, लेकिन पानी में करंट के चलते केबल टूटने का खतरा विद्यमान था। इसलिए उसे 1380 फीट की गहराई से ही वापस खींच लिया गया।
लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।