ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भरता एवं जल संरक्षण की ओर एक कदम Publish Date : 29/04/2024
ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भरता एवं जल संरक्षण की ओर एक कदम
डॉ0 आर. एस. सेंगर
तालाब पर जल संरक्षण के साथ-साथ सोलर प्लांट लगाकर बिजली का स्वयं उत्पादन करें
पहले गांवों के आसपास काफी संख्या तालाब हुआ करते थे, परन्तु अब धीरे-धीरे इन तालाब और पोखरों की संख्या लगातार कम ही होती जा रही है। अब लोग थोड़े से लालच के चलते तालाबों को पाटकर कंक्रीट की ऊंची ऊंची इमारतें खड़ी कर रहे हैं, जिसके कारण गांव में पानी की रीसाइकलिंग करने के लिए प्राकृतिक रूप से बने हुए यह तालाब अब खत्म होते जा रहे हैं।
इस कारण पशुओं को नहलाने तथा पानी के उपयोग करने के लिए गांवों में भी जल संकट की समस्या पैदा हो रही है। किसी वजह से अभी तक यदि कुछ तालाब बचे भी हैं तो उनमें इतनी गंदगी भरी हुई है कि उनका पानी इस्तेमाल करने लायक ही नहीं रहा। लेकिन आज आवश्यकता इस बात की है कि इन तालाबों का सरकार जिस प्रकार से जीर्णाेद्धार कर रही है उसी के अनुरूप स्थानीय लोगों को चाहिए कि वह इन तालाबों को सुरक्षित बनाए रखते हुए वर्षा के दिनों में इनमे वर्षा जल को भरकर इन्हें फिर से भर दिया जाए।
ऐसा करने से भूजल का गिरता हुआ स्तर को भी ठीक किया जा सकता है और भविष्य में होने वाला तीसरा युद्ध जिसको पानी के लिए होने वाला युद्ध कहा जा रहा है उससे भी बचा जा सकेगा।
जल संचय केन्द्र तलाई, तालाब और डिग्गी आदि का रखरखाव
खेत तालाब/ डिग्गी/ तलाई का पानी कही आपकी आंखों के सामने ही न उड़ जाए।
आजकल नहर या ट्यूबवेल आदि के पानी को संचय करने के लिए खेत में ही तालाब / डिग्गी स्वयं या सरकारी सहायता से लाखों की संख्या में बनायी जा रहीं है, जिनकी गहराई कम और चौड़ाई अधिक होने के चलते उनका पानी वाष्पीकरण या गर्मी में भाप बनकर उड़ जाता है। एक गणना के अनुसार एक वर्ग मीटर से 15 से 20 लीटर या एक वर्ग फुट से 1.5 से 2 लीटर तक प्रतिदिन पानी भाप बनकर उड़ जाता है।
अप्रैल से जून के दौरान भूजल और नहरी जल भविष्य में दुर्लभ होने ही वाला है। अतः इस भाप बनकर उड़ रहे पानी को बचाने गम्भीरता पूर्वक कुछ प्रभावी उपाय जरूर करना चाहिए। इसके सम्बन्ध में किसी को यदि कुछ अच्छे उपाय पता हों तो उन्हें सभी के साथ शेयर करें ।
इसके साथ ही भविष्य में कम चौड़ी और ज्यादा गहरी खेत डिग्गी या तालाब ही बनवाए जाने चाहिए। पानी खारा न हो तो उसमें एजोला डाल दें। कुछ हिस्सा भी तालाब का ढंक सकें तो जरूर ढंकें। उपयोग किए हुए नारियल या कोई अन्य उपाय के रूप में तैरते हुए सोलर प्लांट लगवा लें। यह प्लांट्स भारत में भी बनाए जाते हैं।
लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।