किसानों की आय का एक उत्तम साधन: विदेशी सब्जियां      Publish Date : 12/12/2023

                किसानों की आय का एक उत्तम साधन: विदेशी सब्जियां

                                                                                                  प्रो. आर. एस. सेंगर, डॉ0 रेशु चौधरी एवं मुकेश शर्मा

ब्रोकली

                                                                                            

    ब्रोकली की अगेती फसल के लिए सितम्बर माह के प्रथम सप्ताह में नर्सरी तैयार की जाती है। अक्टूबर माह के प्रथम सप्ताह में पौधे से पौधे की दूरी 45 ग 45 से.मी. रखते हुए इसकी रोपाई कर देनी चाहिए। ब्रोकली में 16 क्विंटल गोबर की खाद, 40 कि.ग्रा. यूरिया, 38 कि.ग्रा. सुपर फास्फेट, 10 कि.ग्रा. म्यूरेट ऑफ पोटाश तथा 10 कि.ग्रा. जिंक प्रति बीघा की दर से देना चाहिए। डी. ए. पी., म्यूरेट ऑफ पोटाश तथा जिंक सल्फेट की सम्पूर्ण मात्रा को बुवाई के समय ही प्रयोग कर लेना चाहिए तथा यूरिया को तीन बराबर भागों में विभाजित कर प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार ब्रोकली की दो फसल ली जा सकती हैं। ब्रोकली की दूसरी फसल जनवरी माह के प्रथम सप्ताह में लगा दें ताकि यह फसल अप्रैल माह में तैयार हो जाये।

लैमन ग्रास

                                                           

    लैमन ग्रास की खेती के लिए आवश्यकतानुसार चौड़ाई वाले बैड पर 40 ग 30 से.मी. की दूरी पर, 10 क्विंटल गोबर की खाद, 30 कि.ग्रा. यूरिया, 30 कि.ग्रा. सुपर फास्फेट तथा 30 कि.ग्रा. म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति बीघा की दर से रोपाई के समय ही डाला जाता है।

  लैट्यूस

                                                           

    लैट्यूस की खेती के लिए सितम्बर माह के प्रथम सप्ताह में बीज को लगाया जाता है। खेत की तैयारी के समय 5 क्विंअल गोबर की खाद, 30 कि.ग्रा. यूरिया, 25 कि.ग्रा. सुपर फास्फेट एवं 10 कि.ग्रा. म्यूरेट ऑफ पोटाश को मिट्टी में मिला लिया जाता है। यूरिया को दो बराबरा भागों में विभाजित कर पयोग में लाया जाता है।

सैलरी

    सैलरी की खेती के लिए अगस्त माह के प्रथम सप्ताह में नर्सरी का रोपण किया जाता है तथा सितम्बर माह के द्वितीय सप्ताह में इसे खेत में 46 ग 25 से.मी. की दूरी लगा दिया जाता है। 8 क्विंटल गोबर की खाद, 32 कि.ग्रा. यूरिया, 25 कि.ग्रा. सुपर फास्फेट तथा 4 कि.ग्रा. म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति बीघा की दर से डाला जाता है।

पार्सले

    पार्सले की खेती के लिए सितम्बर माह के प्रथम सप्ताह में इसे 30 x 10 से.मी. की दूरी पर खेत में लगा दिया जाता है। इसके साथ ही 12 क्विंटल गोबर की खाद, 19 कि.ग्रा. यूरिया, 19 कि.ग्रा. सुपर फास्फेट तथा 3.5 कि.ग्रा. म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति बीघा की दर से डाल उिदया जाता है।

लीक

    लीक की खेती करने के लिए पौधरोपण अगस्त माह के प्रथम सप्ताह में किया जाता है और सितम्बर माह के द्वितीय सप्ताह में इसे 30 x 15 से.मी. की दूरी रखते हुए खेत में रोप दिया जाता है। इसमें 20 क्विंटल गोबर की खाद 50 कि.ग्रा. यूरिया तथा 15 कि.ग्रा. म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति बीघा की दर से डाल दिया जाता है।

चाईनीज कैबेज

                                                       

    चाईनीज कैबेज की खेती के लिए अक्टूबर माह के प्रथम सप्ताह में 45 ग 10 से.मी. की दूरी पर लगाया जाता हैं। 8 क्विंटल गोबर की खाद, 24 कि.ग्रा. यूरिया, 25 कि.ग्रा. सुपर फास्फेट और 4 कि.ग्रा. म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति बीघा की दर से बुवाई के समय ही खेत में मिला दिया जाता है।

चैरी टमाटर

                                                  

    चैरी टमाटर की खेती के लिए नवम्बर माह के अन्तिम सप्ताह में पौध को तैयर किया जाता है। पौध में 3-4 पत्ती होने के उपरांत जनवरी माह के अन्तिम सप्ताह में इसे खेत में 45 ग 45 से.मी. की दूरी पर रोप दिया जाता है।

    इस प्रकार यह स्पश्ट रूप से दिखलाई पड़ता है कि यदि किसान भाई उच्च मूल्य वाली विदेशी सब्जियों की खेती वैज्ञानिक विधि से करते हैं तो इसमें वह भरपूर लाभार्जन कर अपने परिवार का भरण-पोषण अच्छे प्रकार से कर सकता है।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।