
मशरूम की खेती है लाभकारी Publish Date : 08/05/2025
मशरूम की खेती है लाभकारी
डॉ0 गोपाल सिंह एवं डॉ0 आर. एस. सेंगर
मशरूम कवकीय वर्ग का एक पौधा है, जिसे भ्रमवश कुछ लोग कुकुरमुत्ता समझ बैठते हैं। वास्तव में कुकुरमुत्ता मशरूम की ही एक विषैली जाति है जो खाने योग्य नहीं होती। आज के इस लेख में लेखक ने मशरूम के औषधि गुणों की चर्चा के साथ-साथ इसे एक उद्योग के रूप में अपनाए जाने की संभावना पर भी बल दिया है और मशरूम की खेती को बेरोजगारी दूर करने एवं गरीबी हटाने के एक अच्छे साधन के रूप में प्रस्तुत किया है।
मशरूम कवकीय वर्ग का एक पौधा है। इसका कवक जाल ही इसका फलभाग होता है जिसे मशरूम कहा जाता है। कुछ लोग मशरूम का अर्थ कुकुरमुत्ते से लगाते हैं, जो कि गलत है। वास्तव में कुकुरमुत्ता तो मशरूम की ही एक विषैली जाति होती है जो खाने के योग्य नहीं होती है। बीजों द्वारा उगाया गया मशरूम सौ फीसदी खाने योग्य होता है। आज इसकी गणना भरपूर विटामिनों वाली सब्जियों में की जाती है।
मशरूम की खेती बहुत सस्ती और लाभदायक होती है। मशरूम की खेती के लिए अलग से भूमि या खेत की आवश्यकता नहीं होती। मूलतः इसकी खेती कृषि अवशिष्टों के माध्यम से ही की जाती है। अतः इस खेती में लागत कम लगती है और लाभ लागत का लगभग चौगुना होता है।
मशरूम वैज्ञानिक बताते है कि मशरूम उत्पादन एक खेती है क्योंकि यह कृषि आधारित है, यह एक उद्योग भी है क्योंकि इसे उद्योग के रूप में भी अपनाया जा सकता है, एक विज्ञान भी है क्योंकि इसमें वैज्ञानिक तथ्यों का समावेश है, एक कला भी है क्योंकि इसकी खेती में कलात्मकता है, एक संस्कृति भी है क्योंकि इसका उपयोग प्राचीनकाल से चला आ रहा है. एक आधुनिकता भी है क्योंकि इसकी प्रौद्योगिकी में कुछ नयापन है, यह व्यापार भी है और व्यवसाय भी क्योंकि इसका व्यापार कर इसे एक अच्छे व्यवसाय के रूप में अपनाया जा सकता है, आज की आवश्यकता भी है क्योंकि यह कुपोषण, प्रदूषण व कृषि अवशिष्टों की समस्या का बेहतर हल है, यह औषधि भी है क्योंकि यह साधारण से गम्भीर बीमारियों की रोकथाम में सहायक है। यही कारण है कि मशरूम की खेती एक अच्छा एवं लाभकारी व्यवसाय है।
मशरूम के औषधीय गुण
मशरूम एक उत्त्म किस्म का खाद्य पदार्थ तो है ही, साथ ही यह एक बहुत अच्छी औषधि भी है। इसका सेवन करने से अनेक बीमारियां स्वतः ठीक हो जाती हैं। इसमें एंटीबायोटिक तत्व पाए जाते हैं जो शरीर की जीवाणुओं से रक्षा करते हैं। इसमें एंटीवायरल तत्व मिलते हैं जो हमारे शरीर को वायरल बुखार से बचाते हैं। इसमें ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो खून में कोलेस्ट्राल की मात्रा बढ़ने नहीं देते। अतः इसके सेवन से हृदय रोग से रक्षा होती है।
इसमें फोलिक एसिड पाया जाता है जो रक्ताल्पता के शिकार व्यक्तियों, विशेषकर महिलाओं के लिए बहुत लाभकारी है। इसके सेवन से कब्ज दूर होती है, पेट साफ होता है और खुलकर भूख लगती है। मशरूम प्रोटीन और विटामिन बी-12 का एक अच्छा स्रोत है। मात्र तीन ग्राम मशरूम के सेवन से एक व्यक्ति की विटामिन बी-12 की दैनिक आवश्यकता पूरी होती है। इस प्रकार मशरूम स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत गुणकारी खाद्य पदार्थ है।
मशरूम की औषधीय गुणवत्ता के कारण ही विकसित देशों में इसकी खपत लगातार बढ़ रही है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर इसकी मांग 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से बढ़ रही है। गत तीन दशकों में मशरूम की अन्तर्राष्ट्रीय खपत में 10 गुना वृद्धि हुई है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मशरूम की सब्जी इतनी लोकप्रिय हुई है कि आज विश्व में मशरूम का जितना उत्पादन है, उससे कहीं ज्यादा इसकी मांग है।
अतः किसान भाईयों को सलाह इी जाती है कि वह मशरूम की खेती को अपनाकर अपनी आय में बढ़ोत्तरी करें और देश से कुपोषण की समस्या को समाप्त करने में योगदान करें। किसान भाई मशरूम की खेती एक छोटे स्तर से लेकर एक बड़े उद्योग के रूप में कर सकते हैं, क्योंकि इसकी खेती करने में लागत लगभग नगण्य ही रहती है और लाभ बहुत अच्डा प्राप्त होता है।
लेखकः लेखकद्वय, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेरठ के ख्याति प्राप्त कृषि वैज्ञानिक हैं।