
फरवरी-मार्च में करें इन सब्जियों की खेती, मिलेगी अधिक पैदावार Publish Date : 21/02/2025
फरवरी-मार्च में करें इन सब्जियों की खेती, मिलेगी अधिक पैदावार
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, डॉ0 वर्षा रानी एवं गरिमा शर्मा
फरवरी-मार्च में ग्रीष्मकालीन सब्जियों की बुवाई का उपयुक्त समय 15 फरवरी से 15 मार्च तक है। इस दौरान किसान लौकी, कद्दू, करेला, तोरई, खीरा और टिण्डा जैसी फसलों की बुवाई कर सकते हैं। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, उपयुक्त मिट्टी और सही खाद प्रबंधन से इन फसलों की उत्पादकता में वृद्धि हो सकती है।
मृदा परीक्षण और खेत की तैयारी
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, ग्रीष्मकालीन सब्जियों के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है, जिसका पीएच मान 6 से 7.5 के बीच होना चाहिए। खेत की तैयारी से पहले मृदा परीक्षण कराना आवश्यक है, ताकि आवश्यक उर्वरकों की सटीक मात्रा निर्धारित की जा सके। खेत में बुवाई से पहले 15-20 टन प्रति हेक्टेयर सड़ी हुई गोबर की खाद डालें और आवश्यकतानुसार जैविक या रासायनिक उर्वरकों का उपयोग करें।
खेत की नालियां 40-50 सेंटीमीटर चौड़ी और 30-40 सेंटीमीटर गहरी बनानी चाहिए। दो कतारों के बीच 2 से 4 मीटर की दूरी रखना जरूरी है ताकि पौधों को सही बढ़वार मिल सके।
बीज दर और उपचार
हर फसल की बुवाई के लिए उपयुक्त बीज दर निम्नलिखित हैः
फसल बीज दर (किग्रा/हेक्टेयर) |
फसल बीज दर (किग्रा/हेक्टेयर) |
खीरा |
2 से 2.5 किग्रा |
लौकी |
4 से 5 किग्रा |
करेला |
5 से 6 किग्रा |
कद्दू |
3 से 4 किग्रा |
टिंडा |
5 से 6 किग्रा |
तरबूज |
4 से 4.5 किग्रा |
खरबूज |
2.5 किग्रा |
भिंडी |
20 से 22 किग्रा |
तोरई |
4.5 से 5 किग्रा |
बुवाई से पहले बीजों को फफूंदनाशक दवा (काबेंडाजिम + मैन्कोजेब 2 ग्राम प्रति किलो बीज) से उपचारित करें ताकि फसलों को रोगों से बचाया जा सके।
उन्नत किस्मों का चयन और उर्वरक प्रबंधन
बेल वाली सब्जियों में अधिक उपज के लिए उन्नत किस्मों का चयन करें। भिंडी की बुवाई के लिए परभनी क्रांति, अर्का अभय, वीआरओ-5, वीआरओ-6, अर्का अनामिका जैसी किस्में उपयुक्त हैं। पीला मोजेक रोग से बचाव के लिए बीजों को थायोमिथाक्जाम 30 एफएस (10 मिली/किग्रा) या इमिडाक्लोप्रिड 48 एफएस (1.25 मिली/किग्रा) से उपचारित करें।
रासायनिक उर्वरकों का उपयोग इस प्रकार करें-
नत्रजन - 80 किग्रा/हेक्टेयर
फॉस्फोरस - 50 किग्रा/हेक्टेयर
पोटाश - 50 किग्रा/हेक्टेयर
भिंडी की बुवाई से पहले खेत में 2-2.5 टन गोबर खाद डालें। बुवाई के समय नत्रजन की आधी मात्रा और शेष दो किस्तों में दें।
सिंचाई और रोग नियंत्रण
ग्रीष्मकालीन सब्जियों की सिंचाई टपक विधि (Drip Irrigation) से करना लाभकारी होता है, जिससे जल की बचत होती है और पौधों को नमी की उचित मात्रा मिलती है। फसलों को कीट और रोगों से बचाने के लिए जैविक कीटनाशकों का प्रयोग करें। जरूरत पड़ने पर नीम तेल और ट्राइकोडर्मा जैसी जैविक विधियों का उपयोग किया जा सकता है।
किसानों के लिए यह सही समय है कि वे ग्रीष्मकालीन सब्जियों की बुवाई की तैयारी पूरी कर लें और आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर बेहतर उत्पादन प्राप्त करें।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।