आलू की फसल को पिछेता झुलसा बीमारी से बचाने के उपाय      Publish Date : 10/01/2025

      आलू की फसल को पिछेता झुलसा बीमारी से बचाने के उपाय

                                                                                                                                           प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी

वर्तमान में सर्दी का प्रकोप निरंतर बढ़ता ही चला जा रहा है। ऐसे में आलू की फसल खड़ी हुई है, लेकिन उत्तर प्रदेश के पश्चिमी एवं मध्य जनपदों में बारिश होने के कारण निकट भविष्य में आलू की फसल में पिछेता झुलसा नामक बीमारी के प्रति मौसम अनुकूल होने के चलते इस बीमारी के आने की संभावना अधिक बढ़ जाती है।

                                                                 

इसलिए समय रहते किसान भाइयों को कुछ ऐतिहात बरतनी होंगी और कुछ महत्वपूर्ण कदम भी उठाने होंगे। इसके बाद ही वह अपनी आलू की फसल को पिछेता झुलसा बीमारी से बचा सकेंगे।

सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्य़ालय के जैव प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के बायोटेक्नोलॉजी विभाग के विभाग अध्यक्ष तथा निदेशक ट्रेंनिंग एंड प्लेसमेंट प्रोफेसर आर. एस. सेगर ने बताया की किसान भाईयों को अपनी आलू की फसल को बीमारी से बचाने के लिए सबसे पहले अधिक जल भराव की आशंका में खेत से जल निकासी का उचित प्रबंध करना चाहिए।

जिन किसान भाइयों ने आलू की फसल में अभी तक फफूंदी नाशक दवा का पानी छिड़काव नहीं किया है या जिनकी आलू की फसल में अभी पिछेता झुलसा बीमारी प्रकट नहीं हुई है, उन सभी किसान भाइयों को यह सलाह दी जाती है कि वह मैन्कोजेब/घोपीनेव/क्लोरोर्थलॉनील युक्त फफूंदी नाशक दवा का प्रयोग सुग्राही किस्मों पर 0.2-0.25 प्रतिशत की दर से अर्थात् 2.0-2.5 किलोग्राम दवा को 1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टेयर की दर से अपनी फसल पर तुरन्त ही छिड़काव कर देना चाहिए।

                                                        

साथ ही साथ यह भी सलाह दी जाती है कि जिन खेतों में बीमारी प्रकट हो चुकी है उन खेतों में किसी भी फफूंदनाशक- जैसे एजेक्ट्रोडीन डाईमेथोमार्फ का 20 मिली प्रति लीटर पानी की दर से अथवा डाईनेयोमार्क 1.0 ग्राम + मैन्कोजेब 2.0 ग्राम (कुल मिश्रण 3.0 ग्राम) का प्रति लीटर पानी की दर से अथवा पलुमिकोलाइड प्रोपेभोकार्ब हाइड्रोक्लोराइड का 3.0 मिली लीटर प्रति लीटर पानी की दर अथवा अजोक्सीस्ट्रोविनं स्टेवुकोलाज़ोल का 1.0 मिली प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव अविलम्ब ही करना चाहिए।

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान क्षेत्रीय केंद्र मोदीपुरम के विभाग अध्यक्ष डॉ आर. के. सिंह ने बताया की आलू की फसल को पिछेता झुलसा रोग से बचाने के लिए फफूंदी नाशक के छिड़काव को 10 दिन के अंतराल पर दोहा दोहराया भी जा सकता है। हालांकि, बीमारी की तीव्रता के आधार पर इस अंतराल को घटाया या बढ़ाया भी जा सकता है। किसान भाइयों को इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि एक ही फफूंदी नाशक दवाई का बार-बार छिड़काव न करें।

इसके साथ ही साथ किसान भाई यह भी सुनिश्चित् करें कि फफूंदी नाशक के घोल से आलू के पौधों अच्छी तरह से भीग जाए। इस बात का भी विशेष ध्यान रखना है बारिश के दौरान फफूंदी नाशक के साथ स्टीकर को 1.0 प्रतिशत की दर (1.0 मिली प्रति लीटर पानी) के साथ मिलाकर प्रयोग करना उचित रहता है।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल   कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।