भिण्डी की अगेती खेती Publish Date : 03/01/2025
भिण्डी की अगेती खेती
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं गरिमा शर्मा
जनवरी के महीने में भिण्ड़ी की खेती करना सब्जी की खेती करने वाले किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर हो सकता है। भिण्ड़ी की अगेती खेती करने से किसानों को न केवल अच्छी पैदावार प्राप्त होती है, बल्ेिक बाजारों में मांग अच्छी होने के कारण किसानों को मुनाफा भी अच्छा प्राप्त होता है। यह एक अलग बात है कि यह काम इतना आसान नही है जितना कि यह दिखाई देता है। भिण्ड़ी की अच्छी पैछावार प्राप्त करने के लिए किसानों को भिण्ड़ी की खेती के प्रत्येक पहलू पर ध्यान देना अनिवार्य होता है।
खेती नई हो अथवा पुरानी किसान इसके सम्बन्ध में सही जानकारी और सावधानी बरतने के बाद ही खेती कार्य में सफलता प्राप्त कर सकता है। भिण्ड़ी की अगेती खेती के अनेक लाभ किसान को प्राप्त होते हैं। सर्द मौसम में की गई भिण्ड़ी की खेती से किसान को मार्केट में भी अच्छी कीमत प्राप्त होती है, क्योंकि सर्दी के मौसम की गोभी जैसी सब्जियों का ट्रेंड मध्य जनवरी तक समाप्त हो चुका होता है और भिण्ड़ी की मांग मार्केट में बनने लगती है।
बावजूद इसके, किसानों को भिण्ड़ी की खेती में असफलता का ही सामना करना पड़ता है। इस असफलता के प्रमुख कारणों में खेती की तैयारी अच्छी तरह से नही कर पाना, अनुचित बीज चयन, इउर्वरकों का गलत प्रयोग करना और सर्द मौसम में फसल की अच्छी देखभाल नही कर पाना आदि शामिल होते हैं।
अतः आज की अपनी इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से हम किसानों को खेत की सही तैयारी कैसे करें, उर्वरकों का उचित प्रयोग किस प्रकार करें, बीज के चयन करने का तरीका और सर्दी के मौसम में भिण्ड़ी की फसल को बचाने के तरीकों के बारें में विस्तार से जानकारी प्रदन करने जा रहे हैं।
खेत की तैयारी कैसे करें
भिण्ड़ी की अगेती खेती करने का सबसे अहम और महत्वपूर्ण कदम होता है खेत को उचित तरीके से तैयार करना। खेत को तैयार करने के लिए खेत में सबसे पहले 8 से 10 ट्रॉली गोबर की अच्छी तरह से सड़ी हुई खाद को भिण्ड़ी की बुवाई करने से लगभग 10 दिन पहले डालना चाहिए। इसके बाद किसान को अपने खेत की दो-तीन अच्छी जुताईग् कर देनी चाहिए जिससे कि गोबर की खाद मिट्टी में अच्छी तरह से मिल सके। सिंचाई के लिए बेड विधि को अपनाना चाहिए क्योंकि इस विधि से सिंचाई करने से पानी की बचत होती है और यह सिंचाई पौधों को ठंड़ के प्रकोप से भी बचाती है।
बीज का चयन करना
भिण्ड़ी की अगेती खेती में उचित बीज का चयन करना भिण्ड़ी की खेती में सफलता का अगला चरण होता है। गलत बीज का चयन करने से फसल की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों ही प्रभावित होते हैं। भिण्ड़ी की एडवांटा और राधका जैसी उन्नत किस्में अच्छा उत्पादन तो देती ही है साथ ही इनका फुटाव भी अच्छा ही होता है। अच्छे बीज का चुनाव करने के बाद बीज पहले अंकुरित करना बहुत आवश्यक होता है। इसके लिए बीज को हल्के गर्म पानी कम से कम 12 घंटों के लिए भिगोकर किसी सुखे कपड़ में लपेटकर गोबर की खाद अथवा भूसे से भरे गड्झ़े में रख दें इससे भिण्ड़ी के बीज की अंकुरण प्रक्रिया तेज हो जाती है।
बेसल डोज का उचित उपयोग
किसी भी फसल की गुण्वत्ता और उत्पादन बढ़ाने के लिए बेसल डोज का सही प्रबन्धन और उर्वरकों का सही प्रयोग करना आवश्यक होता है। यदि किसान बेसल डोज के रूप में उर्वरकों का उचित उपयोग करते हैं तो इससे न केवल पौधों की वद्वि सही तरीके से होती है, बल्कि उसके फलों की भी अच्छी बढ़ोत्तरी होती है। बेसल डोज के रूप में एक बैग डीएपी और सिंगल सुपर फॉस्फेट का प्रयोग करना चाहिए। इसके साथ ही उचित मात्रा में सल्फर का प्रयोग भी करना चाहिए।
सिंचाई का उचित प्रबन्धन
किसी भी फसल के लिए सिंचाई का उचित प्रबन्धन करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसके लिए किसानों को अधिकतर ड्रिप सिंचाई प्रणाली को प्राथमिकता देनी चाहिए। भिण्ड़ी की फसल से शीघ्र फल प्राप्त करने के लिए प्रत्येक दूसरे या तीसरे दिन सिंचाई करनी चाहिए परन्तु ध्यान रहे कि भिण्ड़ी के पौधों को अधिक पानी नही देना चाहिए अन्यथा पानी की अधिकता से भिण्ड़ी के पौधे पीले पड़ सकते हैं और इससे उनकी ग्रोथ भी रूक सकती है।
फलों की तुड़ाई एवं मार्केटिंग
किसान भाई, यदि सही तरीके और नियम के अनुसार उर्वरकों का सही मात्रा में प्रयोग करते हुए भिण्ड़ी की फसल की सही देखभाल करते हैं तो अगेती भिण्ड़ी की की फसल 40 दिनों में अपनी पहली फल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। इसके बाद नियमित अंराल पर तुड़ाई करते रहें, क्योंकि जनवरी के माह में की गई भिण्ड़ी की अगेती खेती करने से बाजार में भिण्ड़ी की बेहतर कीमत होने के चलते अच्छा मुनाफा देती है। फरववरी माह के मध्य तक भिण्ड़ी का बाजार मूल्य थोक भाव में भी कम से कम 60 रूपये प्रति किलोग्राम तक रहता है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।