आलू की फसल में झुलसा रोग का प्रभावी उपचार Publish Date : 17/12/2024
आलू की फसल में झुलसा रोग का प्रभावी उपचार
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 कृशानु
आलू की फसल में लगने वाला झुलसा रोग आलू की पूरी तरह नष्ट कर सकता है। आलू की पत्तियां ऐसी दिखाई दें तो दवा का छिड़काव कर दें। एक्सपर्ट बता रहे हैं इस रोग से बचाव के प्रभावी तरीके-
हमारे देश भारत में आलू का सेवन बारह महीने किया जाता है और बाजार में इसकी डिमांड पूरे साल ही बनी रहती है। मैदानी क्षेत्र हो या उत्तराखंड के जैसे पर्वतीय क्षेत्र दोनों ही प्रकार के स्थानों पर आलू की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। ऐसे में किसानों को आलू की फसल का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है।
जब आलू की फसल हल्की बड़ी हो जाती है, तो इसमें अगेती झुलसा रोग का प्रकोप बढ़ जाता है। इसके चलते किसानों की आलू की फसल पूरी फसल ही बर्बाद हो जाती है। इस रोग के कारण आलू की पत्तियों में धब्बे पड़ने लगते हैं और आलू का पौधा झुलस जाता है, जिसके चलते आलू की फसल खराब भी हो सकती है।
कैसे करें इस रोग की पहचान
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्विद्यालय मेरठ के प्रोफेसर एवं कृषि एक्सपर्ट प्रोफेसर राकेश सिंह सेंगर ने हमारी टीम को बताया कि सबसे पहले झुलसा रोग की पहचान आलू के पौधे की पत्तियों से होती है। यदि पौधे की पत्तियों में धब्बे पड़े हों या फिर पौधा कुछ झुलसा हुआ सा दिखाई दे, तो समझ लीजिए झुलसा रोग आलू की फसल में लग गया है।
अतः किसानों को सलाह दी जाती है कि इस रोग का उपाय समय के रहते ही कर लें अन्यथा इससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
इस दवा का करें छिड़काव
डॉ0 आर. एस. सेंगर ने बताया कि झुलसा रोग एक संक्रामक रोग है। यह एक पौधे से दूसरे पौधे में फैलता है। इसलिये समय उचित पर ही इस रोग का उपचार करना बहुत जरूरी होता है। झुलसा रोग से बचाव के लिए 2 ग्राम मैंकोजेब पाउडर को 1 लीटर पानी में मिलाकर 15 दिन के अंतराल में छिड़काव करना चाहिए होता है। पौधे के सभी भागों में दवा का छिड़काव समान मात्रा और सही तरीके से करना होता है, जिससे कि आलू का पूरा पौधा ही झुलसा रोग के प्रकोप से बच सके।
दवा का छिड़काव करते समय इन बातों का रखें विशेष ध्यान
मैंकोजेब नामक दवाई का स्प्रे करते समय किसानों को मास्क लगाना चाहिए, क्योंकि इसमें मौजूद हानिकारक केमिकल नाक और मुंह के माध्यम से आपके फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं और यह इंसान गंभीर रूप से बीमार कर सकते है। सावधानी रखकर ही दवा का छिड़काव करना चाहिए। ऐसा करने किसान और उनकी आलू की फसल दोनों ही बचे रहते हैं।
बचाव का जैविक तरीका
झुलसा रोग से बचाव करने के जैविक तरीकों में 2 मिलीग्राम नीम ऑयल को 1 लीटर पानी के साथ मिलाकर एक सप्ताह के अंतराल से आवश्यकता के अनुसार छिड़काव कर सकते हैं। इससे किसान आलू की फसल को झुलसा रोग से बचा सकते हैं। इस प्रकार से किसान भाई उपरोक्त दोनों तरीकों में से किसी भी एक तरीके का इस्तेमाल कर अपनी आलू की फसल का प्रभावी बचाव कर सकते हैं।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।