आलू की खेती बीज और मशीन की जानकारी Publish Date : 17/12/2024
आलू की खेती बीज और मशीन की जानकारी
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
अगर खेती में अच्छा मुनाफा लेना है तो अगेती खेती करें, क्योंकि जब भी कोई फसल बाजार में जल्दी आती है, तो अच्छा मुनाफा होता है.
यह बात आलू की खेती पर भी लागू होती है. जो लोग अपने खेत में आलू बोना चाहते हैं, वे आलू की अगेती बोआई सितंबर के आखिरी हफ्ते से अक्तूबर तक करें और नवंबर से दिसंबर के महीने तक तो हर हाल में आलू की बोआई कर देनी चाहिए.
सब से पहले खेतों की गहरी जुताई कर के खरपतवार को खत्म करें. गोबर की खाद डाल कर अच्छी तरह से खेत में मिला दें.
कृषि जानकारों का कहना है कि जो लोग खेतों में हरी खाद डालते हैं, उन्हें अपने खेत में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की 25 से 30 फीसदी कम खाद डालनी पड़ती है. साथ ही हरी खाद के इस्तेमाल से आलू की पैदावार में बढ़ोतरी भी होती है.
मिट्टी की कराएं जांच बोआई से पहले मिट्टी की अच्छी तरह जांच करा लें तो और भी अच्छा है. मिट्टी की रिपोर्ट से आप को उर्वरक आदि की सही जानकारी मिलेगी.
बीज चयन में सावधानी
बीज बोने को जिन किसानों ने बोने के लिए आलू के को कोल्ड स्टोरों में रखा हुआ है, वे फसल से 1 हफ्ता पहले ही कोल्ड स्टोर से आलू निकाल लें व छाया में फैला दें. उन आलुओं में अंकुर फूट जाएंगे. घर में बनाए गए बीज को 3-4 सालों तक ही इस्तेमाल करें, बाद में उन्हें बदल दें, क्योंकि बीज पुराना होने पर बीमारी लगने का खतरा होता है. ज्यादा समय तक एक ही बीज का इस्तेमाल करने पर उस की पैदावार भी घट जाती है.
आलू की अच्छी फसल के लिए सोचसमझ कर अच्छी किस्मों की बोआई करनी चाहिए, अच्छी पैदावार के लिए बीजों को किसी भरोसे वाली जगह जैसे राज्य बीज निगम या नजदीकी कृषि विभाग से ही खरीदें,
आलू की बोआई
आलू बोने की कई विधियां प्रचलन में हैं. आमतौर पर कल्टीवेटर से कुंड़ बना ली जाती हैं, जिन में आलू के कंद रख दिए जाते हैं. बाद में पाटा लगा कर मिट्टी से कंदों को ढक दिया जाता है.
आलू बो कर मिट्टी चढ़ाना :
इस विधि में कतार बना दी जाती है. उन कतारों में 15-25 सेंटीमीटर की दूरी पर आलू के कंद बो कर मिट्टी चढ़ा दी जाती है.
मेंड़ों पर बोआई :
इस तरीके में मेंड बनाने वाले यंत्र से मेंड़ बना ली जाती है, फिर खुरपी की मदद से आलू के कंदों को मेंड़ों पर गाड़ते चले जाते हैं.
पोटैटो प्लांटर से बोआई
पोटैटो प्लांटर से मेंड़ व कुंड़ बनते चले जाते हैं. पहले मेंड़ पर आलू बो दिए जाते हैं. जब प्लांटर पहले कूड़ के पास से दूसरी कुंड़ में गुजरता है, तो पहली कुंड़ ढकती चली जाती है. पोटैटो प्लांटर मशीन मोगा इंजीनियरिंग वर्क्स, मेरठ के देवेंद्र सिंह ने बताया कि वे 2 तरह के पोटैटो प्लांटर बनाते हैं, जो किसानों की कसौटी पर खरे उतर रहे हैं. इन मशीनों की मांग उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा जैसे सूबों में बहुत है.
सेमीआटोमैटिक पोटैटो प्लांटर :
कंपनी के पास इस के 2 तरह के मौडल मौजूद हैं. एक मौडल 2 लाइनों में आलू की बोआई करता है, जबकि दूसरा मौडल 2, 3 व 4 लाइनों में आलू की बोआई करता है. इसे अपनी जरूरत के मुताबिक इस्तेमाल किया जा सकता है. दोनों ही प्लांटरों में बोआई के साथसाथ खाद देने की भी सुविधा है. 2 लाइनों में बोआई करने वाले मौडल की शुरुआती कीमत 35000 रुपए है, जबकि दूसरे मौडल की कीमत 42000 रुपए है. इन प्लांटरों को छोटे ट्रैक्टरों के साथ जोड़ कर भी चलाया जा सकता है.
फुलीआटोमैटिक पोटैटो प्लांटर :
इस में भी कंपनी 2 मौडल बनाती है. पहला मौडल 65000 रुपए का है और दूसरा मौडल 1,10,000 रुपए का है. दोनों मौडलों में बोआई के साथसाथ खाद देने की भी सुविधा है. इसे 50 हार्सपावर वाले ट्रैक्टर के साथ जोड़ कर इस्तेमाल किया जाता है.
अधिक जानकारी के लिए पोटैटो प्लांटर के निर्माता देवेंद्र सिंह या नरेंद्र पाल से उन की कंपनी के नंबर 0121-4007336 पर बात कर सकते हैं.
टाइगर ब्रांड पोटैटो प्लांटर
गणेश एग्रो इक्वीपमेंट कंपनी का टाइगर ब्रांड प्लांटर छोटे व बड़े खेतों में आलू की बोआई के लिए 35 से 55 हार्सपावर वाले ट्रैक्टर के साथ जोड़ कर चलाने के लिए अलगअलग मौडलों में मौजूद हैं. इस से अपनी सुविधानुसार 1, 2, 3 या 4 बैड बना कर बोआई कर सकते हैं. आलू की बोआई की दूरी व गहराई को अपनी सुविधानुसार घटाबढ़ा सकते हैं. 22 इंच से 30 इंच सेंटर वाला बैड बनाने की क्षमता के साथसाथ यह 1 लाइन व 2 लाइनों में बोआई करता है.
यह उच्च गुणवत्ता वाला मजबूत यंत्र है. इस यंत्र से संबंधित और ज्यादा जानकारी के लिए किसान कंपनी के दिए गए फोन इन नंबरों 91-2764-273442/267446 या फिर टोल फ्री नंबर 18001200313 पर संपर्क कर सकते हैं.
आलू की कुछ खास किस्में |
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कुफरी चंद्रमुखी: इस की फसल 90 दिनों में तैयार होती है. इस में वायरस व लीफ रोग का प्रकोप न के बराबर होता है और पैदावार तकरीबन 250-300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है. कुफरी अलंकार : यह प्रजाति उत्तरी भारत के मैदानी इलाकों के लिए अच्छी मानी गई है. इस की फसल 90 दिनों में तैयार होती है. फसल में झुलसा रोग नहीं लगता है. कंद जल्दी बनते हैं. देर से खुदाई करने पर आलू फट जाते हैं. इस की पैदावार 250 से 300 विंवटल प्रति हेक्टेयर होती है. कुफरी बहार: 100 दिनों में तैयार होने वाली इस फसल का कंद सफेद, अंडाकार व मध्यम आकार का होता है. इस की पैदावार 300 से 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है. कुफरी ज्योति: यह पहाड़ी इलाकों के लिए मुनासिब किस्म है. यह किस्म मध्यम समय में तैयार होती है. इस किस्म से मिलने वाली फसल के कंद भी अंडाकार व मध्यम आकार के होते हैं. यह किस्म देर से बोआई के लिए ठीक है. कुफरी लालिमा : यह 100 दिनों में तैयार होने वाली किस्म है. मैदानी इलाकों में इस की पैदावार 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर मिलती है. कंद मध्यम आकार के लाल रंग के होते हैं. कुफरी सिंदूरी: यह ज्यादा समय में तैयार होने वाली किस्म है. इस की फसल करीब 120 दिनों में तैयार होती है. इस के कंद हलके लाल रंग के व आकार में गोल होते हैं. इस का गूदा हलका पीला होता है. 300 से 400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से इस की पैदावार ली जा सकती है. कुफरी बादशाह : इस प्रजाति में झुलसा रोग बहुत कम लगता है. फसल तैयार होने में 120 दिनों का समय लगता है. इस प्रजाति का कंद सफेद, बड़ा, अंडाकार और कभीकभी गोलाई लिए हुए भी होता है. इस प्रजाति की उपज तकरीबन 375 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है. आलू की खेती बीज और मशीन की जानकारी प्रोफेसर आर. एस. सेंगर अगर खेती में अच्छा मुनाफा लेना है तो अगेती खेती करें, क्योंकि जब भी कोई फसल बाजार में जल्दी आती है, तो अच्छा मुनाफा होता है. यह बात आलू की खेती पर भी लागू होती है. जो लोग अपने खेत में आलू बोना चाहते हैं, वे आलू की अगेती बोआई सितंबर के आखिरी हफ्ते से अक्तूबर तक करें और नवंबर से दिसंबर के महीने तक तो हर हाल में आलू की बोआई कर देनी चाहिए. सब से पहले खेतों की गहरी जुताई कर के खरपतवार को खत्म करें. गोबर की खाद डाल कर अच्छी तरह से खेत में मिला दें. कृषि जानकारों का कहना है कि जो लोग खेतों में हरी खाद डालते हैं, उन्हें अपने खेत में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की 25 से 30 फीसदी कम खाद डालनी पड़ती है. साथ ही हरी खाद के इस्तेमाल से आलू की पैदावार में बढ़ोतरी भी होती है. मिट्टी की कराएं जांच बोआई से पहले मिट्टी की अच्छी तरह जांच करा लें तो और भी अच्छा है. मिट्टी की रिपोर्ट से आप को उर्वरक आदि की सही जानकारी मिलेगी. बीज चयन में सावधानी बीज बोने को जिन किसानों ने बोने के लिए आलू के को कोल्ड स्टोरों में रखा हुआ है, वे फसल से 1 हफ्ता पहले ही कोल्ड स्टोर से आलू निकाल लें व छाया में फैला दें. उन आलुओं में अंकुर फूट जाएंगे. घर में बनाए गए बीज को 3-4 सालों तक ही इस्तेमाल करें, बाद में उन्हें बदल दें, क्योंकि बीज पुराना होने पर बीमारी लगने का खतरा होता है. ज्यादा समय तक एक ही बीज का इस्तेमाल करने पर उस की पैदावार भी घट जाती है. आलू की अच्छी फसल के लिए सोचसमझ कर अच्छी किस्मों की बोआई करनी चाहिए, अच्छी पैदावार के लिए बीजों को किसी भरोसे वाली जगह जैसे राज्य बीज निगम या नजदीकी कृषि विभाग से ही खरीदें, आलू की बोआई आलू बोने की कई विधियां प्रचलन में हैं. आमतौर पर कल्टीवेटर से कुंड़ बना ली जाती हैं, जिन में आलू के कंद रख दिए जाते हैं. बाद में पाटा लगा कर मिट्टी से कंदों को ढक दिया जाता है. आलू बो कर मिट्टी चढ़ाना : इस विधि में कतार बना दी जाती है. उन कतारों में 15-25 सेंटीमीटर की दूरी पर आलू के कंद बो कर मिट्टी चढ़ा दी जाती है. मेंड़ों पर बोआई : इस तरीके में मेंड बनाने वाले यंत्र से मेंड़ बना ली जाती है, फिर खुरपी की मदद से आलू के कंदों को मेंड़ों पर गाड़ते चले जाते हैं. पोटैटो प्लांटर से बोआई पोटैटो प्लांटर से मेंड़ व कुंड़ बनते चले जाते हैं. पहले मेंड़ पर आलू बो दिए जाते हैं. जब प्लांटर पहले कूड़ के पास से दूसरी कुंड़ में गुजरता है, तो पहली कुंड़ ढकती चली जाती है. पोटैटो प्लांटर मशीन मोगा इंजीनियरिंग वर्क्स, मेरठ के देवेंद्र सिंह ने बताया कि वे 2 तरह के पोटैटो प्लांटर बनाते हैं, जो किसानों की कसौटी पर खरे उतर रहे हैं. इन मशीनों की मांग उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा जैसे सूबों में बहुत है. सेमीआटोमैटिक पोटैटो प्लांटर : कंपनी के पास इस के 2 तरह के मौडल मौजूद हैं. एक मौडल 2 लाइनों में आलू की बोआई करता है, जबकि दूसरा मौडल 2, 3 व 4 लाइनों में आलू की बोआई करता है. इसे अपनी जरूरत के मुताबिक इस्तेमाल किया जा सकता है. दोनों ही प्लांटरों में बोआई के साथसाथ खाद देने की भी सुविधा है. 2 लाइनों में बोआई करने वाले मौडल की शुरुआती कीमत 35000 रुपए है, जबकि दूसरे मौडल की कीमत 42000 रुपए है. इन प्लांटरों को छोटे ट्रैक्टरों के साथ जोड़ कर भी चलाया जा सकता है. फुलीआटोमैटिक पोटैटो प्लांटर : इस में भी कंपनी 2 मौडल बनाती है. पहला मौडल 65000 रुपए का है और दूसरा मौडल 1,10,000 रुपए का है. दोनों मौडलों में बोआई के साथसाथ खाद देने की भी सुविधा है. इसे 50 हार्सपावर वाले ट्रैक्टर के साथ जोड़ कर इस्तेमाल किया जाता है. अधिक जानकारी के लिए पोटैटो प्लांटर के निर्माता देवेंद्र सिंह या नरेंद्र पाल से उन की कंपनी के नंबर 0121-4007336 पर बात कर सकते हैं. टाइगर ब्रांड पोटैटो प्लांटर गणेश एग्रो इक्वीपमेंट कंपनी का टाइगर ब्रांड प्लांटर छोटे व बड़े खेतों में आलू की बोआई के लिए 35 से 55 हार्सपावर वाले ट्रैक्टर के साथ जोड़ कर चलाने के लिए अलगअलग मौडलों में मौजूद हैं. इस से अपनी सुविधानुसार 1, 2, 3 या 4 बैड बना कर बोआई कर सकते हैं. आलू की बोआई की दूरी व गहराई को अपनी सुविधानुसार घटाबढ़ा सकते हैं. 22 इंच से 30 इंच सेंटर वाला बैड बनाने की क्षमता के साथसाथ यह 1 लाइन व 2 लाइनों में बोआई करता है. यह उच्च गुणवत्ता वाला मजबूत यंत्र है. इस यंत्र से संबंधित और ज्यादा जानकारी के लिए किसान कंपनी के दिए गए फोन इन नंबरों 91-2764-273442/267446 या फिर टोल फ्री नंबर 18001200313 पर संपर्क कर सकते हैं.
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