किसान दिसंबर में मटर फसल को इन रोगों और कीटों से बचाएं Publish Date : 16/12/2024
किसान दिसंबर में मटर फसल को इन रोगों और कीटों से बचाएं
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं गरिमा शर्मा
सर्दियों के दिनों में भारतीय सब्जी-मंडियों में भरपूर मात्रा में मटर की आवक होती है। अधिक मुनाफा वाली फसल होने के कारण बड़ी संख्या में किसान मटर की खेती करते है, लेकिन दिसंबर में इस फसल में कई रोग और कीटों के हमले का खतरा रहता है। ऐसे में आज हम किसानों को इन रोगों एवं कीटों की रोकथाम करने के कुछ उपाय बताने जा रहे हैं।
ठंड की शुरुआत के साथ ही फसलों पर भी रोगों और कीटों के प्रकोप की घटनाएं भी सामने आने लगती हैं। ऐसे में किसानों को अपनी फसल की रक्षा के लिए देखभाल और रोगों-कीटों से बचाने के लिए कीटनाशी और रोगनाशी दवाओं का छिड़काव करने की आवश्यकता होती है। लेकिन, कई बार किसान रोगों एवं कीटों की सही तरीके से पहचान नहीं कर पाते और इससे उनकी उपज प्रभावित हो जाती है या फिर यह पूरी तरह से चौपट भी हो जाती है, और इससे उन्हें नुकसान झेलना पड़ता है। ऐसे में आज हम किसान भईयों को मटर की फसल में लगने वाले विभिन्न रोग एवं कीटों के प्रति आगाह करने जा रहे हैं।
इन दिनों मटर की फसलों में कवक जनित रोगों और कीटों के हमले का खतरा बना रहता है। कृषि वैज्ञानिकों और एक्सपर्ट्स ने मटर की खेती करने वाले किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है। कृषि एक्सपर्ट ने किसानों को मटर फसल की नियमित निगरानी करने की सलाह देते हुए फसलों में कवक जनित रोगों जैसे-रतुआ तथा चूर्णिल आसिता आदि की रोकथाम करने के लिए आवश्यक रोग नाशक दवाओं का छिड़काव करने की सलाह दी है।
चूर्णिल आसिता के लिए छिड़कें यह दवा
कृषि एक्सपर्ट के अनुसार, सल्फरयुक्त कवकनाशी सल्फेक्स को 2.5 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर की दर से 800-1000 लीटर पानी में घोलकर 15 दिनों के अंतराल पर 2-3 बार फसल पर आवश्यकता के अनुसार छिड़काव करें अन्यथा घुलनशील गंधक (0.2.0.3 प्रतिशत) का फसल पर छिड़काव करने से फसल सुरक्षित रहती है।
वहीं, चूर्णिल आसिता रोग को कंट्रोल करने के लिए कार्बेन्डाजिम (1 ग्राम/लीटर पानी) या डीनोकैप, केराथेन 48 ई.सी. (0.5 मि.ली./लीटर पानी) का भी किसान प्रयोग कर सकते हैं।
रतुआ रोग की रोकथाम करने का उपाय
रतुआ रोग की रोकथाम के लिए मैन्कोजेब दवा की 2.0 कि.ग्रा. या डाइथेन एम-45 को 2 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर या हेक्साकोनाजोटा 1 लीटर या प्रोपीकोना 1 लीटर की दर से 600-800 लीटर पानी में घोलकर खड़ी फसल पर छिड़काव करें। कृषि एक्सपर्ट ने सलाह दी है कि किसान उचित फसलचक्र अपनाएं और रोगग्रस्त पौधों को खेत से उखाड़कर नष्ट कर दें।
तना छेदक- फली छेदक से फसल की रक्षा करने का उपाय
इस सम्बन्ध में किसानों के लिए सलाह है कि इंडोक्साकार्ब (1 मि.ली. प्रति लीटर पानी) का छिड़काव कीटों से होने वाली क्षति को कम करता है। मटर के तना छेदक कीट की रोकथाम के लिए डाइमिथोएट 30 ई. सी. दवा को 1.0 लीटर मात्रा और फली छेदक कीट की रोकथाम हेतु मोनोक्रोटोफॉस 36 ई.सी. दवा की 750 मि.ली. की दर से 800 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से इनकी प्रभावी रोकथाम होती है।
दलहनी फसलों में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाली मटर कम समय में अधिक पैदावार देने और आर्थिक दृष्टिकोण से अच्छा मुनाफा देने के साथ जमीन की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाने में भी सहायता करती है। फसल चक्र के हिसाब से मटर की खेती करने से जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ती है और इसके यह गुण ही इसे किसानों के लिए एक फायदेमंद फसल बनाता हैं।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।