करेला की खेती, कम लागत में होगा अधिक मुनाफा Publish Date : 19/09/2024
करेला की खेती, कम लागत में होगा अधिक मुनाफा
प्रोफेसर आर एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी
उत्तर प्रदेश के अधिकतर किसान अब ऐसी सब्जियों की खेती करने पर ज्यादा जोर दे रहे हैं, जिनमें कम कम लागत लगाकर वह अधिक मुनाफा कमा सकें। बाजार में भी सब्जियों की डिमांड सालभर बनी रहती है। सब्जी की खेती के दौरान किसानों को कम समय में उत्पादित होने वाली सब्जियों की खेती करना बेहद पसंद होता है और ऐसी ही कुछ सब्जियों में से एक करेला की खेती है। करेला की खेती कर किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं क्योंकि यह कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली सब्जी की खेती है।
दरअसल, मेरठ के कल्याणपुर गांव के रहने वाले किसान बीर सिंह पिछले करीब 5 साल से करेला की खेती कर रहे हैं.और करेला की खेती सेे वह काफी अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं। किसान बीर सिंह ने किसान जागरण डॉअ कॉम को बताया कि इस समय वह लगभग तीन बीघा में करेला की खेती कर रहे हैं और करेला की खेती से सीजन में दो लाख रूपये तक मुनाफा कमा रहे हैं।
किसान बीर सिंह ने बताया कि करेला की खेती करने पर एक बीघा के खेत में लगभग 8 से लेकर 10 हजार रूपये तक की लागत आ जाती है। वह करेला की खेती बारिश के समय में मचान विधि से करते हैं। इस विधि से खेती करने पर पैदावार अधिक होती है और इससे नुकसान की गुंजाइश भी कम रहती है। करेला की सब्जी की डिमांड बाजार में हमेशा अधिक रहती है और इस कारण से उन्हें इसका रेट भी बेहतर मिल जाता है।
किसान बीर सिंह ने बताया कि करेला की खेती को कोई भी किसान आसानी के साथ कर सकता है। करेले की खेती के लिए मचान विधि को ही सबसे बेस्ट माना जाता है। इसके तहत खेत में बांस अथवा सीमेंट के खंभे की 5 से 7 फीट ऊंची मचान बनाई जाती है और जैसे ही इस सब्जी की बेल बढ़ने लगती है, वैसे ही इसे बनाए गए मचान पर चढ़ा दिया जाता है। करेला की खेती में मेड़ों की दूरी डेढ़ से दो मीटर तक रखी जाती है।
मचान पर करेले की बेल को चढ़ाया जाता है, जिससे सब्जियां जमीन से ऊपर लगने के कारण इनमें हवा का प्रवाह सही रहता है और सही तरह से तापमान मिलता है। इस कारण कीटों और रोगों से इसका बचाव रहता है।
आमतौर पर करेले की बुवाई करने के लगभग 60 से 65 दिनों बाद इसकी फसल तैयार हो जाती है। करेले की अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए इसकी सही देखभाल करना बहुत जरूरी होता है।
करेला का प्रयोग खाने में सब्जी के रूप में करने के अलावा इसके कुछ औषधीय महत्व भी होते हैं। यह मधुमेह के रोगियों के लिए एक रामबाण औषधि की तरह से काम करता है। इसके अलावा भी अन्य कई रोगों शमन में काम आता है। यही कारण है कि इसकी डिमांड बाजार में पूरे वर्षभर बनी रहती है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।