इन वैरायटीज की फूलगोभी लगाकर लें नवंबर तक फूलगोभी की फसल Publish Date : 23/08/2024
इन वैरायटीज की फूलगोभी लगाकर लें नवंबर तक फूलगोभी की फसल
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 रेशु चौधरी
किसी भी तरह की सब्जी की तरह से ही फूलगोभी की खेती अब मौसम की सीमाओं तक सीमित नहीं रह गई है। आधुनिक कृषि तकनीकों के माध्यम से फूलगोभी को साल भर उगाया जा सकता है और यह विधि किसानों के लिए लाभदायक भी साबित हो रही है। कम समय और कम लागत में फूलगोभी से अच्छा पैसा कमाया जा सकता है। खासकर बरसात के मौसम में इसकी खेती बेहद फायदेमंद हो सकती है। कृषि वैज्ञानिकों ने ऐसी कई किस्में विकसित की हैं, जिन्हें किसान अगस्त के महीने में लगाकर किसान अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं।
उन्नत किस्में और खेती के लाभः
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के बागवानी विभाग के प्रभारी वैज्ञानिक, डॉ. उदित कुमार ने बताया कि फूलगोभी की नर्सरी तैयार करने के लिए अगस्त का महीना एक आदर्श महीना होता है। उन्होंने ‘सबौर अग्रमा’ नामक फूलगोभी की उन्नत किस्म की सिफारिश की, जो 65-70 दिनों में तैयार हो जाती है और अच्छी उपज देती है। इसके अलावा, उन्होंने ‘पूसा मेघना’, ‘पूसा कार्तिक’, और ‘अलरी कुंवारी’ जैसी अन्य किस्मों को भी सुझाव दिया, जो अच्छी पैदावार देने में सक्षम होती हैं।
फूलगोभी की सफल खेती के लिए सावधानियां
फूलगोभी की खेती के दौरान कुछ सावधानियों का ध्यान रखना आवश्यक है, क्योंकि इसमें कई तरह के संक्रामक रोगों का खतरा होता है। इन रोगों के कारण पौधे सड़ सकते हैं और फंगल संक्रमण होने की संभावना भी अधिक होती है। डॉ. उदित कुमार ने बताया कि इन जोखिमों को कम करने के लिए, पौध रोपण से पहले पौधों की जड़ों को फफूंदनाशकों से उपचारित करना आवश्यक होता है। यह सावधानी सुनिश्चित करती है कि किसानों को अपनी फसलों में कोई नुकसान न हो और वह अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकें।
फूलगोभी की खेती से आय का नया स्रोत
फूलगोभी की खेती किसानों के लिए एक बेहतरीन विकल्प बन सकती है, विशेषतः उन किसानों के लिए जो कम समय में अच्छी आय अर्जित करना चाहते हैं। बरसात के मौसम में फूलगोभी की खेती करने से कुछ ही हफ्तों में फसल की पैदावार शुरू हो जाती है, जिससे किसान जल्दी मुनाफा कमा सकते हैं। सही समय और सही तकनीक से की गई फूलगोभी की खेती न केवल किसानों की आमदनी बढ़ाती है, बल्कि उन्हें कृषि के क्षेत्र में स्थायित्व भी प्रदान करती है।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।