टमाटर की अधिक पैदावार लेने के लिए लगाएं अर्का रक्षक प्रजाति

       टमाटर की अधिक पैदावार लेने के लिए लगाएं अर्का रक्षक प्रजाति

                                                                                                                                                           डॉ0 आर. एस. सेंगर एवं डॉ0 वर्षा रानी

टमाटर की एक क्रांतिकारी वैरायटी जिसके एक पौधे से मिलता है 19 किलोग्राम फल

                                                                           

भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने परिशोधन खेती के तहत उन्नतशील किस्म के इस पौधे से इतनी ही उपज हासिल की है। इस विधि से टमाटर उत्पादन का यह उच्चतम उपज स्तर है। इस रिकार्ड तोड़ उपज ने टमाटर की खेती करने वाले किसानों के बीच हलचल मचा दी है।

टमाटर का इकलौता पौधा अधिक से अधिक कितनी उपज दे सकता है, क्या आप इसका अनुमान लगा सकते हैं? अपने दिमाग के सारे घोड़ों को दौड़ाइये....और बताइए... कितना किलो तक पहुंचे...5 किलो से लेकर 10 किलो तक। हालाकि यह भी आपको ज्यादा ही लग रहा होगा। हम यहां जिस टमाटर के पौधे के बार में बताने जा रहे हैं, वह कोई मामूली टमाटर का पौधा नहीं है। इसे भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (IIHR) के द्वारा विकसित किया गया है। संस्थान ने टमाटर की जो यह नई प्रजाति विकसित की है, उसके एक पौधे से 19 किलो तक टमाटर का उत्पादन हुआ है। रिकॉर्ड बनाने वाली टमाटर की इस नई उन्नतशील प्रजाति का नाम अर्का रक्षक रखा गया है।

भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने परिशोधन खेती के तहत उन्नतशील किस्म के इस पौधे से इतनी उपज हासिल की है। इस विधि से टमाटर उत्पादन का ये उच्चतम उपज स्तर है। इस रिकार्ड तोड़ उपज ने टमाटर की खेती करने वाले किसानों के बीच हलचल मचा दी है। भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान अर्कावथी नदी के किनारे स्थित है और यही वजह है कि उत्पादन के रिकॉर्ड बनाने वाली टमाटर की इस नई किस्म को अर्का रक्षक के नाम से नवाजा गया है।

सबसे ज्यादा पैदावार

                                                    

इसके बारे में संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक और सब्जी फसल डिवीजन के प्रमुख ए. टी. सदाशिव कहते हैं, कि पूरे प्रदेश में यह टमाटर की सर्वाधिक उपज है। आंकड़ों के मुताबिक टमाटर की यह प्रजाति राज्य में टमाटर की सबसे ज्यादा उपज देने वाली किस्म साबित हुई है। इनके मुताबिक टमाटर के संकर प्रजाति की अन्य पौधों में सर्वाधिक उपज 15 किलो तक रिकार्ड की गई है। उन्होंने कहा कि जहां कर्नाटक में टमाटर का प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादन 35 टन है, वहीं अर्का रक्षक प्रजाति की टमाटर का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 190 टन तक हुआ है।

रिकॉर्ड पैदावार से किसानों में उत्सुकता बढ़ी

                                                                      

नई किस्म के टमाटर के पौधे को लेकर किसानों के बीच काफी उत्सुकता है। कई किसान इसकी खेती को लेकर काफी आशान्वित भी नज़र आ रहे हैं। कुछ किसान इसकी खेती कर रिकार्ड उपज भी प्राप्त भी कर चुके हैं। चिक्कबल्लपुर जिले के देवस्थानदा हौसल्ली के एक किसान चंद्रापप्पा ने इस उन्नतशील प्रजाति के 2000 टमाटर के पौधे अपने आधे एकड़ के खेत में लगाकर 38 टन टमाटर की उपज प्राप्त की है। जबकि इतनी संख्या में ही अन्य हाइब्रिड टमाटर के पौधे लगाकर वह 20 टन तक का ही उत्पादन ले पाते थे। चंद्राप्पा बताते हैं, ष्नवंबर 2012 से लेकर जनवरी 2013 के बीच मैंने 5 से 11 रुपये प्रति किलो तक टमाटर बेचकर, 80 हजार रुपये की लागत राशि काटकर पौने तीन लाख रुपये की बचत हासिल की है।

इस किस्म के उत्पादन में लागत कम आती है

                                                                

डॉ. सदाशिव के अनुसार यह महज उच्च उपज देने वाली ही प्रजाति नहीं है बल्कि टमाटर के पौधों में लगने वाले तीन प्रकार के रोग, पत्तियों में लगने वाले कर्ल वायरस, विल्ट जिवाणु और फसल के शुरुआती दिनों में लगने वाले विल्ट जिवाणु से सफलतपूर्वक लड़ने की भी इनमें प्रतिरोधक क्षमता मौजुद है। उनका मानना है कि इससे कवक और कीटनाशकों पर होने वाले खर्च की बचत से टमाटर की खेती की लागत में दस फीसदी तक की कमी आ जाती है।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।