वर्तमान में कृषि के बदलते परिवेश में एग्रीटेक स्टार्टअप्स की बड़ी भूमिका      Publish Date : 02/10/2023

                               वर्तमान में कृषि के बदलते परिवेश में एग्रीटेक स्टार्टअप्स की बड़ी भूमिका

                                                                                                                        डॉ0 आर. एस. सेंगर, डॉ0 रेशु चौधरी एवं मुकेश शर्मा

                                       

कृषि और कृषिगत कार्यों को अभी तक मजबूर किसान की तस्वीर के साथ पेश किया जाता रहा है, लेकिन आज के इस बदलते हुए परिवेश में कृषि की ओर लोगों का रुझान तेजी से बढ़ा है, अब लोगों के सामने कृषि एक आय का एक सुदृढ़ स्रोत के रूप में उभरकर आई है।

किसान की नई पीढ़ी, जो आज खेतों में उतर रही है, उसके हाथों में स्मार्टफोन है, फोन में डाटा है और इंटरनेट के माध्यम से पूरी दुनिया उसकी मुट्ठी में कैद है। नए भारत का, यह नया किसान है, जो अपनी फसल की बुवाई करने में, पहले से ज्यादा, बाजार में हार्वेस्टिंग के वक्त का चल रहा फसल का भाव देखता है, खाद और बीज के इस्तेमाल के लिए भी वह इंटरनेट का ही प्रयोग करता है, और माल बेचने को निकलने से पहले इंटरनेट पर ही अपने आसपास के बाजारों के भाव का भी जायजा भी लेता है, और इसके बाद ही वह यह तय करता है कि उसे अपने फसल उत्पाद को किस स्थान पर बेचना है।

लेकिन इस तस्वीर का सामान्य कारण की व्याख्या करना भी शायद अतिशयोक्ति होगी। भारत इतना विशाल देश है कि यहां के दुर्दशा वाले हालातों के चलते गांव में कार्यरत किसान के संसाधनों की हकीकत से कई बार ऊपर दिखाई गई तस्वीरें इतनी अलग लग सकती है कि उसे एक सफल उद्योग का दर्जा दिया जा सकता है। लेकिन एक बात बहुत साफ है कि इस स्वप्न लोक ने भारतीय किसानों के बीच ऐसा एक बड़ा वर्ग पैदा कर दिया है जो शिक्षा, बेचारगी और गरीबी के साए से दूर खेती-बाड़ी को समृद्धि का माध्यम बनाने के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ है। यह वर्ग समझने लगा है की खेती एक कारोबार है जिसमें जितना ज्यादा तकनीक का इस्तेमाल किय जाएगा और जितना ज्यादा निवेश किया जाएगा और जितना ज्यादा नवाचार का प्रयोग होगा इसमें उतना अधिक ही मुनाफा भी प्राप्त होगा।

                                                     

उतनी ही इसमें प्रगति भी हो सकती है, इसी पृष्ठभूमि कृषि हाल के वर्षों में उद्यमिता की विशाल संभावनाओं के साथ उभरी है बीज और कीटनाशकों के क्षेत्र में तो कई देशी और बहुराष्ट्रीय कंपनियां दशकों से भारतीय बाजारों से लाखों करोड़ों रुपए का कारोबार कर रही थी। लेकिन खास बात यह है कि हाली के वर्षों में देश के उत्कृष्ट तकनीकी संस्थानों जैसे आईआईटी और आईआईएम से निकले छात्रों सहित कई युवा उद्यमियों ने कई ऐसे उद्यम खड़े कर दिए हैं, जो छोटे और सीमांत किसानों को भी खेती में तकनीक का समावेश बढ़ाकर कम खर्चे में स्मार्ट खेती की दिशा में बढ़ाने का रास्ता साफ कर रहे हैं।

उद्योगों की इस नई तकनीक को लोकप्रिय भाषा में एग्री स्टार्टअप कहा जा रहा है लेकिन इन एग्री स्टार्टअप कंपनी में भी कंपनियों का एक वर्ग ऐसा है जो उपज की मात्रा बढ़ाने, श्रम की आवश्यकता को कम करने और लागत को कम करने के लिए नित नई-नई तकनीक के इस्तेमाल को अपने कारोबार का केंद्र बिंदु बना रही है, ऐसी ही कम्पनियों को एग्री स्टार्टअप कहा जाता है। देश में इस समय लगभग 460 से अधिक एग्री स्टार्टअप कंपनियाँ कार्यरत है, जिन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी को अतिउत्तम अनुसंधानों को आम किसानों के लिए सुलभ बना दिया है।

एग्रो स्टार, क्रुपिन जंबो, तेल, क्रेडिट कार्ड और स्टील लैब हार्ट जैसी स्टार्टअप कंपनियों ने पूरे विश्व के निवेशकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है और एसोचौम की इस रिपोर्ट के मुताबिक एक्सेल, अंकुर कैपिटल, ओमिनाइवोर जैसे शीर्ष निवेशकों ने जून 2019 तक इन नए एग्री स्टार्टअप कंपनियों में लगभग 1825 करोड रुपए का निवेश भी कर दिया था। ऐसा अनुमान है कि अगले 10 वर्षों में इस सेक्टर में कंपनियाँ 10 अरब डॉलर का अतिरिक्त निवेश कर सकती है। देश में काम कर रही दर्जनों एग्रीटेक स्टार्टअप कंपनियों की सहायता से आज छोटे किसान भी अपने छोटे-छोटे खेतों की मैपिंग कर सकते हैं और घर बैठे खाद, बीज इत्यादि इनपुट की तुलना कर ऑर्डर कर सकते हैं।

                                                         

खेतों में रिमोट कंट्रोल से पानी और उसके साथ न्यूट्रिशन की सही मात्रा पहुंचा सकते हैं और यह सब काम काफी कम खर्चे में किया जा सकता है। जो तकनीकी आज के दौर में खेती के चलन को बदल रही है उनमें से छत की खेती अर्थात वर्टिकल फार्मिंग ऑटोमेशन एंड रोबोटिक्स लाइव स्टॉक टेक्नोलॉजी, आधुनिक ग्रीन हाउस प्रैक्टिसेज प्रेसीजन एग्रीकल्चर, कृत्रिम बौद्धिकता आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ब्लाकचैन तथा ड्रोन की कृषि में उपयोगिता बढ़ती जा रही है।

पहली नजर में लगता है कि ऐसी आधुनिक तकनीकी के शायद केवल प्रयोगशालाओं में ही प्रयोग की जा सकती है और इनमें लगने वाला निवेश एक आम किसान के लिए संभव नहीं, तो मुश्किल जरूर है। जबकि सच्चाई यह है कि एग्री स्टार्टअप कंपनियों ने न सिर्फ इन तकनीकों को व्यवहारिक बना दिया बल्कि आम किसानों की पहुंच में भी लाने का प्रयत्न कर रहे हैं और कई नई तकनीकें ऐसी हैं जो कि खेती को वास्तव में स्मार्ट बनाने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसी ही कुछ तकनीकें इस प्रकार से है-

वर्टिकल फार्मिंग

नैनो टेक्नोलॉजी

ई-कॉमर्स और मार्केट लिंकेज

लाइव स्टॉक फार्मिंग टेक्नोलॉजी

कृत्रिम बौद्विकता और इंटरनेट ऑफ थिंग्स

पोस्ट हार्वेस्ट टेक्नोलॉजी

फार्म ऑटोमेशन

प्रेसीजन फार्मिंग

ब्लॉकचेन तकनीकी

फिंच प्लेट फॉर्म आदि ।

कृषि उत्पादों को सीधे ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए वेब और मोबाइल आधारित एप्लीकेशन्स का उपयोग किया जा सकता हैं। महंगाई को रोकने के लिए ऐसे मॉडल तैयार किया जा सकते हैं जिनसे कीमतों का अग्रिम अनुमान लगाया जा सके। तकनीक आधारित डायनेमिक प्रोडक्ट प्रोसेसिंग और अनाज के लिए ऑनलाइन मार्केट प्लेस भी तैयार किया जा रहे हैं। इन तमाम तकनीक और कृषि गतिविधियों को पांच मोटे भागों में बांटा जा सकता है-

                                                   

अपस्ट्रीम मार्केट प्लस- मॉडल जहां एग्रीटेक स्टार्टअप किसानों को इनपुट की खरीद में तकनीक के माध्यम से मदद करते हैं। इसमें एग्रोस्टार, बिग हॉट, एग्री वैल्यूएशन, एग्रो नेक्स्ट, निशा कार्ड, एग्री हब और फार्म गुरु जैसी कंपनियां प्रमुख तौर पर उभरकर सामने आई हैं।

डाउनस्ट्रीम- खेत से रसोई तक सप्लाई चैन मॉडल, जिसमें हार्वेस्टिंग के बाद उत्पादों को बाजार तक लेकर जाने और उपभोक्ताओं से जुड़ने में किसानों की मदद की जाती है। इस श्रेणी में सक्रिय अग्रणीय स्टार्टअप, कृषि स्टार, को-फॉर्म, सब्जी वाला और भारत बाजार इत्यादि कंपनियाँ शामिल है।

खेती को सेवा क्षेत्र के रूप में कारोबार का केंद्र बनाने वाली प्रमुख कंपनियां जो महंगी मशीनों को आसान किराए पर उपलब्ध करा कर छोटे किसानों पर से पूंजीगत निवेश का भार कम करती हैं। ऐसे प्रमुख स्टार्टअप कंपनियों में फॉर्मेट एक 3 एग्री सर्विसेज, रामनगो एक्शन इत्यादि कुछ चुनिंदा नाम है जो उल्लेखनीय काम कर रही है। आईओटी और बिग डाटा पर आधारित नवाचार मॉडल लेकर आने वाली कंपनियां, जो स्मार्ट टेक्नोलॉजी के माध्यम से किसानों को व्यक्तिगत तौर पर ऐसे आंकड़े उपलब्ध कराती हैं, जो कृषि कार्यों में उन्हें ठीक समय पर फैसला लेने में मदद करती है।

इनमें एग्रीटेक कंपनियों में प्लाईवुड क्रॉपिंग और एक्जीबिट सिस्टम आदि कुछ प्रमुख नाम है जो बहुत तेजी के साथ बढ़ रहे हैं और किसानों का सहयोग भी कर रहे हैं। इसी प्रकार इंजीनियरिंग पर आधारित नवाचार मॉडल जिसमें कृषि कार्यों को सुगम बनाने के लिए और श्रमिकों की आवश्यकता को कम करने के लिए कंपनियां नये तकनीक आधारित समाधान प्रस्तुत करती हैं। खेती ड्रिप कमल किसान और नैनो पिक इत्यादि इस सेक्टर की कुछ अगवा नवागंतुक कंपनियां है।

                                                              

कृषि प्रदर्शन के कायाकल्प में एग्री टेक स्टार्टअप की भूमिका को भारत सरकार भी स्वीकार कर रही है और ऐसे उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए कई नीतिगत उपाय किए गए हैं। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने करीब 350 एग्री स्टार्टअप को 36 करोड रुपए से ज्यादा की सीधी फंडिंग की है जिसमें कई एग्रीटेक स्टार्टअप है। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत इनक्यूबेशन इकोसिस्टम तैयार किया गया है जिसमें दो दर्जन से ज्यादा एग्री स्टार्टअप को प्रशिक्षित किया गया है।

भारत सरकार ने हैदराबाद में राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान मैनेज का गठन किया है जो अग्रिटेट स्टार्टअप को पूरी मदद कर रहा है। सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग में एड ए और एन ए ए आर एम के तबी के साथ मिलकर खाद और कृषि कारोबार में तेजी लाने वाला एक कार्यक्रम शुरू किया है, जिसके तहत कृषि कारोबार में लगी स्टार्टअप कंपनियों को उद्योग जगत में नेटवर्क तैयार करने निवेशकों के सामने अपने मॉडल को प्रस्तुत करने इत्यादि के लिए मदद प्रदान की जाती है।

    प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत भारत सरकार ने स्रोत तैयार करने, वितरण प्रबंधन, फील्ड एप्लीकेशन और विस्तार सेवाओं के लिए 5 साल में 56,340 करोड रुपए का आवंटन किया है। प्राइमरी एग्रीकल्चर क्रेडिट सोसाइटी के क्रिस्टलाइजेशन के लिए 2000 करोड रुपए की फंडिंग भी एग्रीगेट स्टार्टअप कंपनियों के लिए एक बड़ा अवसर पैदा कर रही है। नई तकनीक पर आधारित कृषि के विभिन्न चरणों में काम करने वाली एग्री टेक स्टार्टअप कंपनियों के मामलों में भारत चीन और अमेरिका से प्रतिस्पर्धा कर रहा है।

फटर संस्था के मुताबिक वर्ष 2020 की पहली छमाही में भारत में एग्री टेक्नोलॉजी में जहां 61.9 करोड़ का फंड आया, वहीं इस साल जनवरी से जून की छमाही में यह रकम बढ़ाकर 200 करोड डालर हो गई है। अमेरिका में इस दौरान इस सेक्टर में 950 करोड डॉलर का निवेश आया जबकि चीन में यह रकम 450 करोड़ थी। फर्निश्ड एंड यंग के मुताबिक 1925 में भारतीय कृषि बाजार 24 अरब डॉलर का होने जा रहा है।

                                                         

अतः जाहिर है कि इसका एक बड़ा हिस्सा एग्रीटेक की नई कंपनियों की झोली में आएगा और क्योंकि अभी इस क्षमता का सिर्फ एक प्रतिशत इस्तेमाल हो सकता है तो यह आंकड़ा एग्री स्टार्टअप सेक्टर में आगे आने वाले अवसर की भी झलक दे रहा है। इस समय प्रदेश में युवाओं के अंदर काफी जागरूकता आ गई है और वह एग्री स्टार्टअप की तरफ काफी आकर्षित हो रहे हैं।

युवाओं से समृद्धि हर देश में तीन चीज बहुत मायने रखती हैं, अब वही तो कभी-कभी युवा की अच्छी पहचान बन जाती है। पहली चीज है इतिहास और दूसरी है इनोवेशन, जोखिम लेने का जज्बा और तीसरी है कैन डू स्पिरिट।

यानी कि किसी भी काम को पूरा करने के लिए जिद चाहे परिस्थितियों कितनी भी विपरीत क्यों ना हो जब यह तीनों चीज आपस में मिलती हैं तो अभूतपूर्व प्रणाम मिलते हैं, चमत्कार हो जाते हैं। आजकल हम चारों तरफ सुनते हैं कि स्टार्टअप, स्टार्टअप और स्टार्टअप, सही बात है कि स्टार्टअप का योग है और यह भी सही है कि स्टार्टअप की दुनिया में आज भारत विश्व में एक प्रकार से नेतृत्व कर रहा है। साल दर साल स्टार्टअप को रिकॉर्ड निवेश मिल रहा है यह क्षेत्र बहुत तेज रफ्तार से आगे बढ़ रहा है।

यहां तक कि देश के छोटे-छोटे शहरों में भी स्टार्टअप की भूमिका बड़ी है। आजकल यूनिकॉर्न शब्द खूब चर्चा में है आप सबने इसके बारे में जरूर सुना होगा। यूनिकॉर्न एक ऐसा स्टार्टअप होता है जिसका वैल्यूएशन कम से कम एक बिलियन डॉलर का होता है यानी कि करीब करीब 7000 करोड रुपए से ज्यादा। वर्ष 2015 तक देश में मुश्किल ना या 10 यूनिकॉर्न हुआ करते थे आपको यह जानकर बेहद खुशी होगी कि अब यूनिकॉर्न की दुनिया में भी भारत तेज उड़ान भर रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार इसी साल एक बड़ा बदलाव आया है सिर्फ 10 महीनों में ही भारत में हर 10 दिन में एक यूनिकॉर्न बना है। यह इसलिए भी बड़ी बात है क्योंकि हमारे युवाओं में यह सफलता कोरोना महामारी के बीच हासिल की है।

                                                                  

आज भारत में 80 से अधिक यूनिकॉर्न हो चुके हैं यानी 80 से अधिक स्टार्टअप ऐसे हैं जो एक बिलियन से ज्यादा के वैल्यूएशन को पार कर गए हैं। साथियों स्टार्टअप की सफलता के कारण हर किसी का उस पर ध्यान गया है और जिस प्रकार से देश से विदेश से निवेशको से उसे समर्थन मिल रहा है शायद कुछ साल पहले इसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता है और आने वाले समय में अनुमान लगाया जा सकता है कि स्टार्टअप के क्षेत्र में भारत काफी आगे निकल जाएगा।

लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।