खत्म होती जा रही है चावल की वह पुरानी भीनी-भीनी खुशबू      Publish Date : 26/05/2025

खत्म होती जा रही है चावल की वह पुरानी भीनी-भीनी खुशबू

                                                                                                                                       प्रोफेसर आर. एस. सेंगर एवं गरिमा शर्मा

मौसम में परिवर्तन के चलते धान की खेती से आने वाली महक अब धीरे-धीरे समाप्त होती जा रही है। पिछले पांच सालों में जहां खुशबूदार चावल की प्रजातियों में कमी आई है, वहीं चावल में भी वह पहले वाला स्वाद नहीं रहा है, जिसके लिए गंगा का यह क्षेत्र प्रसिद्ध रहा है। एक दशक पहले तक उत्तर प्रदेश के इस गंगा तटीय क्षेत्र में धान की दर्जन भर ऐसी प्रजातियां हुआ करती थी, जो न सिर्फ पैदावार के लिहाज से बल्कि अपनी महक के लिए भी दूर-दूर तक जानी पहचानी जाती थी।

पूसा धान तरावडी, श्री हरियाणवी, बासमती पूसा, बासमती 270 क्षेत्र के किसान बोया करते थे। हालांकि कई हाइब्रिड प्रजातियां भी क्षेत्र में होती हैं, लेकिन मौसम के परिवर्तन के चलते अब इनकी महक में भी कमी आ गई है। एक शोध के अनुसार समय से पहले पकना एवं जीन का दम तोड़ने के साथ ही बेवक्त रंग बदलता मौसम भी इन तमाम कारणों के लिए जिम्मेदार है। यहां तक बताया गया है कि पिछले पांच सालों में ग्लोबल वार्मिंग के कारण चावल की खेती परिवर्तित होती जा रही है।

इस कारण जहां चावल की प्रजातियां प्रभावित हो रही है, वहीं चावल की विशेषताओं में भी परिवर्तन अब स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है। सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आर. एस. सेंगर के अनुसार धान की खेती में परिवर्तन आने का मुख्य कारण ग्लोबल वार्मिंग है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण मनुष्यों के अतिरिक्त फसलों पर भी नुकसान दिखाई देने लगा है। हालांकि, डॉ0 सेंगर के अनुसार अभी चावल के मुलायम होने में तो कोई कमी नहीं देखी गई है।

                                                

क्षेत्र की धान की खेती का दूसरी विशेषताएं अवश्य गायब होती जा रही है। सरदार पटेल विवि की शोध छात्रा गरिमा शर्मा के अनुसार गंगा के तटीय क्षेत्रों के नजदीक होने वाली धान की खेती को बचाने के लिए व्यापक स्तर पर तैयारियां करने की आवश्यकता है। उनके अनुसार इस मामले में व्यक्तिगत स्तर पर प्रयास के बजाए सरकारी सहायता से सामूहिक तौर पर कार्य करना होगा।

लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।