
भारत का पराक्रम और सतर्कता Publish Date : 12/05/2025
भारत का पराक्रम और सतर्कता
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
पाकिस्तान में अपनी सेनाओं के पराक्रम के देखने बाद अलग-अलग प्रकार की प्रतिक्रिया देखने को मिली है। एक तरफ जहां देशभक्त भारतीय गर्व से प्रफुल्लित हो रहा है, वहीं पाकिस्तान इस प्रहार के आघात से कराह रहा है। तीनों सेनाओं के संयुक्त प्रयास से आतंकी निर्माण करने वाले अड्डे तहस नहस हुए और आतंकवादियों के खानदान समाप्त हुए हैं।
आज अपना देश इतना मजबूत हुआ है कि अपने देश में निर्मित हथियारों से भी अपने सैनिक बड़े हमले कर सकते हैं और अपने ऊपर हुए हवाई हमलों को कठोरतम उत्तर दे सकते हैं। इन सबके बीच भारत ने अपना अहिंसा का स्वभाव भी नहीं छोड़ा, इसलिए आतंकी अड्डों को छोड़कर किसी अन्य स्थान या व्यक्ति को कोई हानि नहीं पहुंचाई, लेकिन स्थिति रावण की लंका जैसी ही है क्योंकि पाकिस्तान में वह कौन है जो आतंकी नहीं है, वहां ऐसे रामभक्त लोगों की संख्या बहुत कम है इसलिए सेना के रूप में हनुमान को संहार करते समय बहुत विचार करने की आवश्यकता नहीं है।
अपने देश में कुछ राजनेताओं ने सेना के समर्थन में कल प्रतिक्रिया दी है, लेकिन उनके वक्तव्य के समय उनके चेहरे पर न तो सामान्य भारतीय जैसा गर्व था न ही उल्लास था, केवल उनके चेहरे पर सरकार और सेना से सबूत न मांगने का जनता का स्पष्ट दबाव दिखाई दे रहा था।
पूर्व के युद्धों के अनुभव से हमे कुछ सावधानियां रखनी होंगी, पहले युद्धों के समय सेनाओं के मार्ग में बाधाएं खड़ी करने के लिए विभिन्न प्रकार के अवरोध उत्पन्न करना जैसे सड़कों में गड्ढे खोदने जैसे कृत्य भारत की सीमा के भीतर के शत्रुओं ने किए थे। सीमा पार के शत्रु से तो अपनी सेनाएं निपटने में सक्षम हैं लेकिन युद्धरत देश में अंदर छुपे शत्रुओं द्वारा कोई ऐसी हरकत न हो सके जिससे कोई क्षति हो सके अतः हमें सतर्क रहना होगा।
लेखकः प्रोफेसर आर. एस. सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण, सेवायोजन एवं विभागाध्यक्ष प्लांट बायोटेक्नोलॉजी संभाग, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।