
अप्रैल माह के शुरू में ही इतनी गर्मी उफ! Publish Date : 09/04/2025
अप्रैल माह के शुरू में ही इतनी गर्मी उफ!
प्रोफेसर आर. एस. सेंगर
अप्रैल के महीने में ही दिल्ली-एनसीआर में लू का अलर्ट जारी होने के बाद से स्वास्थ्य विभाग अलर्ट पर है। ऐसे में तमाम अस्पताल अभी से बीमार लोगों के इलाज की तैयारियों में जुट गए हैं। डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में पिछले साल तैयार किए गए हीट स्ट्रोक यूनिट को फिर से एक्टिव कर दिया गया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भी लोगों को सावधान किया है।
पिछले कुछ दिनों से देशभर में तापमान के मामले में तेजी से लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है। अप्रैल के पहले सप्ताह में ही दिल्ली-एनसीआर का तापमान 40 डिग्री तक पहुंच चुका है। मंगलवार (8 अप्रैल) को दिल्ली का अधिकतम तापमान 38 डिग्री तक दर्ज किया गया। मौसम विभाग पहले से ही अलर्ट जारी कर चुका है कि इस साल की गर्मी पुराने कई रिकॉर्ड्स तोड़ सकती है।
समय से पहले हीटवेव और गर्मी के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर भी अलर्ट जारी कर दिया गया है। बढ़ती गर्मी के कारण न सिर्फ हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट के मरीजों की समस्या बढ़ जाती है, बल्कि यह किडनी और कई अन्य गंभीर बीमारियों के प्रति जोखिमों को भी बढ़ा सकती है।
भीषण गर्मी को देखते हुए भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी में अगले दो दिनों (मंगलवार और बुधवार) के लिए येलो अलर्ट जारी किया। इसका मतलब है कि आप सावधान रहें और गर्मी के संपर्क में आने से बचें। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, इस दौरान सभी लोगों को हल्के-ढीले कपड़े पहनने चाहिए और बाहर जाते समय अपने सिर को सूती कपड़े से ढककर रखना चाहिए।
अस्पतालों ने शुरू की तैयारी
दिल्ली-एनसीआर में लू का अलर्ट जारी होने के बाद से ही स्वास्थ्य विभाग अलर्ट पर है। अस्पताल अभी से बीमार लोगों के इलाज की तैयारियों में जुट गए हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में पिछले साल तैयार किए गए हीट स्ट्रोक यूनिट को फिर से एक्टिव कर दिया गया है। वहीं, लेडी हार्डिंग अस्पताल में भी हीट स्ट्रोक यूनिट तैयार किया जा रहा है। दिल्ली सरकार के अस्पतालों में आइस पैक का स्टॉक भी रखा जाएगा। हीट स्ट्रोक के शिकार मरीजों के शरीर का तापमान तुरंत सामान्य हो सकें, इसके लिए कई व्यवस्थाएं की जा रही हैं।
सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में पिछले साल 25 लोगों की हीट स्ट्रोक के कारण मौत हो गई थी। हालांकि, कई संगठनों के मुताबिक हीट स्ट्रोक से दम तोड़ने वाले मरीजों का आंकड़ा 193 के करीब था।
हार्ट और किडनी के मरीजों के लिए दिक्कतें बढ़ा सकता बढ़ता तापमान
जिला अस्पताल मेरठ में अस्पताल के डॉक्टर दिव्यांशु सेंगर बताते हैं, कि गर्म मौसम और हीटवेव किसी को भी प्रभावित कर सकता है, इसके कारण गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। जैसे-जैसे आपका शरीर बढ़ते तापमान के कारण गर्म होता जाता है, आपकी रक्त वाहिकाएं फैलने लगती हैं, जिससे रक्तचाप कम हो जाता है। इसके कारण आपके दिल को पूरे शरीर में रक्त का संचार करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है। मौसम का यह हाल हृदय के मरीजों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इन महीनों में बरती गई थोड़ी भी लापरवाही आपके स्वास्थ्य के लिए दिक्कतें बढ़ाने वाली हो सकती है।
गर्मी से होने वाली बीमारियों में चक्कर आना, बेहोशी, मतली और सिरदर्द आदि सबसे आम हैं, परन्तु इसमें कुछ जटिलताएं जानलेवा भी हो सकती हैं। यह मौसम किडनी की समस्याओं से पीड़ित लोगों के लिए और भी अधिक चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
मौसम का किडनी पर प्रभाव
स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, हीटवेव का आपकी किडनी पर भी नकारात्मक असर हो सकता है, वहीं जिन लोगों को पहले से ही किडनी की दिक्कत है, उन्हें तो और भी अधिक सावधान रहना चाहिए। अत्यधिक गर्मी के संपर्क में रहने वाले लोगों में इलेक्ट्रोलाइट्स का असंतुलन, किडनी इंजरी होने या किडनी में पथरी होने का खतरा काफी अधिक बढ़ जाता है।
हीटवेव के अधिक संपर्क में रहने वाले लोगों, विशेषकर महिलाओं में मूत्र पथ के संक्रमण (यूटीआई) का भी जोखिम अधिक देखा जाता रहा है ।
हीटवेव का खतरा किन लोगों को है अधिक?
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, कुछ लोगों में अन्य लोगों की अपेक्षा हीटवेव के दुष्प्रभावों का जोखिम अधिक हो सकता है। जैसे-
- सड़क पर काम करने वाले मजदूर रेहड़ी-पटरी वाले लोग।
- लंबे समय तक धूप में रहने वाले या कम पानी पीने वाले लोग।
- वृद्ध-शिशु या फिर गर्भवती महिलआओं में हीटवेव के लक्षणों के गंभीर रूप लेने का जोखिम अधिक देखा जाता रहा है।
अगर गर्मी के कारण सिर में भारीपन और दर्द, तेज बुखार के साथ मुंह के सूखने की दिक्कत हो, चक्कर और उल्टियां आ रही हों, कमजोरी के साथ शरीर में बहुत दर्द हो और पसीना आना बंद हो गया है तो बिना देर किए नजदीकी अस्पताल में पहुंचें। यह सब समस्याएं लू लगने का संकेत भी हो सकती हैं।
लेखकः डॉ0 आर. एस. सेंगर, निदेशक ट्रेनिंग और प्लेसमेंट, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ।