
पशुओं की भी सेहत बिगाड़ रही एंटीबायोटिक दवाएं Publish Date : 06/04/2025
पशुओं की भी सेहत बिगाड़ रही एंटीबायोटिक दवाएं
एथिकल वेटरनरी पर जोर, आयुर्वेद और होम्योपैथी से करेंगे जानवरों का उपचार
एंटीबायोटिक इंसान ही नहीं बल्कि पशुओं के स्वास्थ्य पर भी अपना बुरा प्रभाव दिखा रही है। ऐसे में अब पशुपालन विभाग ने पशुओं के उपचार के लिए आयुर्वेद और होम्योपैथी के जैसी आयुष पद्वितियों को ही बेहतर माना है, विशेष रूप से दुधारू पशुओं के लिए। इस पर देशभर के चिकित्सकों व वैज्ञानिकों को विचार-विमर्श के लिए एथिकल वेटरनरी मेडिसिन कार्यशाला में आमंत्रित किया गया है। मध्यप्रदेश की राजधानी में आयोजित की जाने वाली इस कार्यशाला में उनकी राय के बाद नई गाइडलाइन के लिए प्रस्ताव बनाने को कहा गया है।
पहले ऐसे होता था जानवरों का उपचार
मुंह में छाले
पहलेः बैगन का भर्ता, करहरा, धनिया आदि को मिलाकर पशुओं के मुंह के छालों का उपचार किया जाता था जबकि अब हेवी एंटीबायोटिक गोलियां इसके उपचार के लिए दी जाती है।
दूध में खून आना
पहलेः केले में कपूर व खाने वाला सोडा मिलाकर पशुओं को दिया जाता था, जबकि अब इंजेक्शन से लेकर अन्य प्रकार की एलोपैथिक दवाएं इसके उपचार के लिए दी जाती हैं।
दस्त लगना
पहलेः भुने हुए बेल का गूदा का प्रयोग किया जाता था। अब टीज-फ्लोक्स ग्रामोजिल और अन्य एलोपैथिक दवाएं दी जाती हैं।
एएमआर के रोकथाम में मिलेगी मदद
जानवरों के इलाज में एलोपैथी का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। इससे एएमआर (एंटीमाइक्रोबियल रजिसटेंस) की समस्या बढ़ी है। रोग में दवाओं का असर कम हो रहा है। यह एक वैश्विक संकट है। इससे इन जानवरों से मिलने वाले मांस, दूध या अन्य प्रोडक्ट का मानव के द्वारा सेवन करना, मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। ऐसे में जानवरों का उपचार आयुष या होम्यापैथी विधि से करने के लिए बनाई जा रही योजना और इसकी गाइडलाइन एक बड़ी पहल साबित होगी।
यह हैं खतरेः जानवरों में एंटीबायोटिक से रेजिस्टेंस बैक्टीरिया का विकास होता है। यह बैक्टीरिया पर्यावरण में फैल सकते हैं और अन्य जानवरों और इंसानों में भी संचारित हो सकते हैं। कार्यशाला में चर्चा के बाद एक प्रपोजल बनाया गया है। इसके आधार पर आगे की योजना तैयार की जाएगी।