आधुनिक कृषि यंत्रों और मशीनों का सुव्यवस्थित प्रयोग      Publish Date : 02/04/2025

   आधुनिक कृषि यंत्रों और मशीनों का सुव्यवस्थित प्रयोग

                                                                                                             Dr.Virendra Singh Gahlaan

खेती को आधुनिक, वैज्ञानिक और लाभदायक बनाने के लिए आधुनिक कृषि यंत्रों और मशीनों का सुव्यवस्थित प्रयोग अनिवार्य है। यहाँ खेती की तैयारियों से लेकर कटाई उपरांत तक प्रयुक्त होने वाले आधुनिक यंत्रों का कदम-दर-कदम विवरण प्रस्तुत किया गया है:

1. भूमि की तैयारी (Soil Preparation)

                                            

उद्देश्य:

मिट्टी को भुरभुरी, समतल और पोषक तत्वों से भरपूर बनाना, ताकि फसलें अच्छी तरह विकसित हो सकें।

प्रमुख यंत्र:

लेजर लैंड लेवलर – खेत को समतल करने के लिए (जल बचत और समान फसल उगाने में मदद)।

रोटावेटर (Rotary Tiller) – मिट्टी को बारीक बनाने और खरपतवार नष्ट करने के लिए।

कल्टीवेटर (Cultivator) – मिट्टी को गहराई तक तोड़ने और वायु संचार बढ़ाने के लिए।

मोल्ड बोर्ड हल (MB Plough) – भारी मिट्टी की जुताई और हरी खाद मिलाने के लिए।

डिस्क हैरो – मिट्टी को भुरभुरा करने और ढेले तोड़ने के लिए।

2. बीज बुवाई (Sowing & Planting)

उद्देश्य:

बीजों को उपयुक्त गहराई और समान दूरी पर बोना, जिससे अंकुरण और फसल उत्पादन बेहतर हो।

प्रमुख यंत्र:

सीड ड्रिल (Seed Drill) – गेहूं, जौ, मक्का, सरसों आदि की सटीक बुवाई के लिए।

जीरो टिल ड्रिल – बिना जुताई के सीधे बुवाई करने के लिए (संरक्षित खेती के लिए उपयुक्त)।

डिबलर मशीन – बड़े बीजों (कद्दू, तरबूज, सूरजमुखी आदि) की बुवाई के लिए।

प्लांटर (Planter) – गन्ना, आलू, मक्का, मूंगफली जैसी फसलों की बुवाई के लिए।

3. सिंचाई और जल प्रबंधन (Irrigation & Water Management)

उद्देश्य:

फसल को आवश्यकतानुसार पानी देना, जल संरक्षण और जल दक्षता बढ़ाना।

प्रमुख यंत्र:

ड्रिप इरिगेशन सिस्टम – पौधों की जड़ों में सीधी जल आपूर्ति के लिए।

स्प्रिंकलर इरिगेशन – हल्की मिट्टी और छोटी फसलों के लिए।

सेंसर बेस्ड ऑटोमेटेड इरिगेशन – नमी सेंसर से नियंत्रित जल आपूर्ति।

सोलर पंप सेट – ऊर्जा बचाने और दूरस्थ क्षेत्रों में सिंचाई के लिए।

4. खरपतवार नियंत्रण (Weed Management)

उद्देश्य:

खरपतवारों को नियंत्रित करके फसलों की वृद्धि में बाधा को रोकना।

प्रमुख यंत्र:

पॉवर वीडर (Power Weeder) – कतारों के बीच खरपतवार हटाने के लिए।

मल्चर (Mulcher) – खरपतवारों को मिट्टी में मिलाने और नमी बनाए रखने के लिए।

रिजर और फरोमेकर – फसल पंक्तियों को उठाने और खरपतवार नियंत्रण में सहायक।

5. पोषक तत्व और कीट नियंत्रण (Nutrient & Pest Management)

उद्देश्य:

फसल को आवश्यक पोषक तत्व देना और कीटों व रोगों से बचाव करना।

प्रमुख यंत्र:

फर्टिलाइजर स्प्रेडर (Fertilizer Spreader) – उर्वरकों का समान वितरण।

ड्रोन स्प्रेयर (Drone Sprayer) – कीटनाशकों, जैविक घोलों और पोषक तत्वों का छिड़काव।

पावर स्प्रेयर – बड़े क्षेत्रों में कीटनाशक और जैविक टॉनिक छिड़कने के लिए।

ट्रैक्टर माउंटेड स्प्रेयर – बड़े खेतों में प्रभावी छिड़काव के लिए।

6. फसल कटाई (Harvesting)

उद्देश्य:

फसल की कटाई सही समय पर और बिना अधिक नुकसान के करना।

प्रमुख यंत्र:

कंबाइन हार्वेस्टर (Combine Harvester) – गेहूं, धान, जौ जैसी फसलों की कटाई और गहाई के लिए।

रीपर (Reaper) – छोटी फसलों की कटाई के लिए।

स्ट्रॉ रीपर – कटाई के बाद खेत में बची फसल के अवशेषों को एकत्र करने के लिए।

शुगरकेन हार्वेस्टर – गन्ने की मशीन से कटाई के लिए।

7. कटाई उपरांत प्रबंधन (Post-Harvest Management)

उद्देश्य:

फसल को सही तरीके से संग्रहित और प्रोसेस करना ताकि गुणवत्ता बनी रहे।

प्रमुख यंत्र:

                                                       

थ्रेशर (Thresher) – धान, गेहूं जैसी फसलों के दाने निकालने के लिए।

ग्रेन क्लीनर – अनाज को साफ और ग्रेडिंग के लिए।

कोल्ड स्टोरेज यूनिट – सब्जी और फलों को सुरक्षित भंडारण के लिए।

ऑटोमेटिक पैकेजिंग मशीन – प्रोसेसिंग और विपणन के लिए।

निष्कर्ष

खेती में उन्नत यंत्रों का सही और समुचित उपयोग करके हम:

  • लागत घटा सकते हैं।
  • उत्पादन और गुणवत्ता बढ़ा सकते हैं।
  • श्रम की बचत कर सकते हैं।
  • समय पर सही कार्य करके फसलों की संभावित हानि को रोक सकते हैं।

यदि यंत्रों के उपयोग और फसल प्रबंधन में वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाया जाए तो खेती अधिक लाभदायक और सतत (Sustainable) हो सकती है।

Writer: Dr.Virendra Singh Gahlaan, Soilist, Ex. Chief Scientist, CSIR-IHBT, Palampur Himachal Pradesh.